राजस्थान में दो संसदीय व एक विधानसभा क्षेत्र में होना है उपचुनाव

Update: 2017-09-23 07:34 GMT

सेमीफाइनल होगा उपचुनाव

कपिल भट्ट की स्पेशल रिपोर्ट

जयपुर: प्रदेश में भाजपा के दो सांसदों व एक विधायक के निधन के बाद होने वाले उपचुनाव पर सबकी नजरें लगी हैं। पिछले एक महीने के दौरान राजस्थान में भाजपा के दो सांसदों व एक विधायक का निधन हुआ है। रविवार को अलवर सांसद महंत चांदनाथ का निधन हो गया। इससे पहले भाजपा के सांसद सांवरलाल जाट और भीलवाड़ा जिले की मांडलगढ़ सीट से विधायक कीर्ति कुमारी का निधन हो चुका है। लिहाजा अब सांसद सांवरलाल जाट के निधन से अजमेर लोकसभा सीट, चांदनाथ के निधन से अलवर लोकसभा सीट और विधायक कीर्ति कुमारी के निधन से मांडलगढ़ सीट पर छह माह में उपचुनाव कराने होंगे। राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए अब करीब एक साल का ही समय रह गया है। ऐसे में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए इन तीनों सीटों के उपचुनाव काफी अहमियत वाले होंगे। राज्य विधानसभा चुनाव से पहले यह भाजपा एवं कांग्रेस के लिए सेमीफाइनल होगा।

उपचुनावों का होगा गहरा राजनीतिक असर

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उपचुनाव में जीतने वाली पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा रहेगा। राजस्थान में भाजपा इस समय प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में है। विधानसभा में जहां काग्रेस के पास २०० में से मात्र २६ सीटे ही हैं वहीं लोकसभा अब तक लोकसभा की सभी २५ सीटों पर भाजपा का कब्जा था। अब दो सांसदों के निधन से भाजपा को ही नुकसान हुआ है। हालांकि संख्या बल के लिहाज से इन चुनावों का राजनीतिक समीकरणों पर कोई विषेष प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन इन चुनावों के नतीजों का गहरा राजनीतिक असर जरूर हो सकता है।

दोनों दलों ने शुरू कर दी हैं तैयारियां

सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री सांवर लाल जाट के निधन से रिक्त अजमेर सीट के लिए उपचुनाव की घोषणा से पहले दोनों पार्टियों ने तैयारियां शुरू कर दी है। पिछले चुनाव में सांवरलाल जाट ने इस सीट पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को करीब पौने दो लाख वोट से हराया था। उम्मीदवारी को लेकर अभी तक किसी भी पार्टी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं,लेकिन राजनीतिक हलकों में कयासों के घोड़े जरूर दौड़ाए जा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट यह चुनाव लडऩे के इच्छुक नहीं हैं। वे अगले साल होने जा रहे राज्य विधानसभा के चुनावों में पार्टी की चुनावी कमान संभालेंगे।

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ऐसे में यहां पर कांग्रेस की ओर से कोई नया चेहरा सामने आ सकता है। वहीं भाजपा की ओर से सांवरलाल जाट के बेटे ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस सीट पर होने वाला चुनाव काफी अहम हो गया है। मांडलगढ़ से भाजपा विधायक कीर्ति कुमारी के निधन की वजह से यह सीट रिक्त हुई है। कीर्ति कुमारी की पिछले दिनों स्वाइन फ्लू की वजह से मृत्यु हो गई थी। भाजपा ने लंबे संघर्ष के बाद यह सीट पिछले चुनाव में जीती थी। यहां पर सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी। अलवर से महंत चांदनाथ ने लोकसभा चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस नेता भंवर जितेंद्र सिंह को पौने तीन लाख वोट से हराया था। उपचुनाव में सिंह अपनी खोई हुई ताकत दिखाने का प्रयास करेंगे। माना जा रहा है कि वे कांग्रेस के प्रत्याशी हो सकते हैं।

राज्यसभा की एक सीट पर भी होनी है लड़ाई

माना जा रहा है कि यह उपचुनाव आगामी गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के साथ ही कराए जा सकते हैं। प्रदेश में एक सीट राज्यसभा की भी रिक्त है और इसके लिए कभी भी निर्वाचन आयोग कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है। लेकिन असली मुकाबला अलवर एवं अजमेर लोकसभा और मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में ही देखने को मिलेगा। राज्यसभा में प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू के उपराष्ट्रपति चुने जाने से रिक्त हुई है। विधानसभा में विधायकों के संख्या बल के हिसाब से भाजपा प्रत्याशी का राज्यसभा जाना तय है।

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