महाराष्ट्र में बीजेपी का खेल बिगाड़ने के लिए शरद पवार चल सकते हैं ये बड़ा दांव

अजित पवार को बेदखल करने के लिए शरद पवार को सबसे पहले पार्टी के विधायकों की बैठक बुलानी पड़ेगी और उसमें अजित पवार को नेता पद से हटाते हुए नए नेता का चुनाव करना होगा।

Update:2019-11-23 16:20 IST

मुंबई: महाराष्ट्र में शनिवार सुबह भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा उलटफेर सामने आया है। शनिवार सुबह बीजेपी ने एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस को सीएम शपथ दिलाई। तो वहीं अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र का दोबारा मुख्यमंत्री बनने पर बधाई दी है। उधर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने इसे लोक तंत्र की हत्या करार दिया हैं। तीनों ही पार्टियां बीजेपी की सरकार गठन से रोकने के लिए जी जान se जुट गई है।

इस बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार का कहना है कि उनके सभी विधायक अभी भी उनके सम्पर्क में हैं और बीजेपी अपना बहुमत साबित नहीं कर पायेगी।

अब सवाल उठाता है कि भतीजे अजित पवार का चाचा शरद पवार को छोड़ कर बीजेपी के साथ जाने के बाद एनसीपी का अगला कदम क्या होगा? आइये जानते हैं इस पूरे घटनाक्रम पर विस्तार से:-

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अजित पवार को रोकने के लिए शरद पवार क्या-क्या कदम उठा सकते हैं?

अजित पवार के एनसीपी से बगावत के बाद सबसे अहम सवाल ये है कि आखिर अब एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार क्या करेंगे क्योंकि तकनीकी तौर पर भले ही शरद परवार पार्टी के अध्यक्ष हों लेकिन अजित पवार भी विधायकों के चुने हुए नेता हैं और उन्हें ये पूरा अधिकार है कि वो एनसीपी के 54 विधायकों के बारे में कोई भी फैसला लें।

जब तक उन्हें विधानमंडल के नेता पद से हटाया नहीं जाता, उनके फैसले को एनसीपी के विधायकों का फैसला माना जाएगा। शरद पवार अगर अजित को पार्टी से निकाल भी देते हों तो उनके विधानमंडल दल के नेता कि स्थिति पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और उनके आदेश को ही विधायकों के लिए व्हिप माना जाएगा। इसके साथ ही उसका उल्लंघन करना पार्टी के विधायकों के लिए मुश्किल होगा।

क्या अजित पवार को दिखाया जाएगा बाहर का रास्ता?

अजित पवार को बेदखल करने के लिए शरद पवार को सबसे पहले पार्टी के विधायकों की बैठक बुलानी पड़ेगी और उसमें अजित पवार को नेता पद से हटाते हुए नए नेता का चुनाव करना होगा। यहां अहम सवाल ये है कि विधायकों की बैठक में कितने विधायक आते हैं।

यदि आधे से कम विधायक बैठक में आते हैं तो अजित पवार को हटाना मुश्किल होगा और वही विधायक दल के नेता बने रहेंगे और गेंद विधानसभा अध्यक्ष के पाले में जाएगी।

क्योंकि विधानसभा का गठन नहीं हुआ है और विधानसभा अध्यक्ष नहीं हैं। ऐसे में राज्यपाल को ये तय करना है कि विधानसभा में किसे असली एनसीपी माने और किसे बागी।

एनसीपी उठा सकती है ये बड़ा कदम

देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को रोकने के लिए शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस को अपने विधायकों को संभाल कर रखना होगा और बीजेपी को विश्वास मत हासिल करने से पहले विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के मौके पर अपनी ताकत दिखानी होगी।

अगर ये तीनों दल मिलकर विधासभा अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी और अजित पवार के गठबंधन को मात दे देते हैं तो एनसीपी के नए चुने हुए नेता को विधानसभा में विधानमंडल दल के नेता के रूप में मान्यता मिल सकती है और ऐसे में पार्टी को बचाया जा सकता है और विश्वासमत में नई सरकार को शिकस्त भी दी जा सकती है।

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शरद पवार ने अजित पवार के बीजेपी के साथ जाने पर क्या कहा?

शरद पवार ने कहा कि अजित के शपथ लेने की जानकारी सुबह में मिली। अजित पवार से ऐसी उम्मीवद कतई नहीं थी। न तो पार्टी के विधायक और न ही कार्यकर्ता इसका समर्थन करते हैं।

पार्टी के साथ अजित पवार ने जो किया है उस पर हम एक्शान लेंगे. पार्टी की अनुशासनात्मसक समिति इस मामले में कार्रवाई करेगी। सदन में बीजेपी बहुमत साबित नहीं कर पाएगी. उनके पास नंबर नहीं है. हमारे पास नंबर है और हमारा गठबंधन अभी भी बरकरार है।

शरद पवार ने कहा कि मैं बीजेपी के सख्त खिलाफ हूं। बीजेपी को समर्थन देने का फैसला अजित पवार का था, पार्टी का नहीं। कोई भी बीजेपी से हाथ नहीं मिलाएगा।

अजित के पास 54 विधायकों के हस्ता क्षर वाली चिट्ठी है। 10 या 11 विधायक उनके साथ गए थे।विधायकों को दलबदल कानून मालूम होना चाहिए।

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