Election Results 2022 Punjab: आखिर क्यों कर रही 'आप' पंजाब में क्लीन स्वीप
Election Results 2022 Punjab: पंजाब में आम आदमी पार्टी आगे चल रही है। आखिर आम आदमी पार्टी में लोगों ने क्या देखा है ये सोचने वाली बात है।
Punjab Election Result 2022 : पंजाब में वोटों की गिनती के शुरुआती रुझानों से लगता है कि आम आदमी पार्टी (आप) वहां क्लीन स्वीप करने जा रही है। पंजाब में वोट पड़ने तक काफी हद तक साफ़ हो गया था कि आम आदमी पार्टी बढ़िया प्रदर्शन करेगी। पंजाब में परम्परागत रूप से दो पार्टियों - कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) का दबदबा रहा है। ऐसे में आखिर आम आदमी पार्टी में लोगों ने क्या देखा है किसात दशकों से राज्य पर शासन करने वाली पार्टियों से मुंह मोड़ लिया गया।
बदलाव की बयार
पंजाब में सत्ता पारंपरिक रूप से शिअद और कांग्रेस के बीच वैकल्पिक रूप से चलती रही है। शिरोमणि अकाली दल की 1997 से 2001 तक भाजपा के साथ 24 साल की लंबी साझेदारी और कांग्रेस के साथ 2007 और 2012 में जीत के साथ साझेदारी रही।
राज्य में कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार पर बादल कुनबे के खिलाफ नरमी बरतने के कारण अकालियों के साथ गठजोड़ करने का आरोप लगाया गया था, जिससे यह धारणा बनी कि कांग्रेस और अकाली एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इस बार पूरे पंजाब, खासकर मालवा के लोगों ने बदलाव के पक्ष में वोट किया। राज्य भर में यह संदेश गया कि मतदाताओं ने दो बड़ी पार्टियों को 70 साल तक शासन करते देखा है, लेकिन उन्होंने परिणाम नहीं दिया है। इसलिए समय आ गया है कि किसी और पार्टी को मौका दिया जाए। आप का नारा 'क्या बार ना खां ढोखा, भगवंत मान ते केजरीवाल नू देवांगे मौका (हम इस बार मूर्ख नहीं बनेंगे, भगवंत मान और केजरीवाल को मौका देंगे)' पूरे राज्य में गूंज उठा। कहा जा सकता है कि लोग यथास्थिति और जिरते जीवन स्तर से तंग आ चुके हैं।
आप का दिल्ली मॉडल
आप सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने दिल्ली शासन मॉडल का खूब बखान किया। दिल्ली मॉडल की चार मुख्य बातें गिनाईं गईं - सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण सरकारी शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पानी। इसके कारण मतदाताओं ने आप के साथ तत्काल जुड़ाव महसूस किया। पंजाब में बिजली की दरें काफी ऊंचीं हैं, स्वास्थ्य और शिक्षा का लगभग पूर्ण निजीकरण हो चूका है इसलिए लोगों को दिल्ली मॉडल के प्रति आकर्षित किया गया।
युवा और महिलाएं
आप को उन युवा और महिला मतदाताओं का समर्थन मिला जो एक नई पार्टी और आम आदमी को मौका देना चाहते थे। राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने, सिस्टम बदलने और एक नई व्यवस्था लाने के लिए केजरीवाल का वादा योवओं को पसंद आया और उनको लगा है कि इससे शिक्षा और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। इसी तरह, राज्य में महिलाओं के खातों में प्रति माह 1,000 रुपये की राशि जमा करने के आप के वादे ने उन्हें आकर्षित किया। आप ने महिलाओं को एक अलग वोट बैंक के रूप में देखा है और उसी के अनुरूप अपना कार्ड बखूबी खेला।
भगवंत मान
बतौर भावी मुख्यमंत्री भगवंत मान को पेश करना एक अच्छी रणनीति रही। आप ने मेसेज दिया कि वह किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं थोपने जा रही। अपने राजनीतिक और सामाजिक व्यंग्य से कई पंजाबियों के दिलों में जगह बनाने वाले लोकप्रिय कॉमेडियन भगवंत मान किसी भी पारंपरिक राजनेता के विपरीत हैं। मान ने घूम घूम कर बताया कि वह वह किराए के घर में कैसे रहते हैं और हर चुनाव के साथ उसकी संपत्ति कैसे घटती जाती है।
किसान आंदोलन
एक साल से अधिक समय तक चलने वाले किसान आंदोलन ने केंद्र को तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने पर मजबूर कर दिया। इसके साथ साथ पंजाब में बदलाव के जमीन भी तैयार हुई। इस आन्दोलन के चलते मतदाता नेताओं से ये सवाल पूछने लगे कि वे आज़ादी के सत्तर साल बाद भी नालियों और गलियों से आगे क्यों नहीं देख पा रहे हैं? इन सवालों का जवाब सिर्फ आप के पास था जिसने दिल्ली मॉडल को उदाहरंणस्वरूप पेश किया।