मिशन 2019 : संघ ने बनायी रणनीति, पांच बड़े समागम से जन-गण-मन को जोड़ने की जुगत

Update: 2018-07-29 12:45 GMT

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चनाव में फिर से भारी विजय दिलाने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने कमर कस ली है। आगामी जनवरी में होने वाले प्रयाग कुंभ और उससे पहले पड़ने वाले त्यौहारों को अब जन-जन से जुड़ने की जुगत में संघ ने बहुत ही ठोस रणनीति बना ली है। इसके लिए संघ ने पांच ऐसे स्थानों का चयन किया है जहां से वह राष्ट्रवाद का हुंकार भर कर भाजपा के लिए अनुकूल माहौल बना सकेगा। ये पांच स्थान होंगे वृन्दावन, अयोध्या , वाराणसी, प्रयाग और लखनऊ।

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पांच ऐसे बड़े धार्मिक समागम

खबर यह है कि लोकसभा चुनाव 2019 से पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने केवल उतर प्रदेश में पांच ऐसे बड़े धार्मिक समागम कराने का फैसला किया है जिससे माहौल हिदुत्व के लिए अनुकूल बने। ये समागम अयोध्या, वृंदावन, वाराणसी, प्रयाग और लखनऊ में इसी साल नवंबर, दिसंबर में कराए जाएंगे। कुंभ के आयोजन से इसको जोड़ कर इसके जरिये कुंभ का महत्व बताया जाएगा। कोशिश होगी कि देश के सभी राज्यों के साथ ही बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक इलाहाबाद के कुंभ मेला में आएं। कुंभ की शुरुआत जनवरी 2019 से होगी।

गोरक्ष, अवध, काशी और कानपुर के प्रांत प्रचारकों को जिम्मेदारी

बताया जा रहा है कि अब गोरक्ष, अवध, काशी और कानपुर के प्रांत प्रचारकों के साथ ही स्वयं सेवकों को इस बारे में जानकारी दी गई है। अब हर जगह धार्मिक समागम के आयोजन की तैयारी चल रही है। सूत्र बता रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 सीटों का महत्व होता है। इस लिहाज से धार्मिक समागम को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। संघ की कोशिश है कि ऐसा वातावरण बना दिया जाए जिससे अधिक से अधिक हिंदू मतदाता भाजपा से जुड़ सकें।

सभी समागम राष्ट्रीय स्तर के होंगे

संघ सूत्रों का कहना है कि यूपी में होने वाले सभी समागम राष्ट्रीय स्तर के होंगे। इसमें देश के सभी राज्यों के स्वयं सेवक हिस्सा लेंगे। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ ही तमाम पदाधिकारी भी आएंगे। सूत्रों ने बताया कि धार्मिक समागम के बहाने आरएसएस सामाजिक समरसता का संदेश देगा। कुंभ की सफलता के बहाने ही मिशन 2019 का आगाज भी होगा।

जनसंवाद का सबसे बढ़िया जरिया धार्मिक और वैचारिक समागम

इस बारे में बात करने पर गोरक्ष प्रांत के प्रचारक मुकेश विनायक खांडेक कहते हैं कि कुंभ का एतिहासिक, पौराणिक महत्व है। इसकी जानकारी देश, दुनिया को हो और वहां के लोग कुंभ में आएं। इसका सबसे अच्छा जरिया धार्मिक और वैचारिक समागम है। इसके जरिए लोगों तक सीधे पहुंच बन सकेगी। अधिक से अधिक लोग हमारी विरासत से अवगत होंगे। इसमें सरकार का सहयोग भी रहेगा।

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