यूपी चुनाव: पंजे ने पकड़ी साइकिल, कांग्रेस को 80 सीटें दे सकती है सपा, तालमेल लगभग तय

Update: 2016-12-09 18:12 GMT

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी व कांग्रेस के बीच आगामी चुनावों के लिए सीटों के तालमेल की बातचीत निर्णायक दौर में पहुंच गई है। सपा व कांग्रेस दोनों दलों के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि समझौते में कांग्रेस को 80 सीटें देने पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है। कांग्रेस के प्रमुख रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने इस सप्ताह के शुरू में दिल्ली में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह से लंबी बातचीत की है। यूपी में आगामी मार्च-अप्रैल में चुनाव होना है।

आखिर झुकी कांग्रेस

कांग्रेस सूत्रों ने स्वीकार किया है कि 403 विधानसभा वाली सीटों में से कांग्रेस शुरू में कम से कम 120 सीटें तालमेल के तौर पर मांग रही थी लेकिन सपा 50सीटों से ज्यादा सीटें देने को राजी नहीं थी। मौजूदा विधानसभा में कांग्रेस के 28विधायक चुनकर आए थे इनमें से करीब 8-9 विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा,सपा व बसपा में शामिल हो चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि सपा ने कांग्रेस को ऐसी सीटें आॅफर की हैं जहां उसके पास बसपा व भाजपा के मुकाबले मजबूत उम्मीदवार नहीं है और दूसरा कांग्रेस के पास उन सीटों पर ऐसा चेहरा मौजूद है जो भाजपा व बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की हालत में हो।

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अखिलेश की मर्जी

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सपा व कांग्रेस के बीच सीटों के तालमेल की बातचीत मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व संसदीय पार्टी के नेता रामगोपाल यादव के रोडमैप के बाद आगे बढाया था। अखिलेश यादव सार्वजनिक तौर पर कांग्रेस से तालमेल की वकालत कर चुके हैं, उनका मानना है कि अगर सपा व कांग्रेस तालमेल करके चुनाव लड़ेंगे तो वे राज्य में कम से कम 300 सीटें जीत सकते हैं।

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मुस्लिम वोटों पर नजर

सपा ने सोच समझकर कांग्रेस को साथ लेने का फैसला किया है। सूत्रों का कहना है कि राष्टीय स्तर पर कांग्रेस का साथ सपा को इसलिए जरूरी लग रहा है क्योंकि उसके लिए यूपी में अपने बूते पर मुस्लिम वोट बैंक को साथ रखने में सहूलियत होगी। वजह यह है कि पिछले एक साल से मुस्लिम वोटों का सपा से मोहभंग हुआ है। सपा का टारगेट साफ है कि वह कांग्रेस को साथ लेकर सत्ता विरोधी भावनाओं के साथ ही कांग्रेस के आधार वाली उच्च जातियों के वोट हासिल करने की जुगत भिड़ा रही है।

चौधरी अजित सिंह के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय लोकदल जिसका पश्चिमी यूपी में जाट व बाकी कुछ समुदायों पर अच्छा असर है, वह जदयू व कांसीराम के पुराने सहयोगी रहे आरके चौधरी के साथ मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ने का ऐलान पहले ही कर लिया है।

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मुश्किल होगी डगर

कांग्रेस के साथ सपा के तालमेल के बाद अजित सिंह व जदयू के साथ बड़ा मोर्चा बनने की संभावनाएं कम हो गई हैं क्योंकि उनके लिए सीटों की गुंजाइश रखना मुश्किल होगा। सपा सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस को तालमेल में सीटें के बंटवारा सपा के लिए भी मुश्किलें खड़ी करेगा क्योंकि उसे अपने कई मजबूत दावेदारों को टिकट से वंचित करना होगा।

 

 

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