Punjab Chunaav: पंजाब में वाम दलों के साथ गठबंधन में जुटी कांग्रेस, कैप्टन की बगावत का असर कम करने की कोशिश

Punjab Chunaav: कांग्रेस वोटों के बंटवारे से होने वाले नुकसान को वामपंथी दलों से हाथ मिलाकर पूरा करना चाहती है। इसी कारण लेफ्ट पार्टियों से गठजोड़ की कोशिशों में तेजी आ गई है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shreya
Update:2021-11-23 13:23 IST

सोनिया- राहुल गांधी (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Punjab Chunaav: पंजाब में कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) की बगावत से हुए नुकसान को कम करने के लिए वामपंथी दलों (Vampanthi Dal) से हाथ मिलाने की कोशिश में जुट गई है। अन्य दलों से गठजोड़ की संभावनाएं न बन पाने के कारण कांग्रेस (Congress) ने पंजाब के विधानसभा चुनाव (Punjab Vidhan Sabha Chunaav) में वामपंथी दलों की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की ओर से कृषि कानूनों की वापसी (Krishi Kanoon Ki Wapsi) की घोषणा के बाद अब कैप्टन अमरिंदर सिंह का नई पार्टी (Amarinder Singh New Party) बनाकर भाजपा के साथ गठजोड़ (Amarinder Singh And BJP Alliance) तय माना जा रहा है। कैप्टन के अलावा भाजपा नेताओं (BJP Leaders) ने भी इस ओर साफ तौर पर इशारा किया है।

ऐसे में कांग्रेस नेताओं (Congress Leaders) को वोटों के बंटवारे के साथ कई नेताओं के पार्टी छोड़ने का डर सता रहा है। कांग्रेस वोटों के बंटवारे से होने वाले नुकसान को वामपंथी दलों से हाथ मिलाकर पूरा करना चाहती है। इसी कारण लेफ्ट पार्टियों (Left Party) से गठजोड़ की कोशिशों में तेजी आ गई है। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (CM Charanjit Singh Channi) ने हाल में वामपंथी दलों के नेताओं के साथ बैठक की है। अब वे इस बाबत दिल्ली में पार्टी हाईकमान (Congress High Command) को अपनी रिपोर्ट देंगे ताकि एक विचारधारा वाले दलों को एक मंच पर लाकर चुनावी फायदा (Chunavi Fayda) उठाया जा सके। 

मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

वाम नेताओं के साथ मुख्यमंत्री ने की बैठक

जानकार सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री चन्नी (CM Charanjit Singh Channi) ने पंजाब में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के सचिव बंत सिंह बराड़ (Bant Singh Brar) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के पंजाब सचिव सुखविंदर सिंह सेखों (Sukhwinder Singh Sekhon) के साथ हाल में हुई बैठक में पंजाब में चुनावी गठबंधन (Chunavi Gathbandhan) पर चर्चा की। सियासी नजरिए से महत्वपूर्ण मानी जा रही इस बैठक में कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी (Harish Chaudhary) भी मौजूद थे। बैठक के दौरान लेफ्ट पार्टियों के नेताओं ने इस पहल का स्वागत किया और कहा कि इस कदम से धर्मनिरपेक्ष मतों के बंटवारे को रोकने में मदद मिलेगी।

कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के नेताओं का मानना था कि दोनों दलों की एकजुटता से गठबंधन को सियासी फायदा होगा। कांग्रेस नेताओं ने वामपंथी दलों के साथ चुनावी गठबंधन संबंधी बातचीत की पुष्टि की है। उनका कहना है कि कांग्रेस पार्टी ने सीपीआई और सीपीएम के साथ बातचीत शुरू कर दी है और इस बाबत पार्टी के अन्य नेताओं से मिले फीडबैक के आधार पर गठबंधन की अंतिम रूपरेखा तैयार की जाएगी।

छोटे दलों को साधने में जुटे बड़े दल

सीपीआई और सीपीएम के नेताओं ने इस बातचीत के संबंध में अपने केंद्रीय नेतृत्व को भी जानकारी दी है। हालांकि 2017 में हुए विधानसभा चुनाव (Punjab Vidha Sabha Chunav 2017) में वामपंथी दल एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो सके थे मगर राज्य के कई इलाकों में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। पंजाब के आगामी विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election) के लिए कांग्रेस (Congress), आम आदमी पार्टी (AAP), अकाली दल-बीएसपी (Shiromani Akali Dal- BSP) और भाजपा (BJP) ने कमर कस ली है और इन दलों के बीच ही मुख्य चुनावी मुकाबला माना जा रहा है मगर इसके साथ ही छोटे राजनीतिक दलों को अपने पाले में करने की कोशिशें भी तेजी से चल रही हैं।

भाजपा और अकाली दल के बीच पहले ही चुनावी गठबंधन हो चुका है जबकि भाजपा और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच भी गठबंधन तय माना जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस वामपंथी दलों को साथ लेकर दूसरे सियासी दलों को चुनौती देने की कोशिश में जुटी हुई है। 

(फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

अकाली दल-भाजपा में गठजोड़ की संभावना नहीं

केंद्र सरकार की ओर से कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद भी अकाली दल और भाजपा में गठजोड़ (Shiromani Akali Dal-BJP Gathbandhan) की कोई संभावना नहीं दिख रही है। पंजाब के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अश्विनी शर्मा (Ashwani Kumar Sharma) ने अकाली दल के साथ गठजोड़ की संभावनाओं को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि अकाली दल ने पिछली बार 84 फ़ीसदी सीटों पर चुनाव लड़ा था मगर पंजाब के हितों को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने इस गठबंधन में रहने का फैसला किया था। अब बदली हुई परिस्थितियों में अकाली दल के साथ गठबंधन की कोई संभावना नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ हाथ मिलाकर चुनाव मैदान में उतरेगी। 

उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों की वापसी (Farm Laws Repealed) की प्रधानमंत्री की घोषणा (PM Narendra Modi Ki Ghoshna) के बाद पार्टी की चुनावी संभावनाएं मजबूत हुई हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब पार्टी के प्रति लोगों की नाराजगी कम होगी और पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए चुनावी गतिविधियों का संचालन आसान हो जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद भाजपा बड़े कार्यक्रमों के आयोजन की रूपरेखा तैयार कर रही है। करतारपुर कॉरिडोर खोले जाने और कृषि कानूनों की वापसी से निश्चित रूप से भाजपा को मजबूती मिलेगी।

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