Punjab: पंजाब में मान के लिए मुसीबत बना दिल्ली जैसा किसान आंदोलन, मांगें पूरी होने तक डटे रहने का ऐलान

Punjab: पंजाब की नई भगवंत मान सरकार के लिए किसानों का आंदोलन बड़ी मुसीबत बन गया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2022-05-18 14:26 IST

 पंजाब किसान आंदोलन (फोटो-सोशल मीडिया)

Punjab: पंजाब की नई भगवंत मान सरकार (Bhagwant Mann Government) के लिए किसानों का आंदोलन (Punjab Farmer movement) बड़ी मुसीबत बन गया है। राज्य की सत्ता संभालने के करीब दो महीने बाद ही 23 किसान संगठनों ने एकजुट होकर अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए बड़ा आंदोलन छेड़ दिया है। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि जब तक सरकार की ओर से उनकी मांगों को पूरा करने का ऐलान नहीं किया जाता तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा और वे धरना स्थल पर डटे रहेंगे।

अपनी मांगों को पूरा कराने का दबाव डालने के लिए किसानों(Farmer) ने चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर (Chandigarh-Mohali Border) पर डेरा डाल दिया है। उल्लेखनीय बात यह है कि विभिन्न किसान संगठनों के बैनर तले जुटे किसान दिल्ली जैसा आंदोलन छेड़ने के मूड में दिख रहे हैं।

दिल्ली में छेड़े गए बड़े आंदोलन की तरह ही किसान ट्रैक्टर ट्रॉलियों में जरूरी राशन, पंखा, कूलर और अन्य जरूरी सामान लेकर धरना स्थल पर पहुंचे हैं। जानकारों का कहना है कि किसानों की इस तैयारी को देखते हुए माना जा रहा है कि वे धरना स्थल से जल्दी नहीं हटने वाले हैं। 

दिल्ली की तरह खेड़ा आंदोलन 

दरअसल किसान संगठनों की ओर से पंजाब सरकार के सामने कई मांगे रखी गई थीं और मांगों को जल्द पूरा करने का अनुरोध किया गया था। किसानों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में उन्हें बिजली की तमाम दिक्कतें झेलनी पड़ रही है।

इसके साथ ही उन्होंने गेहूं के लिए 500 रुपए बोनस और बासमती व मूंग पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की मांग की है। उन्होंने गेहूं के निर्यात पर से बैन हटाने और बिजली के प्रीपेड मीटर न लगाने की भी मांग रखी है। 

भारतीय किसान संघ के नेता सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि हमने दिल्ली के आंदोलन की तरह ही यहां भी किसानों का बड़ा आंदोलन छेड़ा है और जब तक सरकार की ओर से हमारी मांगे नहीं पूरी की जातीं तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से किसानों की कई मांगों पर पहले सहमति व्यक्त की गई थी मगर इसके संबंध में अभी तक कोई अधिसूचना नहीं जारी की गई। ऐसे में सरकार की ओर से किसान संगठनों को सिर्फ भरमाने की कोशिश की जा रही है।

सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप 

किसान संगठनों की ओर से अपनी मांगों को लेकर चंडीगढ़ में घुसने की कोशिश की गई तो पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर ही किसानों को रोक दिया। पुलिस के रोकने पर किसानों ने वहीं पर धरना शुरू कर दिया।

किसान संगठनों ने सरकार को सख्त तेवर दिखाते हुए मांगों को जल्द से जल्द पूरा करने को कहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को यह समझ लेना चाहिए कि हम आरपार की लड़ाई लड़ने के लिए इकट्ठा हुए हैं और जब तक हमारी 11 मांगों को पूरा नहीं किया जाता है तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा। 

किसान संगठनों की ओर से सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया गया है। उनका कहना है कि एक ओर सरकार किसान हितैषी होने का दावा कर रही है तो दूसरी ओर किसानों की समस्याओं की अनदेखी की जा रही है। सरकार को किसानों की ताकत समझनी होगी और उनके हक में ही फैसला लेना होगा।

मान ने आंदोलन को गलत बताया 

दूसरी ओर मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि वे हर मुद्दे पर किसान संगठनों के साथ खुले दिल से बातचीत करने के लिए तैयार हैं मगर किसानों को भी यह रवैया छोड़ना होगा। उन्होंने आंदोलन की राह अपनाने पर किसान संगठनों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने किसान आंदोलन को अनुचित और अवांछनीय बताया।

उन्होंने कहा कि पंजाब में जलस्तर लगातार घटता जा रहा है और इस मुद्दे पर किसान संगठनों को सरकार के साथ सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार किसानों की समस्याएं दूर करने के लिए तैयार है मगर इसके लिए आंदोलन के जरिए दबाव बनाना उचित नहीं है।

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