Punjab Election 2022: सियासी जीवन में पहली बार कड़े मुकाबले में फंसे सिद्धू, अकाली नेता मजीठिया दे रहे बड़ी चुनौती

Punjab Election 2022: अपने सियासी जीवन में सिद्धू अभी तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव आसानी से जीतते रहे हैं मगर जानकारों का मानना है कि पहली बार वे इस सीट पर कड़े मुकाबले में फंस गए हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Monika
Update: 2022-02-10 07:13 GMT

नवजोत सिंह सिद्धू- बिक्रमजीत सिंह मजीठिया (फोटो : सोशल मीडिया )

Punjab Election 2022: पंजाब के विधानसभा चुनाव (Punjab Election 2022) में सबसे हॉट मानी जा रही अमृतसर ईस्ट सीट (Amritsar East seat) पर पहली बार दो सियासी दुश्मन आमने-सामने हैं। इस सीट पर पहली बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) और अकाली दल (Akali Dal)  के वरिष्ठ नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया (Bikramjit Singh Majithia)  का मुकाबला हो रहा है। दोनों नेता एक-दूसरे पर सियासी हमले का कोई भी मौका नहीं चूक रहे हैं। सिद्धू के दबाव के चलते ही मजीठिया के खिलाफ ड्रग्स मामले में केस दर्ज (drugs case)  किया गया था। इसलिए मजीठिया भी सिद्धू से हिसाब बराबर करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

अपने सियासी जीवन में सिद्धू अभी तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव आसानी से जीतते रहे हैं मगर जानकारों का मानना है कि पहली बार वे इस सीट पर कड़े मुकाबले में फंस गए हैं। सिद्धू से दो-दो हाथ करने के लिए मजीठिया ने अपनी परंपरागत सीट मजीठा छोड़कर यहां से नामांकन किया है। दो दिग्गजों के बीच मुकाबले में आप प्रत्याशी जीवनजोत कौर भी बदलाव के नाम पर मतदाताओं से वोट मांग रही हैं। भाजपा ने इस सीट पर रिटायर्ड आईएएस अफसर जगमोहन राजू को उतारकर दूसरे उम्मीदवारों का सिरदर्द बढ़ाने की कोशिश की है। इस तरह इस सीट पर इस बार रोचक मुकाबले की बिसात बिछ गई है।

सिद्धू की सीट पर मजबूत पकड़

वैसे अमृतसर ईस्ट सीट पर सिद्धू की मजबूत पकड़ मानी जाती है। उन्होंने 2004 में अमृतसर लोकसभा सीट पर पहली जीत हासिल की थी। 2006 में गैर इरादतन हत्या के मामले में सजा होने पर सिद्धू इस सीट से इस्तीफा देने पर मजबूर हो गए थे। बाद में राहत मिलने पर उन्होंने 2007 में इस सीट पर लोकसभा उपचुनाव में भी जीत हासिल की थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर अकाली-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में अमृतसर ईस्ट सीट पर विजयी हुई थी। 2016 में सिद्धू दंपति ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। 2017 के विधानसभा चुनाव में सिद्धू कांग्रेस के टिकट पर यह सीट जीतने में कामयाब रहे थे। 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को इस सीट पर जीत हासिल हुई थी।

पत्नी ने संभाला प्रचार का मोर्चा

प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में सिद्धू पर पार्टी के दूसरे प्रत्याशियों के भी प्रचार और उन्हें जिताने की जिम्मेदारी है मगर हालात बताते हैं कि सिद्धू अपनी ही सीट पर फंसे हुए हैं। पंजाब में 20 फरवरी को मतदान होना है मगर एक सप्ताह के भीतर सिद्धू दूसरी बार वैष्णो देवी की यात्रा पर गए। कहा तो यहां तक जा रहा है कि हिंदू मतदाताओं को लुभाने के लिए सिद्धू यह काम कर रहे हैं। सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर भी अमृतसर ईस्ट सीट पर जोरदार प्रचार में जुटी हुई हैं।

वे मतदाताओं से संपर्क स्थापित करके बार बार कह रही हैं कि उनके पति पर राज्य की दूसरी सीटों पर प्रचार की जिम्मेदारी है। इसलिए वे सबके बीच आई हैं। वे मजीठिया के लोगों पर पर मतदाताओं को धमकाने का आरोप भी लगा रही हैं। इस बीच सिद्धू ने एक वीडियो भी जारी किया है जिसमें वे खुद के अमृतसर के विकास के प्रति समर्पित होने की बात कह रहे हैं।

सिद्धू के लिए प्रतिष्ठा की जंग

अमृतसर ईस्ट सीट की लड़ाई सिद्धू के लिए इसलिए भी प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गई है क्योंकि उन्होंने मजीठिया को सिर्फ एक सीट से लड़ने की चुनौती दी थी। मजीठिया ने सिद्धू की चुनौती को स्वीकार कर लिया है और अपनी परंपरागत सीट मजीठा पर पत्नी गुनीव कौर को चुनाव मैदान में उतार दिया है। मजीठिया का साफ तौर पर कहना है कि मैं सिद्धू की चुनौती को स्वीकार करके इस चुनाव क्षेत्र में उतरा हूं और उन्हें हराकर ही दम लूंगा।

दो सियासी दिग्गजों की इस जंग का एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि दोनों नेताओं ने आज तक एक भी चुनाव नहीं हारा है। दोनों में से जो भी प्रत्याशी इस बार चुनाव हारेगा, वह उसके सियासी जीवन की पहली हार होगी। यही कारण है कि दोनों सियासी दिग्गजों ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक रखी है।

आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी जीवन जोत कौर और भाजपा प्रत्याशी जगमोहन राजू भी मतदाताओं से संपर्क बनाने में जुटे हुए हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि ये दोनों प्रत्याशी सिद्धू और मजीठिया में से किसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं।

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