Congress poll debacle: करारी हार के बाद पंजाब कांग्रेस में घमासान, सोनिया तक पहुंची सिद्धू और जाखड़ की शिकायत
Congress poll debacle: चुनावों में राज्य के कांग्रेस सांसदों ने पार्टी की हार के लिए सिद्धू और जाखड़ दोनों नेताओं को प्रमुख रूप से जिम्मेदार ठहराया है।
Congress poll debacle: पंजाब में आम आदमी पार्टी के हाथों मिली करारी हार के बाद राज्य के कांग्रेस नेताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। पार्टी की बड़ी हार के लिए उन पर जमकर निशाना साधा जा रहा है। सिद्धू के साथ ही प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ भी कांग्रेस नेताओं के निशाने पर हैं।
राज्य के कांग्रेस सांसदों ने पार्टी की हार के लिए सिद्धू और जाखड़ दोनों नेताओं को प्रमुख रूप से जिम्मेदार ठहराया है। सांसदों का कहना है कि इन दोनों नेताओं के सार्वजनिक बयानों ने पार्टी को सियासी रूप से काफी नुकसान पहुंचाया है। राज्य में मिली करारी हार के बाद सोनिया गांधी ने कांग्रेस सांसदों के साथ समीक्षा बैठक बुलाई थी और इस समीक्षा बैठक के दौरान सांसदों ने इन दोनों नेताओं की जमकर शिकायत की है।
उल्टे-सीधे बयानों से सियासी नुकसान
सोनिया के साथ हुई बैठक के दौरान सांसदों का कहना था कि चुनाव की शुरुआत से पहले से ही सिद्धू सार्वजनिक रूप से उल्टे-सीधे बयान दे रहे थे। कई मौकों पर उन्होंने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने अपनी ही सरकार पर चुनावी वादे पूरे न करने का आरोप तक लगा डाला।
सिद्धू के साथ ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ का रवैया भी सकारात्मक नहीं था। उनके सार्वजनिक बयानों ने भी पार्टी प्रत्याशियों की चुनावी संभावनाओं पर प्रतिकूल असर डाला। इन दोनों बड़े नेताओं के उल्टे-सीधे बयानों के कारण जनता के बीच गलत संदेश दिया गया जिसकी वजह से पार्टी को बड़ा सियासी नुकसान उठाना पड़ा।
सिद्धू और जाखड़ के अलावा पार्टी के कुछ सांसदों ने प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी और अजय माकन पर भी निशाना साधा। पार्टी के सांसदों ने इन दोनों नेताओं पर टिकट बेचने तक का आरोप लगा डाला। उनका कहना था कि कई चुनाव क्षेत्रों में टिकट बेचकर कमजोर प्रत्याशी उतार दिए गए और इस कारण आप की सियासी राह और आसान हो गई। उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पंजाब के पूर्व प्रभारी हरीश रावत भी अपने राज्य में ऐसे ही आरोपों का सामना कर रहे हैं।
खड़गे समिति पर उठाए सवाल
आनंदपुर साहिब के सांसद और असंतुष्ट खेमे से जुड़े माने जाने वाले मनीष तिवारी ने सोनिया गांधी की ओर से गठित मल्लिकार्जुन खड़गे समिति पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि खड़गे समिति के गठन के बाद राज्य में कांग्रेस की स्थिति और कमजोर हो गई और ऐसे सियासी हालात पैदा हो गए जिनकी वजह से कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अलग राह चुन ली।
कैप्टन के कांग्रेस से अलग होने के बाद पार्टी सियासी रूप से और कमजोर हो गई और पार्टी नेताओं के बीच कटुता वाले बयान जारी रहे। इसकी वजह से भी पार्टी को काफी नुकसान हुआ। मनीष तिवारी इससे पहले भी प्रदेश कांग्रेस में आपसी कलह और सिद्धू और कैप्टन के बीच तनातनी के मुद्दे को प्रमुखता से उठा कर रहे हैं।
अपनी ही सरकार पर सिद्धू हमलावर
कई सांसदों का मानना है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद सिद्धू की नजरें सीएम की कुर्सी पर लगी हुई थीं मगर चन्नी को मौका दिए जाने के बाद वे लगातार अपनी ही सरकार को घेरने में जुटे रहे। इससे साफ हो गया कि पार्टी नेताओं के बीच पैदा हुई दरार को चुनाव तक पाटा नहीं जा सका।
मतदाताओं की नाराजगी इसी बात से समझी जा सकती है कि सिद्धू को अपने ही विधानसभा सीट अमृतसर ईस्ट पर हार का सामना करना पड़ा। उनके खिलाफ अकाली दल की ओर से बिक्रमजीत सिंह मजीठिया चुनाव मैदान में उतरे थे मगर सिद्धू और मजीठिया को हराते हुए आप उम्मीदवार जीवनजोत कौर ने जीत हासिल कर ली।
आप ने उठाया सियासी फायदा
कैप्टन के हटने के बाद हो जाखड़ भी सीएम पद के दावेदार थे मगर अपनी दावेदारी को नजरअंदाज किए जाने के बाद वे भी पूरी तरह निष्क्रिय हो गए। चुनाव के दौरान भी उन्होंने सक्रिय भूमिका नहीं निभाई। चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद जाखड़ ने पार्टी के सीएम चेहरे चन्नी पर निशाना साधा था। सांसदों के इन आरोपों से साफ हो गया है कि पार्टी पूरी एकजुटता के साथ चुनाव मैदान में नहीं उतरी और आप ने इसका सियासी फायदा हासिल करते हुए राज्य में प्रचंड जीत हासिल कर ली।