Punjab politics: सबकी नजर कैप्टन के भावी फैसले पर, BJP कर रही बेसब्री से इंतजार, पूर्व CM के पास बचे हैं तीन विकल्प

Punjab politics: पंजाब में कांग्रेस हाईकमान की ओर से कैप्टन को विश्वास में लिए बिना शनिवार को विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Ragini Sinha
Update:2021-09-20 12:23 IST

Punjab politics: सबकी नजर कैप्टन के भावी फैसले पर (social media)

Punjab politics: पंजाब के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के बाद अब सभी दलों की नजर कैप्टन अमरिंदर सिंह के भावी फैसले पर टिक गई है। पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कैप्टन के भावी फैसले को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उनका फैसला राज्य के सियासी समीकरण पर काफी असर डालने वाला साबित होगा। कैप्टन ने इस्तीफा देने के बाद अभी तक अपने सियासी पत्ते नहीं खोले है मगर उनकी ओर से पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को देशद्रोही बताए जाने को भाजपा ने अपना हथियार बना लिया है। भावी सियासत को लेकर कैप्टन के फैसले का भाजपा को बेसब्री से इंतजार है। भाजपा ने कैप्टन के बयान पर कांग्रेस हाईकमान से जवाब भी मांगा है।

कैप्टन के पास अपनी भावी सियासत को लेकर अब तीन विकल्प ही बचे हैं। उन्हें जल्द ही फैसला लेना होगा क्योंकि राज्य में चुनावी माहौल बन चुका है। कैप्टन इस बाबत अपने समर्थकों के साथ चर्चा करने में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा भी है कि साथियों से चर्चा करने के बाद मैं अपनी भावी सियासत के संबंध में फैसला लूंगा। माना जा रहा है कि वे जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। 

इस्तीफे के बाद कैप्टन की खुलकर बैटिंग 

पंजाब में कांग्रेस हाईकमान की ओर से कैप्टन को विश्वास में लिए बिना शनिवार को विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी। इसे लेकर कैप्टन काफी आहत बताए जा रहे हैं। कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने इस बाबत शुक्रवार की देर रात ट्वीट किया था और इस संबंध में कैप्टन से कोई चर्चा तक नहीं की गई थी। बाद में अपने समर्थकों की कम संख्या को देखते हुए कैप्टन ने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया। अपने इस्तीफे के एलान के साथ ही कैप्टन ने सिद्धू के खिलाफ खुलकर बैटिंग शुरू कर दी है। अपने पहले बयान में ही उन्होंने सिद्धू को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने पर खुलकर विरोध करने का एलान कर दिया। आने वाले दिनों में सिद्धू और कैप्टन के बीच तल्खी और बढ़ेगी और कैप्टन के लिए उस नाव की सवारी और कठिन हो जाएगी जिस पर पहले ही सिद्धू बैठे हुए हैं।

कैप्टन के पास बचे हैं ये तीन विकल्प 

सियासी जानकारों का मानना है कि कैप्टन के पास अपनी भावी राजनीति के लिए अब सिर्फ तीन विकल्प ही बच गए हैं। पहला तो यह है कि अपने अपमान का बदला लेने के लिए वे कांग्रेस के भीतर ही रहकर पार्टी की चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। दूसरा विकल्प यह है कि वे कोई नई पार्टी बनाकर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उतरें। तीसरा यह कि वे भाजपा में शामिल होकर कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दें। पहला और दूसरा विकल्प कैप्टन के लिए आगे सियासी फायदा पहुंचाने वाला नहीं साबित होगा। चुनाव बिल्कुल सिर पर होने के कारण नई पार्टी बनाकर मैदान में उतरना आसान काम नहीं है। ऐसे में तीसरे विकल्प को सबसे ज्यादा दमदार माना जा रहा है।

कैप्टन अतीत में भी पाकिस्तान के खिलाफ खुलकर हमला बोलते रहे हैं। इस्तीफे के साथ ही उन्होंने सिद्धू के पाक कनेक्शन का मुद्दा उठाकर सियासी माहौल को और गरमा दिया है। कैप्टन का यह राष्ट्रवादी रुख भाजपा को काफी रास आ रहा है। यही कारण है कि भाजपा को कैप्टन के भावी फैसले का बेसब्री से इंतजार है।

कैप्टन के बयान को भाजपा ने बनाया हथियार 

कैप्टन के बयान को हथियार बनाकर भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश जावड़ेकर ने कैप्टन के सिद्धू पर दिए गए बयान को लेकर कांग्रेस को घेरा है। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं जबकि उन्हें इस बाबत पार्टी का रुख स्पष्ट करना चाहिए। 

जावड़ेकर ने कहा कि कैप्टन का बयान काफी गंभीर है । क्योंकि उन्होंने सिद्धू को देश विरोधी तक बताया है। उन्होंने कहा कि सिद्धू के संबंध में यह सच्चाई देश पहले से ही जानता था मगर अब कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने ही इस गंभीर मुद्दे को उठा दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।

मोदी और शाह से कैप्टन के अच्छे रिश्ते 

कैप्टन की भावी सियासत पर सबसे ज्यादा नजर भाजपा की ही लगी हुई है। कैप्टन ने पिछले महीने अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अलग-अलग मुलाकात की थी। कैप्टन की ये दोनों मुलाकातें काफी अच्छे माहौल में हुई थीं। इससे पहले किसान आंदोलन के दौरान भी उन्होंने पीएम मोदी से लंबी चर्चा की थी। 

पिछले दिनों जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जालियांवाला बाग के नवीनीकरण पर आपत्ति जताते हुए इसे शहीदों का अपमान बताया था तो कैप्टन ने मोदी सरकार के इस कदम का समर्थन किया था। उनका कहना था कि इस समारोह में मैं भी मौजूद था । मोदी सरकार की ओर से उठाया गया यह कदम मुझे अच्छा लगा। कैप्टन का यह बयान भी मीडिया में काफी चर्चा का विषय बना था।

भाजपा को दमदार चेहरे की तलाश 

पंजाब की राजनीति में भाजपा अभी तक अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ती रही है। नए कृषि कानून के मुद्दे पर भाजपा और अकाली दल का गठबंधन टूट चुका है। अकाली दल के साथ गठबंधन में भी भाजपा हमेशा जूनियर पार्टनर रही है। अब भाजपा ने अकेले दम पर पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ने का फैसला किया है। लेकिन पार्टी के सामने सबसे बड़ा संकट चेहरे का है। पार्टी के पास ऐसा कोई दमदार चेहरा नहीं है जिसके बलबूते कांग्रेस, आप और अकाली-बसपा गठबंधन को चुनौती दी जा सके। ऐसे में कैप्टन का चेहरा भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। मोदी और शाह से अच्छे रिश्ते रखने वाले कैप्टन इस बाबत क्या फैसला लेते हैं, अब सबकी नजर इसी बात पर टिकी हुई है।

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