ममता का सबसे बड़ा सियासी दांव, अपने लिए इस कारण चुना नंदीग्राम का रणक्षेत्र

ममता बनर्जी ने अपने सियासी जीवन का सबसे बड़ा दांव चलते हुए उस नंदीग्राम को चुना है जो उनके सियासी उभार का सबसे बड़ा हथियार बना था। नंदीग्राम से ममता के चुनाव मैदान में उतरने से टीएमसी को दक्षिण बंगाल में बड़ा लाभ मिल सकता है।

Update:2021-01-19 11:43 IST
एआईएमआईएम इस महीने पश्चिम बंगाल के 4 शहरों में 4 अलग-अलग प्रतिनिधिमंडल भेजेगी। पार्टी के इस प्रतिनिधिमंडल में 5-5 सदस्य होंगे।

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की सियासत में भारतीय जनता पार्टी से दो-दो हाथ करने पर उतारू मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आखिरकार अपने चुनाव क्षेत्र का खुलासा कर दिया है। ममता बनर्जी ने अपने सियासी जीवन का सबसे बड़ा दांव चलते हुए उस नंदीग्राम को चुना है जो उनके सियासी उभार का सबसे बड़ा हथियार बना था। नंदीग्राम से ममता के चुनाव मैदान में उतरने से टीएमसी को दक्षिण बंगाल में बड़ा लाभ मिल सकता है। इसके साथ ही ममता अपनी पार्टी के बागी नेता शुभेंदु अधिकारी को भी सबक सिखाना चाहती हैं।

ममता के लिए लकी रहा है नंदीग्राम

ममता ने अपने चुनाव क्षेत्र के रूप में नंदीग्राम का एलान करते हुए उसे कई बार अपने लिए लकी भी बताया। वैसे उन्होंने नंदीग्राम के साथ ही भवानीपुर सीट से भी चुनाव लड़ने का संकेत दिया है। सोमवार को नंदीग्राम में एक बड़ी रैली को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने उन लोगों पर निशाना साधा जो टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं। हालांकि अपने संबोधन के दौरान ममता ने 2016 में टीएमसी उम्मीदवार के रूप में नंदीग्राम सीट जीतने वाले शुभेंदु अधिकारी का नाम नहीं लिया।

टीएमसी छोड़ने वालों की चिंता नहीं

उन्होंने कहा कि टीएमसी छोड़कर दूसरे दलों में जाने वालों की उन्हें कोई चिंता नहीं है क्योंकि जिस समय तृणमूल कांग्रेस का गठन हुआ था तब उनमें से कोई भी नहीं था। सियासी जानकारों के मुताबिक ममता का इशारा साफ तौर पर शुभेंदु अधिकारी समेत उन पार्टी नेताओं की ओर था जिन्होंने हाल में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है।ममता ने साफ तौर पर कहा कि जिन नेताओं ने पिछले कुछ सालों के दौरान धन की लूट की है और वे अब अपना धन बचाने के लिए पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं।

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नंदीग्राम और सिंगुर इसलिए हैं महत्वपूर्ण

पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा के सरकार के पतन में सिंगुर और नंदीग्राम के आंदोलन की बड़ी भूमिका मानी जाती है। नंदीग्राम में हुए गोलीकांड में 14 किसानों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा किसानों के गायब होने का दावा किया गया था। बाद में हुए विधानसभा चुनाव में ये दो आंदोलन वाम शासनकाल के पतन का सबसे बड़ा कारण बने और ममता ने इसे अपना सबसे बड़ा हथियार बना लिया। ममता बनर्जी एक बार फिर भाजपा के खिलाफ अपने अस्तित्व की बड़ी सियासी लड़ाई लड़ रही हैं। ऐसे में उन्होंने काफी सोच समझकर नंदीग्राम के रूप में रण क्षेत्र का चयन किया है।

शुभेंदु को ममता की चुनौती स्वीकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह ममता बनर्जी भी सबकुछ दांव पर लगाकर सियासी लड़ाई लड़ने वाली शख्सियत रही हैं। ममता को पता है कि उन्हें नंदीग्राम में बड़ी सियासी लड़ाई लड़नी होगी। टीएमसी के बागी और अब भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी ममता की चुनौती को स्वीकार कर लिया है।

उन्होंने ताल ठोककर कहा है कि अगर उन्होंने नंदीग्राम में ममता बनर्जी को नहीं हराया तो वे राजनीति छोड़ देंगे। उन्होंने टीएमसी को प्राइवेट लिमिटेड पार्टी बताते हुए ममता को 50,000 से अधिक मतों से हराने का दावा किया।

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टिकट मिला तो हराने का किया दावा

हालांकि शुभेंदु अधिकारी ने यह भी कहा कि उनकी उम्मीदवारी पर आखिरी फैसला भाजपा के शीर्ष नेता विचार विमर्श के बाद लेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा में टीएमसी की तरह मनमाने फैसले नहीं लिए जाते।

उन्होंने कहा कि यदि भाजपा ने मुझे नंदीग्राम से चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया तो मैं निश्चित रूप से ममता को 50,000 से अधिक वोटों से हराऊंगा अन्यथा राजनीति छोड़ दूंगा। उन्होंने ममता बनर्जी पर नंदीग्राम की जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का भी आरोप लगाया।

भाजपा को जवाब देने की कोशिश

सियासी जानकारों का मानना है कि पश्चिम बंगाल का रणक्षेत्र दिन-प्रतिदिन दिलचस्प होता जा रहा है। ममता बनर्जी को पता है कि उन्हें सत्ता से बेदखल करने के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है।

टीएमसी की ओर से वाममोर्चा और कांग्रेस को ममता के हाथ मजबूत करने के लिए दिया गया प्रस्ताव भी ठुकराया जा चुका है। ऐसे में अब ममता को अकेले ही भाजपा की चुनौती का सामना करना है।

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बड़ा संदेश देना चाहती हैं ममता

इस चुनौती से दो-दो हाथ करने के लिए ममता ने खुद को तैयार कर लिया है और यही कारण है कि वे नंदीग्राम से चुनाव लड़कर भाजपा को बड़ा संदेश देना चाहती हैं। नंदीग्राम से शुभेंदु अधिकारी को चुनाव मैदान में उतारे जाने की बात तय मानी जा रही है। ऐसे में नंदीग्राम एक बार फिर पश्चिम बंगाल की सियासत का भविष्य लिखने वाला रणक्षेत्र साबित होगा।

नंदीग्राम की चुनावी रैली में ममता ने खुद कहा कि यह क्षेत्र उनके लिए काफी लकी रहा है मगर देखने वाली बात यह होगी कि 2021 के चुनावी रण में यह क्षेत्र उनके लिए लकी साबित होता है या उनके सियासी भविष्य का ताला बंद कर देता है।

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