Punjab Election 2022: इस बार बड़े सियासी दिग्गज भी कड़े मुकाबले में फंसे, पंजाब की इन हॉट सीटों पर सबकी निगाहें
Punjab Election 2022 : मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी इस बार दो विधानसभा सीटों से चुनाव मैदान में उतरे हैं। उन्होंने चमकौर साहिब के अलावा भदौर सुरक्षित सीट से भी नामांकन किया है।
Punjab Election 2022 : पंजाब में विधानसभा चुनाव (Punjab Election 2022) के मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ ही सभी दलों ने पूरी ताकत झोंक रखी है। कांग्रेस (Congress) के सामने सत्ता को बचाए रखने की चुनौती है तो दूसरी ओर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi party), कांग्रेस (Congress) की तगड़ी घेराबंदी में जुटी हुई है। अकाली दल (Akali Dal) ने बसपा (Bsp) के साथ गठबंधन (Gathbandan) करके नया समीकरण बनाने की कोशिश की है।
कांग्रेस (Congress) राज में लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह (punjab cm captain Amrinder singh) के लिए इस बार सियासी हालात पूरी तरह बदले हुए हैं। कैप्टन (captain) ने इस बार भारतीय जनता पार्टी (Bhartiye janta party) और सुखदेव सिंह ढींढसा (Sukhdev Singh Dhindsa) की पार्टी संयुक्त अकाली दल (Akali dal) के साथ गठबंधन (Gathbandhan) किया है।
दिग्गजों के लिए भी जीत की राह आसान नहीं
इस बार के चुनाव में कांग्रेस और आप के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है जबकि दूसरे सियासी दल भी पूरी ताकत लगाकर बाजी जीतने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इस बार कई सियासी दिग्गजों के लिए भी जीत की राह आसान नहीं मानी जा रही है और वे भी कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं। पंजाब में हॉट मानी जा रही इन सीटों पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है।
कैप्टन को गढ़ में ही चुनौती
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अपना गढ़ माने जाने वाली पटियाला शहर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारे हैं। इस सीट कैप्टन की मजबूत पकड़ मानी जाती है और पिछले 20 साल से उनका इस सीट पर कब्जा है। वे 2002 से लगातार इस सीट पर चुनाव जीतते रहे हैं। उन्होंने ये सभी चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीते हैं। इस बार सियासी हालात बदल जाने के कारण कैप्टन की घेराबंदी की जा रही है।
कैप्टन इस बार भाजपा के साथ गठबंधन करके चुनाव मैदान में उतरे हैं। कांग्रेस ने पूर्व मेयर विष्णु शर्मा को चुनाव मैदान में उतारकर कैप्टन को घेरने की कोशिश की है। आप की ओर से अजीतपाल सिंह कोहली कैप्टन को चुनौती दे रहे हैं जबकि शिरोमणि अकाली दल ने हरपाल जुनेजा को चुनाव मैदान में उतारा है। कैप्टन को पहली बार इस सीट पर कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। अब तक सिर्फ बड़ी रैलियां करने वाले कैप्टन अपने चुनाव क्षेत्र में नुक्कड़ सभाएं करने पर मजबूर हो गए हैं।
बुजुर्ग बादल भी कड़े मुकाबले में फंसे
लंबी विधानसभा सीट को पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का गढ़ माना जाता है और वे एक बार फिर इसी सीट पर किस्मत आजमाने के लिए उतरे हैं। बादल की इस सीट पर मजबूत पकड़ मानी जाती है और पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को मात दी थी। 93 वर्षीय बादल ने पिछला चुनाव 22,770 मतों से जीता था। सभी दलों के प्रत्याशी अकाली दल के उम्मीदवार बादल से ही अपनी लड़ाई मान रहे हैं।
कांग्रेस ने जगपाल सिंह अबुलखुराना को टिकट दिया है जबकि आम आदमी पार्टी के टिकट पर गुरमीत सिंह खुड्डियां चुनाव मैदान में उतरे हैं। भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार राकेश ढींगड़ा भी चुनौती देने की कोशिश में जुटे हुए हैं। बुजुर्ग होने और हाल में बीमार होने की वजह से बादल चुनाव प्रचार में पूरी ताकत नहीं झोंक पा रहे हैं। वैसे अकाली दल के कार्यकर्ताओं ने प्रचार की जिम्मेदारी संभाल रखी है। बादल को इस बार आप प्रत्याशी की ओर से कड़ी चुनौती मिल रही है।
सिद्धू और मजीठिया में कड़ी जंग
अमृतसर ईस्ट सीट पर हर किसी की नजर लगी हुई है क्योंकि इस सीट पर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया का मुकाबला हो रहा है। दोनों नेताओं ने एक दूसरे को पटखनी देने के लिए कमर कस रखी है। मजीठिया के चुनाव मैदान में उतरने के कारण सिद्धू अपने चुनाव क्षेत्र में ही फंस गए हैं और दूसरे प्रत्याशियों पर कम ध्यान दे पा रहे हैं। अपने सियासी जीवन में पहली बार वे डोर टू डोर जनसंपर्क करने पर मजबूर हुए हैं। सिद्धू को चुनौती देने के लिए मजीठिया ने अपनी परंपरागत मजीठा सीट छोड़कर इस सीट से लड़ने का फैसला किया है। दो सियासी दुश्मनों के बीच इस बार कड़ी सियासी जंग दिख रही है।
