Punjab Politics: पंजाब में नया सियासी समीकरण, कैप्टन पर बदल गए भाजपा के सुर, बताया राष्ट्रवादी नेता

Punjab Politics: कांग्रेस से अलग होने के बाद अब उन्हें अपना व्यक्तिगत सियासी दमखम दिखाना होगा। ऐसे में कैप्टन भाजपा के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरने की रणनीति बना रहे हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shreya
Update: 2021-10-21 06:08 GMT

कैप्टन अमरिंदर सिंह (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Punjab Politics: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) के कांग्रेस (Congress) से अलग होकर नया राजनीतिक दल (Amarinder Singh New Party) बनाने की घोषणा से राज्य में नया सियासी समीकरण बनता दिख रहा है। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह और भाजपा (BJP) दोनों की स्थिति एक जैसी है। दोनों को चुनावी रण में उतरने के लिए सहयोगी की तलाश है। पंजाब में भाजपा का ज्यादा मजबूत जनाधार नहीं है। वह अभी तक अकाली दल (Akali Dal) के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरती रही है। दूसरी और कैप्टन पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) का चेहरा जरूर रहे हैं। मगर कांग्रेस से अलग होने के बाद अब उन्हें अपना व्यक्तिगत सियासी दमखम दिखाना होगा।

ऐसे में कैप्टन भाजपा के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरने की रणनीति बना रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह शर्त भी लगाई है कि वे एक किसान आंदोलन (Kisan Andolan) का समाधान होने की दिशा में ही भाजपा के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरेंगे। कैप्टन की घोषणा (Amarinder Singh Ki Ghoshna) के बाद अब भाजपा के सुर भी उनके प्रति पूरी तरह बदल गए हैं। भाजपा ने कैप्टन के ऑफर (Captain Ka Offer) को लपकने में जरा भी देर नहीं की और उन्हें देशभक्त बताया। भाजपा का कहना है कि पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Chunaav 2022) में पार्टी उन लोगों के साथ गठबंधन करने की इच्छुक है, जिनके लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि है। पार्टी ने कैप्टन को खुलकर राष्ट्रवादी नेता बताया है। 

कैप्टन की घोषणा से भाजपा में उत्साह

कैप्टन की घोषणा (Captain Ki Ghoshna) के बाद भाजपा में उत्साह का माहौल दिखने लगा है। किसान आंदोलन (Farmers Protest) के कारण अभी तक अलग-थलग पड़ी पार्टी में कैप्टन के एलान (Amarinder Singh Ka Elan) के बदला हुआ माहौल दिख रहा है। पार्टी के खुश होने का एक कारण यह भी है कि पार्टी को लग रहा है कि इस गठबंधन के आकार लेने पर किसान आंदोलन का भी कोई समाधान जरूर निकल आएगा।

किसान आंदोलन को खड़ा करने वालों में कैप्टन का भी नाम लिया जाता है। ऐसे में अगर कैप्टन अलग पार्टी बनाकर भाजपा के साथ गठबंधन करते हैं तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर भी किसान आंदोलन को समाप्त कराने के लिए दबाव बढ़ेगा। 

अमित शाह संग अमरिंदर सिंर (फोटो साभार- ट्विटर) 

किसान आंदोलन खत्म कराने की कवायद

कैप्टन का कहना है कि वह भाजपा से तभी हाथ मिलाएंगे जब कृषि कानूनों (New Farm Laws) से जुड़े मुद्दों का संतोषजनक समाधान निकाल लिया जाएगा। उनकी इस घोषणा को बड़ा संकेत माना जा रहा है क्योंकि हाल के दिनों में उनकी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात हुई थी। जानकारों के मुताबिक इस मुलाकात (Amarinder Singh Meets Amit Shah) के दौरान किसान आंदोलन पर भी दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई थी।

कैप्टन की घोषणा को इस बात का संकेत माना जा रहा है कि अंदरखाने किसान आंदोलन को खत्म कराने की कोई न कोई कवायद जरूर की जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री ने इस ओर संकेत भी किया है कि लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन को खत्म कराने के लिए मोदी सरकार (Modi Government) की ओर से जल्द ही समाधान का फार्मूला सामने आ सकता है।

दुष्यंत गौतम (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

कैप्टन के साथ भाजपा पूरी तरह तैयार

वैसे भाजपा के महासचिव और पंजाब के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम (Dushyant Kumar Gautam) का कहना है कि पार्टी पंजाब चुनाव (Punjab Chunav) में कैप्टन से साथ जाने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि कैप्टन ने किसान आंदोलन को खत्म कराने के मुद्दे पर कोई बात नहीं कही है। उन्होंने साफ तौर पर किसानों से जुड़े मुद्दों पर बात की है और भाजपा इसके लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। भाजपा सरकार पहले से ही किसानों के हितों की रक्षा करने में जुटी हुई है। सही समय आने पर हम साथ बैठकर किसानों से जुड़े मुद्दों पर व्यापक चर्चा करेंगे।

गौतम ने कहा कि जहां तक किसान आंदोलन की बात है तो यह आंदोलन निश्चित रूप से राजनीति से प्रेरित है। कुछ सियासी लोग इस आंदोलन के जरिए अपना सियासी एजेंडा साधने की कोशिश कर रहे हैं।

कैप्टन के रुख की जमकर तारीफ

भाजपा नेता ने साफ तौर पर कहा कि हमारी पार्टी का मुख्य एजेंडा राष्ट्रवाद है। जिन पार्टियों और लोगों के लिए राष्ट्र का हित सर्वोपरि है, हम उनका स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह खुद सैनिक रहे हैं। राष्ट्रवाद से जुड़े मुद्दों पर उनके रुख की सभी को तारीफ करनी चाहिए। कैप्टन को देश के सामने मौजूद खतरों और देश की सुरक्षा के उपायों की पूरी जानकारी है। जब भी राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा पर किसी भी विवाद की बात आती है तो हमें कैप्टन के रुख की तारीफ करनी होगी।

वैसे गौतम ने यह भी स्पष्ट किया कि अभी गठबंधन के मुद्दे पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है क्योंकि अभी कैप्टन को अपनी नई राजनीतिक पार्टी का गठन करना है। हमें कैप्टन की ओर से यह काम जल्द पूरा किए जाने की उम्मीद है। उसके बाद गठबंधन की औपचारिकताओं को अंतिम रूप दिया जा सकता है। 

बीजेपी आलकमान (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

भाजपा को मिला बड़ा मौका

कैप्टन के साथ गठबंधन को भाजपा स्वर्णिम मौका इसलिए भी मान रही है क्योंकि इससे पार्टी की एक बड़ी दिक्कत दूर हो सकती है। हालांकि किसान संगठनों की ओर से सभी राजनीतिक दलों का विरोध किया जा रहा है मगर किसान संगठनों ने सबसे ज्यादा आक्रामक रुख भाजपा को लेकर ही अपना रखा है। किसान संगठनों के आक्रामक रवैए के कारण भाजपा को बड़ा सियासी नुकसान होने का डर सता रहा है । मगर कैप्टन के साथ हाथ मिलाने पर पार्टी की दिक्कतें काफी हद तक दूर हो सकती हैं।

अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा को कैप्टन के साथ मिलकर अपनी सियासी जमीन मजबूत बनाने का बड़ा मौका नजर आ रहा है। पार्टी कांग्रेस में चल रही अंतर कलह फायदा भी उठाना चाहती है। ऐसी स्थिति में भी कैप्टन उसके लिए बड़े मददगार साबित हो सकते हैं। 

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