कैप्टन के खिलाफ बगावत से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ीं, सिद्धू खेमे ने छेड़ा अभियान, नए संकट में फंसा हाईकमान
Punjab Congress Crisis : सिद्धू के सलाहकारों की ओर से कैप्टन पर हमलों की शुरुआत के बाद अब पूरा मामला आर-पार की जंग में तब्दील हो गया है।
Punjab Congress Crisis: पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खेमों के बीच कलह चरम पर पहुंच गई है। सिद्धू खेमे से जुड़े मंत्रियों और विधायकों ने कैप्टन के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है और उन्हें हटाने की मुहिम छेड़ दी है। चार कैबिनेट मंत्रियों और 21 विधायकों की बैठक में कैप्टन को पद से हटाने के लिए हाईकमान पर दबाव बढ़ाने का फैसला किया गया है। सिद्धू ने भी चारों मंत्रियों और कैप्टन से नाराज वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक करके रणनीति तैयार की है।
सिद्धू के समर्थकों ने कैप्टन के खिलाफ खोला मोर्चा
सिद्धू के सलाहकारों की ओर से कैप्टन पर हमलों की शुरुआत के बाद अब पूरा मामला आर-पार की जंग में तब्दील हो गया है। विवादित बयानों के बाद सलाहकारों को हटाने की बात तो दूर सिद्धू ने खुद कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कैप्टन के खिलाफ बगावत से कांग्रेस भी उलझन में फंस गई है क्योंकि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कैप्टन को ही पार्टी का चेहरा बनाने की तैयारी की जा रही थी। दोनों खेमों से जुड़े नेता विधानसभा चुनाव की तैयारियां छोड़कर एक-दूसरे को उखाड़ फेंकने के लिए सियासी दांव चल रहे हैं जिससे पार्टी की चुनावी संभावनाओं को जबर्दस्त झटका लगा है।
कैप्टन को पद से हटाने की मुहिम
पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद पर सिद्धू की ताजपोशी के बाद कुछ दिनों तक तो खामोशी दिखी मगर अब कैप्टन और सिद्धू खेमों के बीच शुरू हुई जंग से साफ हो गया है कि पार्टी का विवाद और गहरा गया है। सिद्धू के सलाहकारों की ओर से विवादित बयान दिए जाने पर कैप्टन ने हमला बोला था मगर सिद्धू ने चुप्पी साधे रखी है और अपने सलाहकारों के बयान पर कोई खेद भी नहीं जताया। बाद में से दोनों सलाहकारों ने कैप्टन के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया। अब सिद्धू खेमे से जुड़े मंत्री और विधायक भी अखाड़े में कूद पड़े हैं और उन्होंने कैप्टन को पद से हटाने की मुहिम छेड़ दी है।
सोनिया गांधी से मिलेगा विरोधी खेमा
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कैप्टन सरकार के चार कैबिनेट मंत्रियों तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखविंदर सिंह सरकारिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा और चरणजीत सिंह चन्नी और करीब 21 विधायकों ने बाजवा के आवास पर बैठक करके अपनी आगामी रणनीति तय की। जानकारों के मुताबिक इस बैठक में कैप्टन को पद से हटाने के लिए हाईकमान पर दबाव बढ़ाने का फैसला लिया गया। बैठक के बाद बाजवा ने कहा कि राज्य की राजनीतिक स्थिति की जानकारी देने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से समय मांगा जाएगा।
उन्होंने कहा कि राज्य में अब कड़े कदम उठाने का समय आ गया है। अगर मुख्यमंत्री को बदलने की जरूरत है तो पार्टी हाईकमान को इस दिशा में भी सोचना होगा। बैठक के बाद मंत्री चन्नी ने कहा कि बैठक में मौजूद नेताओं ने उन वादों को लेकर चिंता जताई जिन्हें अभी तक पूरा नहीं किया गया है।
कैप्टन पर वादे पूरा न करने का आरोप
मंत्री चन्नी ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को राज्य पार्टी के नेताओं की राय से अवगत कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि बाजवा, रंधावा, सरकारिया और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव परगट सिंह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करके उन्हें राज्य के मौजूदा सियासी हालात की जानकारी देंगे। इन सभी नेताओं को कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरोधी खेमे का माना जाता है।
चन्नी ने कहा कि 2017 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भी कैप्टन सरकार की ओर से तमाम वादे अभी तक पूरे नहीं किए गए हैं। इतना समय बीत जाने के बाद अब हमें विश्वास हो गया है कि पार्टी की ओर से किए गए वादे पूरे नहीं किए जाएंगे।
अकाली दल से मिलीभगत का आरोप
उन्होंने कहा कि कोटकपूरा पुलिस गोलीबारी मामले में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल से एसआईटी की ओर से पूछताछ की गई थी मगर उसके बाद कोई कदम नहीं उठाया गया।
मुख्यमंत्री को हटाए जाने की मांग के संबंध में पूछे जाने पर चन्नी ने कहा कि यह सिर्फ प्रयास मात्र नहीं है बल्कि पार्टी से जुड़े हर किसी की मांग है और इसे पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाब में लोगों के दिलों में एक बात घर कर गई है कि कैप्टन की अकाली दल से मिलीभगत है और इस धारणा ने कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचाया है।
और तीखी होगी दोनों खेमों की जंग
कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी सिद्धू खेमे की ओर से भीतर ही भीतर पहले से ही की जा रही थी। सिद्धू से मुलाकात के बाद उनके सलाहकारों ने कैप्टन पर व्यक्तिगत हमले करने शुरू कर दिए थे। सलाहकारों के इस रुख से साफ हो गया था कि सिद्धू ने कैप्टन के खिलाफ खुली जंग छेड़ दी है। कैप्टन की ओर से अनुरोध किए जाने के बावजूद सिद्धू ने अपने सलाहकारों पर कोई रोक नहीं लगाई बल्कि उन्हें कैप्टन पर हमले की एक तरह से पूरी छूट दे दी।
मंगलवार के घटनाक्रम से साफ हो गया है कि पंजाब में कांग्रेस दो फाड़ हो चुकी है। कांग्रेस में आंतरिक कलह चरम पर पहुंच जाने से पार्टी नेतृत्व की मुसीबतें भी बढ़ गई हैं। आने वाले दिनों में दोनों खेमों की ओर से एक-दूसरे पर और हमले किए जाने की आशंका है। राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में खुली जंग छिड़ जाने से पार्टी की चुनावी संभावनाओं को जबर्दस्त झटका लगने की आशंका है।