पंजाब कांग्रेस में घमासान, चुनाव से पहले आपस में उलझे नेता, राहुल की चुप्पी पर सवाल

पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू समेत पार्टी के कई नेताओं ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Monika
Update:2021-05-27 20:51 IST

राहुल गांधी (फोटो : सोशल मीडिया )

नई दिल्ली: पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में आंतरिक कलह चरम पर पहुंच गई है। पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू समेत पार्टी के कई नेताओं ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। कई सांसद भी इस घमासान में कूद पड़े हैं और अपनी ही सरकार के कामकाज पर सवाल उठा रहे हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी विरोधियों को जवाब देने के लिए समीकरण साधने में लगे हुए हैं।

अब इस मामले में आलाकमान की चुप्पी पर भी सवाल उठने लगे हैं। दोनों पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर बैटिंग कर रहे हैं मगर अभी तक आलाकमान ने इस मामले में कोई दखल नहीं दिया है। पार्टी से जुड़े जानकारों का कहना है कि कैप्टन विरोधी खेमा भी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी है और इसी कारण उन्होंने अभी तक इस मामले में चुप्पी साध रखी है।

दोनों पक्षों की ओर से मोर्चेबंदी

पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं मगर चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत बनाने की जगह पार्टी नेता आपस में ही भिड़े हुए हैं। दोनों पक्षों की ओर से एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चेबंदी की जा रही है। दोनों खेमों की ओर से खुलकर बयानबाजी किए जाने के कारण पार्टी और सरकार की छवि को भी धक्का लग रहा है मगर अभी तक इस मामले में आलाकमान की चुप्पी पर तमाम सवाल खड़े कर रही है। हर किसी की नजर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर टिकी हुई है मगर राहुल गांधी ने अभी तक दोनों पक्षों को समझाने की कोई कोशिश नहीं की है।

कैप्टन अमरिंदर सिंह (फोटो: सोशल मीडिया ) 

कैप्टन विरोधी अधिकांश नेता राहुल के करीबी

कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनकी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करने वाले अधिकांश नेता राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं। जानकारों का कहना है कि यही कारण है कि राहुल गांधी अभी खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं।

पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और परगट सिंह की कांग्रेस में एंट्री प्रियंका वाड्रा के जरिए जरूर हुई थी मगर इस मामले में राहुल गांधी की भी पूरी सहमति थी। कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलने वाले राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा को भी राहुल गांधी का करीबी माना जाता है।

कैप्टन को नहीं मना सके थे राहुल

बाजवा पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं और उस समय भी उनकी कैप्टन अमरिंदर सिंह से पटरी नहीं बैठती थी। उस समय राहुल गांधी तीन बार पंजाब दौरे पर आए थे मगर उन्होंने बाजवा को समझाने के बजाय मजबूत बनाने की कोशिश की थी। हालांकि बाद में कैप्टन ने उन्हें बैकफुट पर ढकेल दिया।

कैप्टन ने हाईकमान पर ऐसा जबर्दस्त दबाव बनाया कि 2015 में हाईकमान कैप्टन को ही अध्यक्ष बनाने पर मजबूर हो गया। बाजवा को अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद राज्यसभा का सदस्य बनाकर उनकी नाराजगी दूर की गई थी। कैप्टन के एक और विरोधी रवनीत सिंह बिट्टू भी राहुल की मदद से ही सांसद का टिकट पाने में कामयाब हुए थे।

 ट्रैक्टर यात्रा (फोटो: सोशल मीडिया )

राहुल की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले इन सभी नेताओं ने मौजूदा दौर में कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। सियासी जानकारों का कहना है कि इसी कारण राहुल गांधी ने अभी तक खुद को पंजाब के घमासान से दूर कर रखा है।

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ जब माहौल गरमाया था तो पिछले साल राहुल गांधी ने 3 दिनों तक पंजाब में डेरा डाल रखा था और यहीं से ट्रैक्टर यात्रा की शुरुआत की थी। मौजूदा समय में जब पंजाब कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है तो राहुल की चुप्पी को लेकर पार्टी में ही सवाल उठ रहे हैं।

कैप्टन के आगे हाईकमान भी मजबूर

वैसे प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि राहुल चाह कर भी पंजाब कांग्रेस में बहुत कुछ करने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं। 2015 में वे चाहकर भी बाजवा की कुर्सी नहीं बचा सके थे। मौजूदा समय में भी पार्टी हाईकमान चाह कर भी सिद्धू की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी नहीं करा पा रहा है। इसी कारण राहुल गांधी पंजाब के मामले में सीधा दखल देने से बच रहे हैं।

रावत भी नहीं करा सके थे सुलह

कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच विवाद काफी दिनों से चल रहा है। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने दोनों वरिष्ठ नेताओं में सुलह कराने की काफी कोशिश की मगर उन्हें भी कामयाबी नहीं मिल सकी। रावत की पहल पर दो बार कैप्टन और सिद्धू की मुलाकात हुई मगर इसके बावजूद दोनों नेताओं के मतभेद नहीं दूर हो सके।

इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने जल्द ही पार्टी में सबकुछ सामान्य हो जाने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी में चल रही खींचतान के बारे में पार्टी आलाकमान को पूरी जानकारी है। जाखड़ ने कहा कि कुछ लोग आपदा में अवसर की तलाश में जुटे हुए हैं मगर ऐसे लोगों को कोई कामयाबी नहीं मिलने वाली।

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