Punjab: पंजाब में वीआईपी सुरक्षा हटाने पर बवाल, अमरिंदर सरकार भी कर चुकी है ये काम

Punjab: पंजाबी सिंगर मूसेवाला की हत्या के चलते अब सरकार के इस आदेश की तीखी आलोचना हो रही है जिसके तहत राज्य ढेरों लोगों की सरकारी सुरक्षा (government security) हटा ली गई।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2022-05-29 23:19 IST

पंजाब: वीआईपी सुरक्षा हटाने पर बवाल: Photo - Social Media

Punjab News: पंजाबी सिंगर मूसेवाला की हत्या (Punjabi singer Moosewala murdered) के चलते अब सरकार के इस आदेश की तीखी आलोचना हो रही है जिसके तहत राज्य ढेरों लोगों की सरकारी सुरक्षा (government security) हटा ली गई। आप (Aam Aadmi Party) के नेतृत्व वाली सरकार निवर्तमान प्रशासन के लोगों की सुरक्षा वापस लेने या कम करने वाली पहली सरकार नहीं है। पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह (Former CM Capt Amarinder Singh) ने 2017 में पदभार संभालने के डेढ़ महीने के भीतर वीआईपी सुरक्षा के लिए तैनात 2,000 कर्मियों को हटाने का दावा किया था। उस समय, सरकार के निशाने पर शिअद के लोग थे।

आप की सरकार ने वीआईपी और वीवीआईपी के सुरक्षा कवर को किया कम

पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार के शपथ लेने के पहले ही 12 मार्च को कई लोगों की सुरक्षा हटाने के आदेश जारी किए गए थे। उसके बाद से भगवंत मान के नेतृत्व वाले प्रशासन ने वीआईपी और वीवीआईपी के सुरक्षा कवर को कम करने के लिए कम से कम चार और ऐसे निर्देश जारी किए हैं।

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इन आदेशों ने राज्य में एक विवाद पैदा कर दिया है, कुछ ने वीआईपी संस्कृति के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकार की सराहना की है जबकि अन्य ने इसे पब्लिसिटी कर अपनी छवि बनाने का प्रयास बताया है। सरकार के आलोचकों का कहना है कि यह आदेश उन सार्वजनिक हस्तियों के जीवन को खतरे में डाल रहा है जिनकी सुरक्षा वापस ले ली गई है क्योंकि उनके नाम मीडिया में सामने आए हैं। ऐसे आदेशों का विवरण गोपनीय माना जाता है और सार्वजनिक डोमेन में साझा नहीं किया जाता है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान की आलोचना

ताजा निर्देश शनिवार को जारी किया गया जब सरकार ने अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह की सुरक्षा आंशिक रूप से हटा दी। अकाल तख्त नेता का नाम सोशल मीडिया पर वायरल हुई 424 लोगों की सूची में शामिल है। उन्होंने कुछ हफ्ते पहले सिखों को लाइसेंसी हथियार रखने की सलाह दी थी जिसकी मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आलोचना की थी।

बहरहाल, जब हरप्रीत सिंह की सुरक्षा कम करने पर होहल्ला हुआ तो उनकी सुरक्षा बहाल करने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि सिख युवक और खालसा पंथ उनकी सुरक्षा के लिए काफी हैं। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने सरकार पर "पंथ विरोधी" और "पंजाब विरोधी" होने का आरोप लगाया।

मुख्यमंत्री मान ने इस महीने की शुरुआत में वीआईपी ड्यूटी से सुरक्षा कर्मियों को हटाने के अपनी सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि, "पुलिस स्टेशन खाली पड़े हैं और पुलिस नेताओं के घरों की रखवाली कर रही है।हम पुलिस से पुलिसिंग करवाएंगे। 2.75 करोड़ लोगों की सुरक्षा चंद लोगों की सुरक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण है।'

लेकिन आप के पूर्व विधायक कंवर संधू ने हाल ही में ट्विटर पर पूछा कि इन सूचियों में नाम मीडिया में क्यों आए। उन्होंने कहा कि "अगर उनमें से किसी पर भी हमला होता है, तो क्या ये मीडिया हाउस सह-आरोपी होंगे?"

कांग्रेस के पूर्व विधायक और वर्तमान भाजपा नेता फतेह जंग सिंह बाजवा ने आरोप लगाया है कि - "यह सरकार द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध है। अगर मेरी सुरक्षा बहाल नहीं की गई तो मैं अदालत की अवमानना ​​का मामला दर्ज करूंगा। मुझे वाई प्लस सुरक्षा दी गई थी। मेरे भाई के पास जेड प्लस सुरक्षा थी।"

फतेह सिंह बाजवा की सुरक्षा बहाल

भाजपा नेता के भाई प्रताप सिंह बाजवा राज्य में कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं। उनकी टिप्पणी के बाद, सरकार ने फतेह सिंह बाजवा की सुरक्षा बहाल कर दी। 11 मई को शिअद नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल की सुरक्षा कम किए जाने के बाद पार्टी के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने ट्वीट किया था, 'पंजाब में पहले राजनीतिक नेताओं, पूर्व पुलिस अधिकारियों, उनके परिवारों आदि की सुरक्षा वापस ली जाती है। फिर, वाहवाही लूटने के लिए, यह जानकारी टीवी, समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पर यह सोचे बिना फ्लैश की जाती है कि यह उनके जीवन को खतरे में डाल सकती है। पंजाब के मुख्यमंत्री, कृपया इसे रोकें।"

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अवैध रूप से वापस ले ली गई सुरक्षा

कांग्रेस के पूर्व विधायक परमिंदर सिंह पिंकी ने पिछले हफ्ते अपनी सुरक्षा इकाई में 30 में से 28 कर्मियों को हटा दिए जाने के बाद अपने सुरक्षा कवर को बहाल करने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था। पूर्व विधायक ने अपने वकील के माध्यम से तर्क दिया कि उन्हें प्रदान की गई सुरक्षा राजनीतिक रूप से निहित स्वार्थों के इशारे पर, उन्हें कोई नोटिस दिए बिना और खतरे की धारणा का आकलन किए बिना अवैध रूप से वापस ले ली गई थी।

पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्टल, पूर्व मंत्री विजय सिंगला, भाजपा नेता और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ और पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल सहित अन्य लोगों की सुरक्षा कम कर दी गई है।

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