Chintan Shivir: पंजाब में कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने दिया इस्तीफा

Sunil Jakhar Resigned: कांग्रेस के चिंतन शिविर के बीच पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar) ने फेसबुक पोस्ट कर पार्टी से इस्तीफा देने का ऐलान किया।

Report :  Anshuman Tiwari
Published By :  Bishwajeet Kumar
Update: 2022-05-14 07:49 GMT

सुनील जाखड़ (तस्वीर साभार : सोशल मीडिया)

Sunil Jakhar Resigned: राजस्थान के उदयपुर में चल रहे कांग्रेस (Congress) के चिंतन शिविर (Chintan Shivir) के दौरान पार्टी को करारा झटका लगा है। पंजाब (Punjab) में पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar) ने पार्टी से इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। जाखड़ ने अपने फेसबुक पेज पर पार्टी छोड़ने का बड़ा ऐलान किया। जाखड़ के इस्तीफे को पंजाब में कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। जाखड़ के खिलाफ हाल ही में पार्टी की ओर से अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई थी और उन्हें सभी पदों से हटा दिया गया था।

जाखड़ पर यह कार्रवाई अपने उल्टे-सीधे बयानों के जरिए पार्टी को सियासी नुकसान पहुंचाने के लिए की गई थी। जाखड़ ने अपने इस्तीफे के साथ ही चिंतन शिविर को लेकर भी पार्टी पर हमला बोला है। कांग्रेस को हाल में हुए पंजाब विधानसभा के चुनाव में करारा झटका लगा था और पार्टी सिर्फ 18 सीटों पर सिमट गई है। जाखड़ के इस्तीफे से साफ हो गया है कि पंजाब कांग्रेसमें सबकुछ दुरुस्त नहीं चल रहा है।

चिंतन नहीं, चिंता करने की जरूरत

कांग्रेस नेता इन दिनों पार्टी को एक बार फिर सियासी रूप से मजबूत बनाने के लिए उदयपुर में आयोजित चिंतन शिविर में जुटे हुए हैं तो दूसरी ओर जाखड़ ने पार्टी छोड़ने की घोषणा करके बड़ा झटका दिया है। जाखड़ इधर काफी दिनों से पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे थे और तमाम फैसलों को लेकर सवाल खड़ा करने में जुटे हुए थे। जाखड़ ने अपने फेसबुक लाइव के दौरान पार्टी के चिंतन शिविर पर भी करारा तंज कसा। उन्होंने कहा कि चिंतन शिविर सिर्फ औपचारिकता मात्र है और इन कदमों से कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है।

जाखड़ ने कहा कि पार्टी नेताओं को चिंतन नहीं बल्कि पार्टी के भविष्य के लिए चिंता करनी चाहिए क्योंकि चिंतन से कोई फायदा होने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस पार्टी पूरी तरह खटिया पर नजर आ रही है और सियासी मजबूती हासिल करने के लिए उसे खुद में सुधार लाना होगा। 

यूपी की शर्मनाक हार का किया जिक्र 

उन्होंने कहा कि यदि पार्टी नेतृत्व को चिंता होती तो चुनावी हार के बाद उस पर जरूर चर्चा की जाती। उत्तर प्रदेश में शर्मनाक हार के कारण जानने के लिए कमेटी का गठन किया जाता और यह जानने की कोशिश की जाती कि कैसे 403 में से 300 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों को 2000 वोट भी नहीं मिले। जाखड़ ने कहा कि इससे ज्यादा वोट तो पंचायत के उम्मीदवारों को ही हासिल हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी की इस दुर्दशा के लिए उम्मीदवार नहीं बल्कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जिम्मेदार है।

अंबिका सोनी पर बोला हमला 

उन्होंने पंजाब में पार्टी की बदहाल स्थिति की भी चर्चा की। पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी का बेड़ा गर्क कर दिया। पंजाब में पार्टी की बदहाली के लिए वे काफी हद तक जिम्मेदार हैं। अंबिका सोनी से जाखड़ की नाराजगी यूं ही नहीं है।

पिछले साल मुख्यमंत्री पद से कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद जाखड़ सबसे मजबूत दावेदार बनकर उभरे थे। उन्हें पार्टी के तमाम विधायकों का समर्थन भी हासिल था। पार्टी नेतृत्व भी जाखड़ के नाम पर गंभीरता से विचार कर रहा था मगर इसी दौरान अंबिका सोनी ने किसी सिख को ही पंजाब का मुख्यमंत्री बनाने की बात कहकर जाखड़ का पत्ता कटवा दिया था। जाखड़ उसी समय से अंबिका सोनी से नाराज चल रहे हैं और पूर्व में भी कई बार इसे लेकर हमला कर चुके हैं। 

नोटिस का नहीं दिया था जवाब 

जाखड़ को पिछले दिनों पार्टी की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था मगर जाखड़ ने एक सप्ताह की समय सीमा में नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया था। इसके बाद अनुशासन समिति ने दो साल के लिए पार्टी से सस्पेंड करने की सिफारिश कर दी थी। बाद में पार्टी नेतृत्व में उन्हें सभी पदों से हटा दिया था। पंजाब में हाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान जाखड़ का रवैया सहयोगात्मक नहीं था। पार्टी के कई नेताओं का कहना है कि उन्होंने समय-समय पर ऐसे बयान दिए जिनसे पार्टी की चुनावी संभावनाओं को जमकर चोट पहुंची।

उन्होंने पार्टी की ओर से सीएम चेहरा घोषित किए गए पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को लेकर भी विवादित बयान दिया था। कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद खुद के लिए मौका न बन पाने के समय से ही जाखड़ नाराज चल रहे थे और नेतृत्व के फैसले पर सवाल खड़े कर रहे थे। मुख्यमंत्री न बन पाने पर भी उन्होंने कहा था कि सिर्फ हिंदू होने के कारण उन्हें इस पद पर ताजपोशी का मौका नहीं मिला। 

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