Punjab Election 2022: मोगा सीट पर फंसी है सोनू सूद की प्रतिष्ठा, बहन मालविका को मिल रही विपक्ष से कड़ी चुनौती
Punjab Election 2022 : मोगा सीट (Moga assembly seat) को काफी हॉट माना जा रहा है क्योंकि इस सीट पर बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद (Sonu sood sister malvika sood) की बहन मालविका सूद किस्मत आजमाने के लिए उतरी हैं।
Punjab Election 2022 : पंजाब के विधानसभा चुनाव (Punjab Election 2022) में इस बार मोगा सीट (Moga assembly seat) को काफी हॉट माना जा रहा है क्योंकि इस सीट पर बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद (Sonu sood sister malvika sood) की बहन मालविका सूद किस्मत आजमाने के लिए उतरी हैं। मोगा में सामाजिक सेवा में जुटे रहने वाली मालविका को कांग्रेस (congress) पार्टी ने सीटिंग विधायक का टिकट काटकर चुनाव मैदान में उतारा है। कोरोना काल (Corona virus cases) में गरीबों की मदद करके पूरे देश में चर्चा का विषय बने सोनू सूद भी बहन के प्रचार कार्य में जुटे हुए हैं। मालविका के चुनाव मैदान में उतरने के कारण इस सीट पर भी सबकी निगाहें लगी हुई हैं।
2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के डॉक्टर हरजोत कमल ने जीत हासिल की थी मगर टिकट काटे जाने के बाद वे भाजपा में शामिल होकर कमल चुनाव निशान पर चुनावी अखाड़े में कूद पड़े हैं। भाजपा के अलावा आम आदमी पार्टी, अकाली दल और संयुक्त समाज मोर्चा के प्रत्याशी भी मालविका की घेराबंदी में जुटे हुए हैं। मालविका जोरदार प्रचार में जुटी हुई हैं मगर उन्हें विपक्ष की कड़ी चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है।
भाई की अच्छी छवि का मिल रहा फायदा
मालविका के कांग्रेस में शामिल होने के इवेंट का कांग्रेस ने जमकर प्रचार किया था। पार्टी को सोनू सूद की अच्छी छवि के दम पर मालविका की जीत का पूरा भरोसा है। कोरोना काल में सोनू सूद के सामाजिक कार्यों की पूरे देश में चर्चा हुई थी। मालविका सूद भी अपने भाई की ओर से गरीबों की मदद के लिए किए जाने वाले कामों से काफी प्रभावित रही हैं और इसी कारण वे समाज सेवा के कामों में हिस्सा लेती रही हैं।
मोगा के लोग भी सूद परिवार की ओर से सामाजिक सेवा के लिए किए जाने वाले कामों की तारीफ करते हैं मगर इसे वोट में बदलना बड़ी चुनौती होगी। बहन के चुनाव मैदान में उतरने से सोनू सूद की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है और इसी कारण वे भी कुछ दिनों से बॉलीवुड की दुनिया छोड़कर मोगा में ही डेरा डाले हुए हैं। सच्चाई तो यह है कि अपनी चुनावी नैया पार लगाने के लिए मालविका को कांग्रेस से ज्यादा मदद अपने भाई की छवि से ही मिल रही है।
प्रचार में मुंबई की पीआर एजेंसी की मदद
मालविका का चुनाव प्रचार भी काफी प्रोफेशनल अंदाज में किया जा रहा है। इसके लिए मुंबई की बड़ी पीआर एजेंसी को हायर किया गया है। पीआर एजेंसी भी सोनू सूद की छवि के जरिए मालविका की सियासत को चमकाने की कोशिश में जुटी हुई है। मालविका की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि उन्हें चुनावी सियासत का ज्ञान नहीं है। इसलिए इलेक्शन मैनेजमेंट में उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस के अंदर जबर्दस्त गुटबाजी होने के कारण भी उन्हें प्रचार में सबका सहयोग नहीं मिल पा रहा है।
हालांकि निर्विवाद छवि और सामाजिक सेवा के कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने से उन्हें फायदा भी होता दिख रहा है। मोगा शहर से सूद परिवार का पुराना रिश्ता रहा है और इसका भी मालविका को सियासी फायदा मिल सकता है। चुनाव प्रचार के दौरान सूद परिवार की कोठी पर दिन भर लोगों का जबर्दस्त जमावड़ा लगा रहता है। इनमें से बहुत से लोग सोनू सूद से मिलने की इच्छा के कारण कोठी पर पहुंच रहे हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि सूद परिवार लोगों के इस प्रेस का कितना सियासी फायदा उठा पाता है।
घेरेबंदी में जुटे हैं विपक्षी उम्मीदवार
अकाली दल ने इस सीट से पार्टी के वरिष्ठ नेता जत्थेदार तोता सिंह के बेटे बरजिंदर सिंह बराड़ को चुनाव मैदान में उतारा है। बराड़ ने 2017 में भी इसी सीट पर किस्मत आजमाई थी मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। आम आदमी पार्टी में इस सीट पर टिकट के सबसे बड़े दावेदार नवदीप संघा थे मगर पैसा लेने के आरोपों के बाद पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर दिया। पार्टी ने इस सीट से महिला चेहरे डॉक्टर अमनदीप कौर को चुनाव मैदान में उतारा है। हालांकि वे सियासी रूप से ज्यादा सक्रिय नहीं रही हैं मगर उन्हें आप का उम्मीदवार होने का फायदा मिल रहा है।
मोगा सीट से मौजूदा विधायक डॉक्टर हरजोत कमल ने टिकट कटने के बाद कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। अब वे मालविका के किले में सेंधमारी की कोशिश में जुटे हुए हैं। हालांकि उनके कार्यकाल से लोग ज्यादा खुश नहीं हैं और उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है। आप से टिकट कटने के बाद नवदीप संघा ने संयुक्त समाज मोर्चा का दामन थाम लिया और वे मोर्चा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं। मजे की बात यह है कि सभी उम्मीदवार अपना मुकाबला मालविका सूद से ही बता रहे हैं।
शहरी इलाके के वोटर निर्णायक
मोगा सीट पर अभी तक हुए 15 चुनावों में 9 बार कांग्रेस को जीत हासिल हुई है। अकाली दल ने तीन बार इस सीट को जीतने में कामयाबी हासिल की है। मोगा में अधिकांश वोटर शहरी इलाके के हैं और वही हार जीत का फैसला करते रहे हैं। शहरी इलाके में मालविका को अच्छा समर्थन मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
विपक्षी दलों की ओर से कांग्रेस उम्मीदवार की तगड़ी घेराबंदी की जा रही है। सोनू सूद के दम पर चुनाव मैदान में उतरी मालविका विपक्ष की चुनौतियों से जूझने में जुटी हुई हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि वे इन चुनौतियों का जवाब देने में कहां तक कामयाब हो पाती हैं।