आम आदमी पार्टी ने महिला उम्मीदवार जीवनजोत कौर को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि भाजपा गठबंधन की ओर से पूर्व आईएएस डॉक्टर जगमोहन सिंह राजू चुनाव मैदान में उतरे हैं। इस चुनाव क्षेत्र में मुख्य मुकाबला सिद्धू और मजीठिया के बीच ही माना जा रहा है। दोनों प्रत्याशियों ने एक-दूसरे को हराने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। दोनों प्रत्याशियों ने अपने सियासी जीवन में एक भी हार नहीं देखी है। इसलिए दोनों के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा की जंग बन गया है।
सुखबीर को मिल रही आप से चुनौती
पाकिस्तान के सीमावर्ती जिले फाजिल्का की जलालाबाद विधानसभा सीट भी काफी चर्चाओं में है। इस सीट पर तीन बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरे हैं। आप ने नए चेहरे जगदीप कंबोज को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस से मोहन सिंह फलियावालां बादल को चुनौती देने में जुटे हुए हैं। भाजपा गठबंधन ने पूर्णचंद्र पर भरोसा जताया है। इस सीट पर आप प्रत्याशी ने बादल के लिए मुश्किलें खड़ी कर रखी हैं।
हालांकि डिप्टी सीएम रहते हुए बादल ने क्षेत्र में विकास के कई काम कराए हैं मगर क्षेत्र में बेरोजगारी का मुद्दा भी जोर पकड़ रहा है। आप उम्मीदवार को युवा और बदलाव चाहने वाले मतदाताओं का समर्थन मिल रहा है और यह सुखबीर बादल के लिए बड़ी मुसीबत बना हुआ है। वैसे अकाली दल की ओर से सीएम चेहरा होने के कारण बादल को इसका सियासी लाभ मिल सकता है।
मान को घेरने में जुटी है कांग्रेस
धूरी विधानसभा सीट भी हॉट बन गई है क्योंकि यहां से आप के सीएम चेहरे भगवंत मान चुनाव मैदान में उतरे हैं। मान के संसदीय क्षेत्र का हिस्सा होने के कारण इस क्षेत्र में उनकी स्थिति मजबूत मानी जा रही है। कांग्रेस ने इस सीट पर दलबीर सिंह गोल्डी को टिकट दिया है जबकि शिरोमणि अकाली दल की ओर से प्रकाश चंद्र गर्ग चुनाव मैदान में उतरी। भाजपा गठबंधन ने रणदीप सिंह देओल पर भरोसा जताया है।
इस सीट से मौजूदा विधायक कांग्रेस प्रत्याशी गोल्डी मान को लगातार घेरने में जुटे हुए हैं। वे मान पर इस विधानसभा क्षेत्र की अनदेखी करने का आरोप लगा रहे हैं। इस चुनाव क्षेत्र में कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी और आप की ओर से अरविंद केजरीवाल की सभाएं हो चुकी हैं। इस सीट पर मुख्य मुकाबला आप और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है।
सीएम चन्नी की राह भी आसान नहीं
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी इस बार दो विधानसभा सीटों से चुनाव मैदान में उतरे हैं। उन्होंने चमकौर साहिब के अलावा भदौर सुरक्षित सीट से भी नामांकन किया है। बरनाला जिले की भदौर सुरक्षित सीट पर पिछले चुनाव में आप ने जीत हासिल की थी। बरनाला जिले को आप का गढ़ माना जाता है और जिले की तीनों विधानसभा सीट आप ने ही जीती थी।
आप ने इस बार मोबाइल रिपेयरिंग की शॉप चलाने वाले लाभ सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। अकाली दल की ओर से सतनाम सिंह राही चन्नी को चुनौती दे रहे हैं जबकि भाजपा गठबंधन ने धर्म सिंह फौजी को चुनाव मैदान में उतारा। इस विधानसभा सीट पर चन्नी को आप की चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है।
बाजवा को घेरने की कोशिश
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा भी इस बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। उनके चुनाव लड़ने से कादियां विधानसभा सीट इस बार हॉट बन गई है। बाजवा 2009 के लोकसभा चुनाव में सिने स्टार विनोद खन्ना को चुनाव हरा चुके हैं। पंजाब में उनका बड़ा सियासी कद है।
उनके खिलाफ आप ने जगरूप सिंह शेखवा को चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा गठबंधन की ओर से मास्टर जौहर सिंह बाजवा को चुनौती दे रहे हैं जबकि अकाली दल ने इकबाल सिंह माहल को टिकट दिया है। बाजवा की स्थिति मजबूत मानी जा रही है मगर विपक्षी उम्मीदवार उन्हें घेरने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
रंधावा लड़ रहे प्रतिष्ठा की जंग
राज्य के डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह रंधावा डेरा बाबा नानक सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं। 2017 के चुनाव में रंधावा ने अकाली दल को हराकर यह सीट जीती थी। रंधावा के लिए इस बार का चुनाव प्रतिष्ठा की जंग बन गया है क्योंकि दूसरे उम्मीदवारों की ओर से उन्हें कड़ी चुनौती मिल रही है। आप ने इस सीट पर गुरदीप सिंह को टिकट दिया है जबकि भाजपा गठबंधन की ओर से कुलदीप सिंह चुनाव मैदान में उतरे हैं। अकाली दल ने रवि किरण सिंह कहलों को चुनाव मैदान में उतारा है। रंधावा को सियासत का धुरंधर खिलाड़ी माना जाता है मगर इस बारे में एक कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं।