नंदीग्राम का संग्राम: ध्रुवीकरण की जमीन तैयार, ममता को मिलेगी कड़ी चुनौती

शुभेंदु अधिकारी ने ममता को हराने तक का दावा कर डाला है। नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में रहने वाली आबादी में करीब 70 फीसदी हिंदू हैं जबकि शेष मुसलमान है।

Update:2021-01-21 10:17 IST

अंशुमान तिवारी

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में इस बार सबसे बड़ा संग्राम नंदीग्राम में दिखेगा। तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नंदीग्राम से चुनाव लड़ने के एलान के बाद हर किसी की नजर अब इसी चुनाव क्षेत्र पर लगी है। हालांकि इस चुनाव क्षेत्र को लेकर भाजपा की ओर से अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं मगर यह तय माना जा रहा है कि भाजपा की ओर से शुभेंदु अधिकारी को ही इस चुनाव क्षेत्र से लड़ाया जाएगा। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने इस बात का संकेत भी दिया है।

यही कारण है कि शुभेंदु अधिकारी ने ममता को हराने तक का दावा कर डाला है। नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में रहने वाली आबादी में करीब 70 फीसदी हिंदू हैं जबकि शेष मुसलमान है। भूमि अधिग्रहण के खिलाफ खूनी संघर्ष का गवाह रहा नंदीग्राम चुनाव से पहले ही सांप्रदायिक आधार पर ब॔टा हुआ नजर आ रहा है।

नंदीग्राम की दीवारों पर जय श्रीराम का नारा

भूमि अधिग्रहण के खिलाफ संघर्ष के कारण नंदीग्राम कभी राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहा है। 2007 में प्रदेश की तत्कालीन वामपंथी सरकार की ओर से यहां विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) बनाने के खिलाफ संघर्ष हुआ था। नंदीग्राम में हुए गोलीकांड में 14 किसानों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा किसानों के गायब होने का दावा किया गया था।

उस समय एक ही नारा गूंजा करता था- तुम्हारा नाम, मेरा नाम, नंदीग्राम, नंदीग्राम मगर अब यह इलाका उस समय से काफी आगे निकल आया है। अब नंदीग्राम की दीवारों पर जगह-जगह जय श्रीराम का नारा प्रमुखता से लिखा हुआ दिखाई पड़ता है।

दो नायकों में संघर्ष की जमीन तैयार

विधानसभा क्षेत्र में बढ़ते सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की सबसे बड़ी वजह कभी तृणमूल कांग्रेस के प्रमुख नेता रहे शुभेंदु अधिकारी के भाजपा में शामिल होने और फिर ममता के यहां से चुनाव लड़ने की घोषणा को बताया जा रहा है। ‌ मजे की बात यह है कि ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी दोनों ही नंदीग्राम आंदोलन के नायक माने जाते रहे हैं और अब समय ने ऐसी करवट ली है कि इस चुनाव क्षेत्र में दो नायकों के बीच ही संघर्ष की जमीन तैयार हो गई है।

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अब बदले नजर आ रहे हैं हालात

पश्चिम बंगाल की सियासत में वामदलों और कांग्रेस को हाशिए पर धकेलने में ममता बनर्जी ने कभी नंदीग्राम को ही बड़ा हथियार बनाया था और अब नंदीग्राम में ही ममता बनर्जी को भाजपा से बड़ी सियासी जंग लड़नी होगी। नंदीग्राम में हिंसा की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं।

वर्ष 2007 से 2011 के बीच यहां हुए संघर्ष में कई लोग मारे गए थे मगर तब भी कभी सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण नहीं हुआ था और मतभेद पूरी तरह राजनीतिक ही दिखते थे मगर अब स्थितियां बदलती हुई नजर आ रही हैं।

टीएमसी को बताया जा रहा जिम्मेदार

वैसे इलाके के कुछ जानकारों का मानना है कि इलाके में सांप्रदायिक विभाजन के लिए टीएनसी ही जिम्मेदार है क्योंकि टीएमसी ने मुस्लिम तुष्टीकरण की अपनी नीति को जारी रखा। इससे एक समुदाय के लोग दूसरे समुदाय के खिलाफ खड़े होते नजर आ रहे हैं।

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इलाके के जानकारों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के दौरान हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर लड़ाई लड़ी, लेकिन कुछ मुट्ठी भर नेता और एक समुदाय विशेष के लोगों को ही ज्यादा फायदा मिला और इसे लेकर अब दूसरे समुदाय के लोगों में नाराजगी है और ऐसे लोग चुनाव के दौरान टीएमसी को सबक सिखा सकते हैं।

तुस्टीकरण के भुगतने होंगे नतीजे

तमलुक जिले के भाजपा महासचिव गौर हरी मैती का कहना है कि इस इलाके में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए टीएमसी की तुष्टीकरण की राजनीति ही जिम्मेदार है। उनका कहना है कि अगर आप बहुसंख्यक समुदाय को उसके अधिकारों से वंचित कर देंगे तो निश्चित रूप से आपको उसके दुष्परिणाम भुगतने होंगे।

दूसरी और टीएमसी के पूर्वी मिदनापुर के प्रमुख अखिल गिरी को भरोसा है कि नंदीग्राम अपना धर्मनिरपेक्ष चरित्र बनाए रखेगा और चुनाव में सांप्रदायिक आधार पर कोई ध्रुवीकरण नहीं होगा। उनका दावा है कि नंदीग्राम धर्मनिरपेक्षता का केंद्र रहा है और आगे भी रहेगा।

बागियों को सबक सिखाने में जुटीं ममता

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का एलान काफी सोच-समझकर किया है। वे टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले बागियों को सबक भी सिखाना चाहती हैं।

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शुभेंदु अधिकारी ने भाजपा की सदस्यता लेकर टीएमसी को भारी झटका दिया है और ऐसे में ममता शुभेंदु अधिकारी से अपना हिसाब बराबर करना चाहती हैं। दूसरी ओर शुभेंदु अधिकारी को नंदीग्राम के मतदाताओं पर पूरा भरोसा है और वे ममता की चुनौती स्वीकार करने को तैयार हैं। उन्होंने तो चुनाव से पहले ही ममता बनर्जी को 50,000 से अधिक मतों से हराने का दावा तक कर डाला है।

ममता के खिलाफ शुभेंदु का उतरना तय

वैसे शुभेंदु अधिकारी का यह भी कहना है कि भाजपा की ओर से अभी तक उन्हें यहां से टिकट देने का कोई एलान नहीं किया गया है और पार्टी विचार-विमर्श के बाद ही उम्मीदवार तय करेगी। वैसे यह तय माना जा रहा है कि नंदीग्राम के संग्राम में ममता बनर्जी के खिलाफ शुभेंदु अधिकारी को ही मैदान में उतारा जाएगा।

शुभेंदु अधिकारी ने राज्य के दूसरे हिस्सों में भाजपा की रैलियों के साथ ही नंदीग्राम में अपनी चुनावी रणनीति पर भी ध्यान देना शुरू कर दिया है। सियासी जानकारों का मानना है कि वैसे तो पश्चिम बंगाल की सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा और टीएमसी के बीच बड़ी सियासी जंग दिखेगी, लेकिन सबसे बड़ा संग्राम नंदीग्राम में ही होगा।

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