राजस्थान संकट: MP की घटना से आलाकमान सतर्क, खोल रखा है सुलह का रास्ता
पायलट ने अभी तक अपने रुख में किसी बदलाव का संकेत नहीं दिया है मगर मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिरने की घटना से सबक लेते हुए कांग्रेस आलाकमान फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है और पायलट और गहलोत के बीच सुलह के रास्ते की तलाश की जा रही है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट की बगावत के बाद पैदा हुए सियासी संकट का अभी अंत नहीं हुआ है। पायलट ने अभी तक अपने रुख में किसी बदलाव का संकेत नहीं दिया है मगर मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिरने की घटना से सबक लेते हुए कांग्रेस आलाकमान फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है और पायलट और गहलोत के बीच सुलह के रास्ते की तलाश की जा रही है।
आज फिर होगी विधायक दल की बैठक
इस बीच मंगलवार को भी कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। पायलट से भी बैठक में हिस्सा लेने की अपील की गई है। हालांकि उन्होंने अभी तक अपना रुख साफ नहीं किया है मगर उनके बैठक में भाग लेने की संभावना नहीं है। वैसे कांग्रेस आलाकमान राजस्थान के दो कद्दावर नेताओं में सुलह कराकर राज्य के सियासी संकट का तात्कालिक समाधान करने की कोशिश में जुटा हुआ है। आलाकमान की कोशिशों के संकेत भी साथ नजर आ रहे हैं।
पायलट का नाम लेकर कोई हमला नहीं
राजधानी जयपुर में सोमवार को दिन भर सियासी पारा चरम पर रहा मगर इस दौरान न तो गहलोत ने सार्वजनिक तौर पर सचिन पायलट का नाम लेकर कोई हमला किया और न ही पायलट की ओर से गहलोत को लेकर कोई बयान दिया गया। यह पहले ही साफ हो चुका था कि पायलट विधायक दल की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे।
यह भी पढ़ें...राजस्थान: कांग्रेस ने बुलाई बैठक, आज खत्म हो सकता है गहलोत-पायलट विवाद?
प्रस्ताव में पायलट के नाम का जिक्र नहीं
पहले चर्चा थी कि विधायक दल की बैठक में न जाने पर पायलट के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है मगर कांग्रेस पर्यवेक्षक रणदीप सुरजेवाला ने पायलट के प्रति नरम रुख अपनाते हुए उन्हें पार्टी का मजबूत सिपाही बताया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी उन्होंने भाजपा पर तो जमकर निशाना साधा मगर पायलट पर कोई भी हमला करने से साफ बचते नजर आए। विधायक दल की बैठक में अनुशासनहीनता करने वाले विधायकों पर कार्रवाई करने की बात तो कही गई मगर इस प्रस्ताव में भी पायलट का नाम का जिक्र नहीं किया गया।
हटाने के बाद पोस्टर फिर लगाए गए
जयपुर में स्थित कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में पायलट के भी काफी संख्या में पोस्टर लगे हुए थे। उनकी बगावत से नाराज कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कार्यालय से उनके पोस्टर हटा दिए। तब एक बार फिर ये चर्चाएं तेज हुईं कि पायलट को कांग्रेस से बाहर किया जा सकता है, लेकिन बाद में पायलट के पोस्टर फिर लगा दिए गए। एनएसआईयू के कार्यकर्ताओं पर पोस्टर हटाने का आरोप था मगर बाद में एनएसयूआई के अध्यक्ष ने कहा कि पोस्टर हटाने वाले असामाजिक तत्व थे। उन्होंने पोस्टर हटाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की भी बात कही।
यह भी पढ़ें...राजस्थान में सियासी संकट: कांग्रेस विधायक दल की दूसरी बैठक, पायलट पर नजरें
पायलट के भाजपा में जाने के संकेत नहीं
मीडिया में ऐसी खबरें आई थीं कि सोमवार को पायलट की भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात हो सकती है और वे भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं। लेकिन पायलट खेमे की ओर से बाद में स्पष्ट किया गया कि पायलट भाजपा में शामिल नहीं होंगे। ज्योतिरादित्य सिंधिया से पायलट की नजदीकी के बावजूद दिल्ली में ऐसी कोई गतिविधि नहीं दिखी जिससे यह पता चले कि पायलट भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं।
मानी जा सकती हैं पायलट की कुछ मांगें
सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस आलाकमान अभी सुलह का रास्ता तलाशने की कोशिश में जुटा हुआ है और पायलट की कुछ मांगे मानी जा सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक पायलट इन खबरों से नाराज बताए जा रहे हैं कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया जाएगा। कांग्रेस आलाकमान की ओर से उनका प्रदेश अध्यक्ष पद बरकरार रखा जा सकता है। साथ ही एसओजी की ओर से उन्हें जारी की गई नोटिस को भी वापस लिया जा सकता है। गहलोत सरकार में एक और डिप्टी सीएम की ताजपोशी न करने की पायलट की मांग भी मानी जा सकती है। इसके साथ ही उनके समर्थक विधायकों को सम्मानजनक तरीके से एडजस्ट करने की मांग भी पूरी की जा सकती है।
यह भी पढ़ें...समर्थकों के साथ दिखे सचिन पायलट, सामने आई ये पहली तस्वीरें
पायलट के प्रति नरम रुख
इस बीच कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि मंगलवार को भी कांग्रेस विधायक दल की बैठक होगी। उन्होंने कहा मैंने सचिन पायलट समेत उनके सभी समर्थक विधायकों से इस बैठक में हिस्सा लेने की अपील की है ताकि उनके साथ बैठकर राजनीति की स्थिति पर चर्चा की जा सके और यदि कोई मतभेद है तो उसे दूर किया जा सके। सुरजेवाला ने सोमवार को भी पायलट को लेकर काफी नरम बयान दिया था और उनके बयान से साफ है कि वे सुलह का रास्ता खुला रखना चाहते हैं ताकि मध्य प्रदेश जैसे झटके से राजस्थान में बचा जा सके।
देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।