Punjab Elections 2022: डेरा और रविदास समुदाय ने दिखाई अपनी ताकत

Punjab: पंजाब की सियासत में सत्ता पर क़ाबिज़ होने के लिए दलित समुदाय अहम किरदार निभाता है। दूसरे राज्यों के मुक़ाबले में पंजाब में सबसे ज़्यादा दलित आबादी रहती है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2022-01-18 12:01 GMT

डेरा और रविदास समुदाय (फोटो-सोशल मीडिया)

Punjab: पंजाब में मतदान की तिथि को बदले जाने से पता चलता है कि डेरा और उसके अनुयायियों का कितना व्यापक प्रभाव है। ये भी पता चलता है कि दलित वोट, विशेष रूप से रविदासिया समूहों का वोट कितना महत्वपूर्ण है। इन्हीं समुदायों के जोर देने पर चुनाव आयोग ने मतदान की तारीख़ बदली है।

जालंधर के पास बलान स्थित डेरा सचखंड रविदास बिरदारी का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। बिरादरी के सभी फैसले यहीं से होते हैं। डेरे ने वाराणसी में गुरु रविदास के जन्म स्थान पर धार्मिक स्थल का निर्माण कराया है।

पंजाब की सियासत में सत्ता पर क़ाबिज़ होने के लिए दलित समुदाय अहम किरदार निभाता है। दूसरे राज्यों के मुक़ाबले में पंजाब में सबसे ज़्यादा दलित आबादी रहती है। पंजाब की 117 विधानसभा सीटों में करीब 50 विधानसभा सीटों पर दलितों का वोट मायने रखता है।

क्या है डेरा सचखण्ड
Dera Sach Khand Kya Hai 

जालंधर के बलान स्थित डेरा सचखंड एक सदी से भी अधिक समय से अस्तित्व में है। इसके संस्थापक बाबा पीपल दास चर्मकार जातीय समुदाय से थे। उनके अनुयायी भी इसी समुदाय से थे। 15वीं सदी के भक्ति कवि संत रविदास भी इसी जाति के थे। 1980 के दशक की शुरुआत में, डेरा का प्रभाव और उसकी मौजूदगी बहुत व्यापक रूप से बढ़ी। पंजाब का दोआबा क्षेत्र, विशेष रूप से जालंधर, औपनिवेशिक काल से चमड़े के व्यापार और उद्योग का केंद्र रहा है।

यदि पंजाब को देश में सबसे अधिक एससी आबादी वाला राज्य माना जाए तो जालंधर और दोआबा दलितों के केंद्र हैं। पंजाब में सामाजिक व आर्थिक स्तर पर भेदभाव और डेरों में जाति, धर्म का बंधन न होने के कारण भी लोग डेरों की तरफ आकर्षित हुए। पंजाब में छोटे-बड़े मिलाकर करीब नौ हजार डेरे हैं। इनमें तीन सौ ऐसे हैं, जिनका अच्छा खासा प्रभाव है। कुछ डेरों के समर्थकों की संख्या लाखों में है और कई डेरों का विस्तार तो विदेशों तक है।

डेरा सचखंड बलान की दोआबा में काफ़ी अच्छी पकड़ है। कम से कम 23 विधानसभा सीटों पर डेरा सचखंड निर्णायक माना जाता है। वहीं रविदासिया समुदाय का वोट हर निर्वाचन क्षेत्र में 20 से 50 फ़ीसदी तक है। दोआबा में 37 फीसदी, मालवा में 31 फीसदी और माझा में 29 फीसदी दलित आबादी है।

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी दलित हैं। वे मालवा के रहने वाले हैं और रविदासिया उपजाति से ताल्लुक रखते हैं। भारतीय जनता पार्टी भी ऐलान कर चुकी है कि वह पंजाब में सत्ता में आई तो दलित को मुख्यमंत्री बनाएगी। पंजाब के नेता विपक्ष हरपाल सिंह चीमा भी एक दलित नेता हैं।

डेरा सचखंड का बनारस कनेक्शन
Banaras connection of Dera Sachkhand

डेरा सचखंड का ट्रस्ट,वाराणसी स्थित रविदास मंदिर की देखभाल करता है और हर साल यह एक विशेष एक्सप्रेस ट्रेन का भी आयोजन करता है जो भक्तों को रविदास जयंती के अवसर पर वाराणसी में तक ले जाती है।

Tags:    

Similar News