गहलोत -पायलट के बीच पड़ी दरार को पाटने के लिए कांग्रेस ने बनाई ये खास रणनीति

राजस्थान की सियासत ने एक बार फिर से करवट ली है। गहलोत सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव के ध्वनिमत से पारित होने के बाद कांग्रेस की सरकार बच गई। गहलोत और पायलट दोनों ने एक दूसरे को इसके लिए बधाई भी दी।

Update: 2020-08-17 08:57 GMT
बीटीपी के दोनों विधायकों ने इस साल की शुरुआत में जब विधानसभा में गहलोत सरकार ने अपना बहुमत साबित किया था, तब अशोक गहलोत का समर्थन किया था।

जयपुर: राजस्थान की सियासत ने एक बार फिर से करवट ली है। गहलोत सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव के ध्वनिमत से पारित होने के बाद कांग्रेस की सरकार बच गई।

गहलोत और पायलट दोनों ने एक दूसरे को इसके लिए बधाई भी दी। बताया जा रहा है गहलोत सरकार के प्रस्ताव के ध्वनिमत से पारित होने के पीछे सचिन पायलट की भी बड़ी भूमिका रही है।

उन्होंने गहलोत की तरह ही अपने विधायकों को एकजुट रहने के लिए कहा था। ऐसे में पायलट के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। इसे देखते हुए अब कांग्रेस आलाकमान भी पायलट के आत्म सम्मान की रक्षा करके गहलोत से उनके बीच पनपी दूरियों को कम करने में जुट गया है।

सूत्रों की मानें तो अशोक गहलोत को काफी कुछ अखर रहा है, लेकिन उन्हें अब थोड़ा सिकुड़ना होगा। कुछेक एक जगहों पर समझौता करना पड़ेगा और जरूरत पड़ी तो झुकना भी पड़ेगा।

सूत्र बताते हैं सचिन पायलट ने अब सब कुछ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, महासचिव केसी वेणुगोपाल और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर छोड़ दिया है। इसी को केंद्र में रखकर तीन सदस्यों की समिति गठित की गई है।

सचिन पायलट और अशोक गहलोत की फ़ाइल फोटो

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पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी कांग्रेस

सचिन पायलट के एक युवा साथी ने नाम न छापने की शर्त पर बातचीत में कहा कि उनके नेता (पायलट) ने विधानसभा से लेकर सड़क तक स्थिति स्पष्ट कर दी है।

राजस्थान की सरकार मजबूती के साथ अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा करेगी। वहीं कांग्रेस पार्टी के ही एक बड़े नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि जहां बर्तन होते हैं, कभी-कभी खनकते भी हैं। यह भी कुछ ऐसा ही था। सूत्र का कहना है कि यह दौर खत्म हो चुका है। राजस्थान की सरकार पर कोई खतरा नहीं है।

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सचिन पायलट, राहुल गांधी और अशोक गहलोत की फ़ाइल फोटो

कांग्रेस नेताओं के बीच मनमुटाव दूर करने के लिए उठाएगी ये कदम

बता दे कि कांग्रेस अध्यक्ष ने तीन वरिष्ठ नेताओं की समिति गठित कर उन्हें राजस्थान में सब कुछ सही करने का जिम्मा सौंपा है। इस समिति की सिफारिशों पर अगर ध्यान दें तो कांग्रेस अध्यक्ष अब अगला कदम उठाएंगी।

पहले कदम के तौर उन्होंने राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे को बदलकर, अजय माकन को नई जिम्मेदारी दी है। अविनाश पांडे के काम करने के तरीकों को लेकर सचिन पायलट पहले से एतराज जताते रहे हैं।

जबकि अशोक गहलोत के सामने अविनाश पांडे भी बहुत निष्पक्ष नहीं हो पाते थे। इसके पैरलर अजय माकन युवा हैं। राहुल गांधी के विश्वास पात्र भी हैं। केसी वेणुगोपाल पार्टी के संगठन महासचिव हैं। उन्हें भी राहुल गांधी और सोनिया गांधी का विश्वास हासिल है।

अहमद पटेल कभी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार हुआ करते थे। पार्टी में उनका एक अलग ओहदा है और जोड़तोड़ में निपुण हैं।

पटेल का सचिन पायलट से काफी मधुर सम्बन्ध है, वहीं अशोक गहलोत के साथ भी तालमेल हैं। कांग्रेस मानकर चल रही है कि आने वाले समय में सब कुछ फिर से अच्छा हो जाएगा।

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