आखिर क्या है ये फ्लोर टेस्ट? जिसकी वजह से मचा है महाराष्ट्र में तहलका
महाराष्ट्र की राजनीति पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 नवंबर को सभी पार्टियों को 30 घंटे का वक़्त देते हुए 27 नवंबर को शाम 5 बजे फ्लोर टेस्ट करने का आदेश दिया है।
नई दिल्ली: महाराष्ट्र की राजनीति पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 नवंबर को सभी पार्टियों को 30 घंटे का वक़्त देते हुए 27 नवंबर को शाम 5 बजे फ्लोर टेस्ट करने का आदेश दिया है। ऐसे में ये जानना बेहद ज़रूरी है कि आखिर फ्लोर टेस्ट है क्या? तो आइए आपको हम बतातें हैं इसके बारे में...
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23 नवंबर के घटनाक्रम को देखते हुए देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के सीएम के रूप में शपथ ली और NCP नेता अजित पवार डिप्टी सीएम बने। लेकिन महाराष्ट्र की सियासत इस हद तक उलझ गई कि शिवसेना, कांग्रेस और NCP को आखिरी उम्मीद सुप्रीम कोर्ट में दिखी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया कि 30 घंटे के अंदर विधायकों को शपथ दिला कर मतदान के जरिए पता लगाया जाएगा कि कौन से सरकार की बहुमत होगी।
अगर कोई पार्टी अपने बल पर सदन के लिए निर्धारित संख्या को हासिल कर लेती है तो सदन में सरकार बनाने वाली पार्टी को विश्वासमत पाना जरुरी नहीं होता है। लेकिन अगर ये साफ नहीं होता है तो सत्ताधारी दल को सदन के अंदर यह साबित करना होता है कि उसके पास सरकार चलाने के लिए जरुरी संख्या है।
1994 सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कर्नाटक के एस आर बोम्मई केस में फ्लोर टेस्ट की धारणा को पेश किया था। संविधान पीठ ने बताया था कि फ्लोर टेस्ट के जरिए सही तरीके के सत्ता पर आकस्मिक दल अपनी संख्या के बारे में बता सकता है। आर्टिकल 164 (2) का जिक्र करते हुए संवैधानिक पीठ ने बताया कि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से राज्य की विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होगी। आर्टिकल का जिक्र करते हुए संविधान पीठ ने व्यवस्था दी कि बहुमत का अंतिम परीक्षण राजभवन में नहीं बल्कि सदन के पटल पर होता है।
सबसे पहले राज्यपाल प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति करेंगे। फिर विधानसभा में सबसे अनुभूति मेंबर को प्रोटेम स्पीकर यानी अस्थाई स्पीकर बनाया जाता है। इस स्पीकर का काम सभी विधायकों को शपथ दिलाना होता है, लेकिन कल प्रोटेम स्पीकर फ्लोर टेस्ट भी कराएंगे। नए स्पीकर की चुनाव प्रकिया का अध्यक्ष भी प्रोटेम स्पीकर होता है।
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ये है महाराष्ट्र विधानसभा की गणित
महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरण पर नजर डालें तो चुनावों में जो नतीजे आए हैं उसके मुताबिक, बीजेपी 105 सीट जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। शिवसेना ने 56 सीटें,एनसीपी ने 54 सीटें, जबकि कांग्रेस को 44 सीट मिली थीं। वहीं 29 सीटें अन्यों के पास हैं। 288 के सदन में बहुमत साबित करने के लिए 145 सीट चाहिए।
25 नवंबर कल कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना के विधायक एक छत के नीचे आए और तीनों पार्टियों ने शक्ति प्रदर्शन किया। इस दौरान NCP प्रमुख शरद पवार, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण समेत बहुत से नेता मौजूद थे। तीनों पार्टियों ने दावा किया कि 162 विधायक हैं और हम देर से ही सही फ्लोर टेस्ट में जीतेंगे।