टेढ़ा है, पर मेरा है ! त्रिवेन्द्र सिंह ने बढ़ा दी दागी ओमप्रकाश की ताकत

Update: 2017-05-20 09:36 GMT

राजेश डोबरियाल

देहरादून : उत्तराखंड के गठन के समय से ही यह परिपाटी बन गई थी, कि मुख्यमंत्री तक पहुंचने के लिए एक खास दरवाजा बना दिया जाए और इस दरवाजे पर अपने किसी खास अफसर को बैठा दिया जाए। नारायण दत्त तिवारी से लेकर हरीश रावत तक सभी मुख्यमंत्रियों के पसंदीदा अधिकारी सत्ता की धुरी बने रहे हैं। ईमानदार छवि के राजनेता रहे लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) भुवन चंद्र खंडूड़ी के कार्यकाल में प्रभात कुमार सारंगी ने तो ऐसी धुनें बजाईं, कि विधायकों व मंत्रियों तक को मुख्यमंत्री से मिलने के लिए सारंगी की इजाजत लेनी पड़ती थी।

यह सारंगी की ही करतूतों का नतीजा था कि अच्छी छवि के बावजूद खंडूड़ी को आधे कार्यकाल में ही कुर्सी गंवानी पड़ी थी। जनसेवा के नाम पर कुर्सी संभालने वाले नेता कुछ ही समय बाद राजा बन जाते हैं, और वही देखते-सुनते हैं जो उनके मन को भाता है। उत्तराखंड के नए राजा ने भी अच्छे-बुरे की परिभाषा को ताक पर रखकर अपने चहेते अफसर की ताकत बढ़ा दी है।

बीते सोमवार को विभागों में फेरबदल के नाम पर मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के विभाग बढ़ा दिए गए हैं। उन्हें लोक निर्माण और राज्य संपत्ति का भी अपर मुख्य सचिव बना दिया गया है। मुख्यमंत्री के पास मौजूद 40 विभागों का काम भी एक तरह से ओमप्रकाश ही देख रहे हैं। इन विभागों में स्वास्थ्य जैसा महत्वपूर्ण विभाग भी शामिल है जिसकी राज्य में हालत बेहद खराब है। कम से कम इस विभाग को तो एक सक्रिय और जिम्मेदार मंत्री तो जरूर मिलना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

नोटिस के बावजूद ओमप्रकाश के पर नहीं कतरे

खास बात यह है कि ओनिडा अग्निकांड में ओमप्रकाश के खिलाफ हाईकोर्ट का नोटिस जारी होने के बाद यह उम्मीद जताई जा रही थी, कि ओमप्रकाश के पर कतरे जा सकते हैं, लेकिन इसके ठीक विपरीत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उन्हें और शक्तिशाली बना दिया। इसी मामले में नोटिस जारी होने के बाद देहरादून के एसएसपी की रेस में आगे माने जा रहे केवल खुराना का पत्ता काटकर निवेदिता कुकरेती को राजधानी का एसएसपी बना दिया गया।

कहने वाले कह रहे हैं कि ढेंचा बीज घोटाले के समय तत्कालीन कृषि मंत्री त्रिवेंद्र रावत और तत्कालीन कृषि सचिव ओमप्रकाश के बीच बेहतर समझ विकसित हुई है और इसी कारण ओमप्रकाश को जारी नोटिस की अनदेखी कर दी गयी।

ओनिडा अग्निकांड के समय गृह सचिव थे ओमप्रकाश

नैनीताल हाईकोर्ट ने साल 2012 में हरिद्वार में ओनिडा कंपनी में हुए अग्निकंाड में 11 लोगों की मौत के मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर याचिका पर राज्य सरकार, सचिव ओमप्रकाश, आईपीएस केवल खुराना एसएचओ रवींद्र डंडरियाल और सीबीआई को नोटिस भेजकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

याचिकाकर्ता रवींद्र कुमार ने हाइकोर्ट से इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। उनके इकलौते बेटे की भी इस अग्निकांड में मौत हो गई थी। रवींद्र कुमार का आरोप है कि पुलिस शुरू से ही इस मामले में ओनिडा के मालिक और प्रबंधक को बचाने का प्रयास कर रही थी। उनका यह भी आरोप है कि मामले में बड़े लोगों के आरोपी होने के चलते पुलिस इसकी जांच में ढिलाई बरत रही है।

इस अग्किांड के समय ओमप्रकाश प्रमुख सचिव, गृह थे। जांच में फैक्ट्री प्रबंधन की भारी लापरवाही सामने आई थी। पता चला कि फैक्ट्री में न तो अग्निशमन के कोई इंतजाम थे और न ही अग्निशमन विभाग से एनओसी ली गई थी। शुरुआती जांच पड़ताल के बाद पुलिस ने मजबूत साक्ष्यों के आधार पर जब फैक्ट्री के मालिक मीरचंदानी के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया तो गृह विभाग के स्तर से मामले में हस्तक्षेप किया गया। पुलिस मीरचंदानी की गिरफ्तारी कर चुकी थी, लेकिन मुकदमा दर्ज करने का आदेश देने वाले हरिद्वार के तत्कालीन एसएसपी के तबादले से लेकर जांच अधिकारी तक को बदल दिया गया।

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