67 साल के हुए तेलंगाना के CM चंद्रशेखर राव, जानें उनका राजनीतिक सफर

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) का आज जन्मदिन है। उनका पूरा नाम कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव है। भारत के 29वें राज्य के रूप में तेलंगाना अस्तित्व में आया और चंद्रशेखर राव इसके पहले मुख्यमंत्री हैं।

Update: 2021-02-17 05:46 GMT
67 साल के हुए तेलंगाना के CM चंद्रशेखर राव, जानें उनका राजनीतिक सफर

लखनऊ: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) का आज जन्मदिन है। उनका पूरा नाम कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव है। भारत के 29वें राज्य के रूप में तेलंगाना अस्तित्व में आया और चंद्रशेखर राव इसके पहले मुख्यमंत्री हैं। आज उनके जन्मदिन पर राज्य में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। आईये जानते हैं के. चंद्रशेखर राव से जुड़ी कुछ रोचक बातें...

शुरुआत से ही थी राजनीति में दिलचस्पी

के. चंद्रशेखर राव का जन्म 17 फरवरी 1954 को आंध्रप्रदेश के मेदक जिले के चिंतामदका गांव में हुआ था। तेलंगाना राज्य आंध्र प्रदेश से अलग होने के बाद वह सत्ता में आए। वह क्षेत्रीय राजनीतिक दल तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेता और अध्यक्ष हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा आंध्र प्रदेश में ही हुई और उन्होंने हैदराबाद स्थित उस्मानिया यूनिवर्सिटी से साहित्य में स्नात्कोत्तर की डिग्री ली। 1970 में पढ़ाई के दौरान ही केसीआर राजनीति में दिलचस्पी लेने लेगे। पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने रोजगार सलाहकार के तौर पर काम करना शुरू किया।

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हालांकि इस दौरान उनकी राजनीति में सक्रियता उनकी बढ़ती गई। 1985 में वे तेलुगू देशम पार्टी में शामिल हुए और विधानसभा चुनाव में उन्हें सफलता मिली। 1987 से 1988 तक वे आंध्र प्रदेश में राज्यमंत्री रहे। 1997-99 के मध्य वे केंद्र सरकार में भी मंत्री रहे। 1999 से 2001 तक चंद्रशेखर राव आंध्रप्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष भी रहे।

अलग राज्य की मांग करते हुए लड़ी लंबी लड़ाई

2001 में अलग तेलंगाना राज्य की मांग करते हुए उन्होंने तेलुगू देशम पार्टी से इस्तीफा दे दिया और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का गठन कर 2004 में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लोकसभा चुनाव में उतरे। इस चुनाव में टीआरएस को पांच सीटों पर सफलता मिली। केंद्र की यूपीए-1 सरकार में 2004 से 2006 तक उन्होंने केंद्रीय श्रम और नियोजन मंत्री के पद पर काम किया।

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लगातार दूसरी बार बने राज्य के मुख्यमंत्री

अगस्त 2006 में, उन्होंने तेलंगाना के कारण केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया और नई दिल्ली में जंतर मंतर में भूख हड़ताल पर बैठे। 2008 में भी उन्होंने ठीक इसी तरह अपने 3 सांसदों और 16 विधायकों के साथ फिर इस्तीफा दिया और दूसरी बार सांसद चुन लिए गए। जून 2009 तक वे यूपीए सरकार में थे, लेकिन अलग तेलंगाना राष्ट्र पर यूपीए के अंदर उन्हें नकारात्मक रवैया दिखा जिसकी वजह से वे यूपीए से बाहर आ गए। जून 2014 में तेलंगाना राज्य के गठन के बाद उन्होंने राज्य के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। दिसंबर 2018 को उन्होंने दूसरी बार और तेलंगाना के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।

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