भतीजों की राजनीति: ममता से माया तक, कभी खुशी-कभी गम

पिछले साल बसपा सुप्रीमों मायावती भी अपने भतीजे आकाश को राजनीति में आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं। पिछले साल उन्होंने फरवरी महीने में उन्हे कई सांगठनिक जिम्मेदारियां सौंपने का काम किया है।

Update: 2021-02-26 06:39 GMT
भतीजों की राजनीति: ममता से माया तक, कभी खुशी-कभी गम (PC: social media)

श्रीधर अग्निहोत्री

नई दिल्ली: इन दिनों पूरे देश की निगाह पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है लेकिन उससे ज्यादा पैनी निगाह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी पर है। फिर चाहे वह सत्ता पक्ष से जुड़ा राजनेता हो अथवा विपक्ष का। पूरी चुनावी कमान इन दिनों अभिषेक बनर्जी के ही हाथो में हैं। इसे लेकर सत्ताधारी दल टीएमसी के लोग ममता बनर्जी से नाराज भी बताए जा रहे हैं।

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पिछले साल बसपा सुप्रीमों मायावती भी अपने भतीजे आकाश को राजनीति में आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं। पिछले साल उन्होंने फरवरी महीने में उन्हे कई सांगठनिक जिम्मेदारियां सौंपने का काम किया है। इससे लगता है कि यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव में इस बार आकाश आनन्द बड़ी भूमिका निभाएगें।

यह पहला मौका नहीं है जब देश व प्रदेश की राजनीति में भतीजों की एंट्री से राजनीति की दिशा बदली हो।इसके एक दो उदाहरण नहीं बल्कि दूसरे राज्यों से भी ऐसे ही उदाहरण है।

sharad pawar ajit pawar (PC: social media)

महाराष्ट्र में अजीत पवार ने सियासत में किया ऐसा

महाराष्ट्र में अजीत पवार ने सियासत में अपने चाचा शरद पवार को पहले गच्चा दिया और फिर उनके साथ हो लिए। जबकि हरियाणा में अभय चैटाला-दुष्यंत चौटाला हरियाणा की सियासत में देवीलाल परिवार का खासा दखल रहा है। लेकिन यहां भी आपसी कलह ने सब कुछ तीन तेरह कर दिया है। अजय चैटाला ने पार्टी की कमान ओमप्राकाश चैटाला ने अपने दूसरे पुत्र अभय चैटाला को दे रखी है।

पंजाब में प्रकाश सिंह बादल के भतीजे मनप्रीत बादल

इसी तरह पंजाब में प्रकाश सिंह बादल के भतीजे मनप्रीत बादल की भी पंजाब की सियासत में खासा दबदबा रहा और जिसके चलते बादल परिवार में खासी कलह हुई। नतीजा यह रहा कि भतीजे मनप्रीत बादल की जब राजनीति आकांक्षाएं पूरी नहीं हुयी तो उन्होंने बगावत कर पंजाब पीपुल पार्टी का गठन कर लिया। हांलाकि वह अपनी पार्टी को ज्यादा दिन चला नही पाएं तो फिर उकस विलय कांग्रेस में कर दिया।

गोपीनाथ मुंडे के भतीजे धनंजय मुंडे

इसी तरह गोपीनाथ मुंडे के भतीजे धनंजय मुंडे महाराष्ट्र की भाजपा शिवसेना गठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम रहे। भाजपा नेता गोपी नाथ मुंडे (दिवंगत) वर्ष 2009 में जब बीड से विजयी हुए तो ज्यादातर लोगों ने सोचा कि विधानसभा चुनाव में वह अपने भतीजे धनंजय मुंडे को उतारेंगे। लेकिन इसकी जगह उन्होंने अपनी बेटी पंकजा मुंडे को परली सीट से मैदान में उतारा। इससे चाचा-भतीजे के बीच मनभेद और गहरा गया जिसके बाद धनंजय मुंडे राकांपा में शामिल हो गए।

महाराष्ट्र में तो ऐसे और भी उदाहरण हैं। विधानसभा चुनाव में शिवसेना के जयदत्त क्षीरसागर को उनके भतीजे एवं राकांपा उम्मीदवार संदीप क्षीरसागर ने बीड सीट से हरा दिया।

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raj thackeray balasaheb thackeray (PC: social media)

राजठाकरे अपने चाचा बाल ठाकरे के उत्तराधिकारी बनना चाहते थे

महाराष्ट्र की राजनीति शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरें के खिलाफ उनके भतीजे राजठाकरे ने अपनी उपेक्षा से आहत होकर वर्ष 2006 में उनसे किनारा करके महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया। राजठाकरे अपने चाचा बाल ठाकरे के उत्तराधिकारी बनना चाहते थे लेकिन बाल ठाकरें ने अपने पुत्र उद्वव ठाकरे को इसके लिए चुना जो बाद में शिवसेना के प्रमुख बने। राजठाकरे ने बाद में अपनी अलग राह चुन ली और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन कर सियासत शुरू कर दी। राजनीतिक दृष्टि से अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का महाराष्ट्र की राजनीति में कोई खास दखल नहीं है।

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