Punjab CM: चन्नी की ताजपोशी से बदलेगा सियासी समीकरण, बड़ा सियासी संदेश देने की कांग्रेस की कोशिश

चन्नी के नाम पर मुहर लगाकर कांग्रेस नेतृत्व ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है। यह दलित चेहरे का ही कमाल था कि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी चन्नी को बधाई दी तो दूसरी ओर नवजोत सिंह सिद्धू ने भी चन्नी का नाम आगे करके सुखजिंदर सिंह रंधावा की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Ashiki
Update:2021-09-20 10:14 IST

चरणजीत सिंह चन्नी (फोटो- सोशल मीडिया)

Punjab CM: पंजाब में कांग्रेस (Pujnab Congress) ने नए सीएम के रूप में चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) का नाम फाइनल करके बड़ा सियासी दांव खेला है। राज्य में पहली बार दलित मुख्यमंत्री की ताजपोशी से राज्य के सियासी समीकरण पर भी गहरा असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। चन्नी के नाम पर मुहर लगाकर कांग्रेस नेतृत्व ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है। यह दलित चेहरे का ही कमाल था कि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी चन्नी को बधाई दी तो दूसरी ओर नवजोत सिंह सिद्धू ने भी चन्नी का नाम आगे करके सुखजिंदर सिंह रंधावा की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

बसपा से गठबंधन करने के बाद दलित वोटों को साधने की कोशिश में जुटे अकाली दल को भी कांग्रेस ने झटका दिया है। पंजाब की सियासत में तेजी से मजबूत हो रही आम आदमी पार्टी को भी कांग्रेस नेतृत्व की ओर से चन्नी के रूप में करारा जवाब दिया गया है। दरअसल, पंजाब के 32 फीसदी दलित मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व का कदम काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि पार्टी में गुटबाजी के कारण कांग्रेस इसका कितना फायदा उठा पाएगी, इसे लेकर सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं।

नहीं खत्म होगी कांग्रेस की गुटबाजी

वैसे नए मुख्यमंत्री के रूप में चन्नी की ताजपोशी के बाद भी पंजाब कांग्रेस में गुटबाजी खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह को जिन परिस्थितियों में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, उन्हें लेकर वे भीतर ही भीतर काफी नाराज बताए जा रहे हैं। कैप्टन सियासत के माहिर खिलाड़ी हैं । माना जा रहा है कि वे सही समय आने पर जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे के खिलाफ अब कैप्टन के खुलकर बैटिंग करने के आसार दिख रहे हैं।


मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद ही नवजोत सिंह सिद्धू पर हमला करके उन्होंने अपनी भावी राजनीति का संकेत पहले ही दे दिया है। उन्होंने सिद्धू को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए विपक्षी दलों को भी हमला करने का बड़ा मौका दे दिया है। उनका कहना था कि यदि सिद्धू को सीएम पद का चेहरा बनाया गया तो वे इसका विरोध करेंगे।

माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में दोनों खेमों के बीच वर्चस्व की जंग और तेज होगी। राज्य में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों के दौरान टिकट बंटवारे का काम भी पार्टी नेतृत्व के लिए आसान नहीं होगा। इस काम में भी कैप्टन और सिद्धू एक-दूसरे पर हावी होने की कोशिश करेंगे।

दलित वोट बैंक साधने पर निशाना

वैसे करीब 32 फ़ीसदी दलित आबादी वाले पंजाब में चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लेकर कांग्रेस की ओर से बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश की गई है। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी पार्टी को दलित वोटों का सियासी फायदा हो सकता है। आने वाले दिनों में कांग्रेस नेतृत्व की ओर से इस बात का बढ़-चढ़कर प्रयास किया जाएगा। पार्टी इस कदम के जरिए दलित मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश करेंगी। यूपी और उत्तराखंड दोनों ही राज्यों में दलित मतदाताओं की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण है। अब यह देखने वाली बात होगी कि पार्टी इसका कितना सियासी फायदा उठा पाती है। यदि पार्टी इस मुद्दे को लेकर फ्रंट फुट पर बैटिंग करने और गुटबाजी को थामने में कामयाब रही तो निश्चित रूप से पंजाब के सियासी समीकरण पर इसका गहरा असर पड़ेगा।


सियासी फायदा उठाने की कोशिश में आप

आम आदमी पार्टी इस बार पंजाब में पूरी मजबूती से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी हुई है। आप को 2017 में भी मतदाताओं का काफी समर्थन मिला था। 2022 के चुनाव के लिए पार्टी ने 300 यूनिट फ्री बिजली का बड़ा दांव चल दिया है। आप की ओर से कांग्रेस की आपसी कलह का भी फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल हाल के दिनों में पंजाब का कई दौरा कर चुके हैं। पार्टी के अन्य नेता भी पंजाब में काफी सक्रिय और दलितों के साथ ही विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस को घेरने की कोशिश में जुटे हुए हैं। यदि चन्नी मजबूती से सरकार नहीं चला सके और कांग्रेस में इसी तरह गुटबाजी बनी रही तो निश्चित रूप से आप को इसका सियासी फायदा हो सकता है।


पंजाब के प्रभारी राघव चड्ढा का मानना है कि पंजाब के मतदाताओं में इस बार कांग्रेस के प्रति जबर्दस्त आक्रोश है। चुनाव के दौरान पार्टी को इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी। उन्होंने कहा कि पांच साल तक कैप्टन की सरकार ने कोई काम नहीं किया। अब लोगों का गुस्सा शांत करने के लिए मुख्यमंत्री पद पर चन्नी की ताजपोशी की जा रही है। वैसे कांग्रेस नेतृत्व को यह समझ लेना चाहिए कि उसे इस कदम का भी कोई फायदा नहीं मिलने वाला। उन्होंने कांग्रेस पर अपने चुनावी वादे अभी तक पूरा न करने का आरोप भी लगाया।

दूसरे दलों को बनानी होगी नई रणनीति

पंजाब में पहली बार चन्नी के रूप में दलित नेता की ताजपोशी की तैयारी है। राज्य में अभी तक जाट व सिख ही मुख्यमंत्री बनते रहे हैं। कांग्रेस की रणनीति ने विपक्षी दलों को भी अपनी चुनावी रणनीति पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। अकाली दल ने चुनाव जीतने की स्थिति में दलित डिप्टी सीएम बनाने का वादा कर रखा है।

भाजपा भी दलित चेहरे को सामने लाने की बात का जोर शोर से प्रचार कर रही है। ऐसे में कांग्रेस की ओर से दलित मुख्यमंत्री बनाया जाना विपक्षी दलों को करारा जवाब माना जा रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि चन्नी विपक्ष के हमलों और पार्टी की गुटबाजी से निपटने में कहां तक कामयाब हो पाते हैं।

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