माया के लिए बिना मांगी मुराद बना कोरेगांव : सियासत की धार तेज कर रही बसपा
लखनऊ : महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव हिंसा पर बसपा दलित सियासत की धार तेज करने में जुट गई है। यहां भड़काऊ भाषण के आरोप में दलितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। इसी आरोप में दो अन्य व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमें दर्ज हैं। पार्टी मुखिया मायावती ने अब तक उनकी गिरफ्तारी नहीं होने पर सवाल उठाया है। उन्होंने इसे महाराष्ट्र की बीेजेपी सरकार का पक्षपातपूर्ण रवैया करार दिया है। उनका कहना है कि सरकार दोषियों को बचाने का प्रयास कर रही है जो आग में घी डालने का काम कर रहे हैं।
मायावती ने कहा है कि इससे मामला सुलझने वाला नहीं है क्योंकि दलित समाज के लोग खुद को सरकारी पक्षपात व अन्याय का शिकार मान रहे हैं, इससे उनमें गहरा असंतोष है। गुलाम मानसिकता वाले बीजेपी एण्ड कम्पनी के सांसदों की भूमिका को लेकर भी दलितों में आक्रोश है। उनकी आवाज संसद में प्रभावी तौर पर उठाने वाला कोई नहीं है।हालांकि गुजरात के लोगों ने चुनाव में बीजेपी को मुँहतोड़ जवाब दिया है, अब महाराष्ट्र में भी जनमानस तंग आकर उठ खड़ा हुआ है। यह सिलसिला अब थमने वाला नहीं है क्योंकि बीजेपी सरकारों में दलितों से अन्याय का दौर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।
संसद में चर्चा को तैयार नहीं
मायावती ने कहा है सैकड़ों दलितों को मामले में आरोपी बनाया गया है। पर सरकार इस गंभीर विषय पर अदालत में चर्चा के लिए तैयार नहीं है। नरेन्द्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि भगवा हिंदुत्ववादी शक्तियों के संरक्षण की वजह से अल्पसंख्यक व दलित भी जातिवादी हिंसा का शिकार हो रहे हैं। इन घटनाओं के जरिए सरकार विफलताओं से लोगों का ध्यान बाँटने का प्रयास कर रही है।
महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार दलितों को संरक्षण देने में विफल रही।
यह दलितों, पिछड़ों और अक्लियतों के प्रति मोदी सरकार की साम्प्रदायिक मानसिकता बेनकाब
विजय स्तम्भ पर संगठित होना भी महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार को अच्छा नहीं लगा
उन लोगों ने जातीय संघर्ष कराने का प्रयास किया। यह अति-निन्दनीय है।
भाजपा के भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं पर कार्रवाई नहीं की जाती।
ऐसे लोगों पर कार्रवाई हो तो जेलों में जगह कम पड़ेगी।