Ashok Gehlot vs Sachin Pilot: राजस्थान को पंजाब नहीं बनाना चाहता कांग्रेस नेतृत्व,सचिन से टकराव में मजबूत दिख रहे गहलोत
Ashok Gehlot vs Sachin Pilot: पार्टी नेतृत्व राजस्थान को पंजाब नहीं बनने देना चाहता जहां पार्टी नेताओं के आपसी झगड़े के कारण कांग्रेस को शर्मनाक हार का मुंह देखना पड़ा था। यही कारण है कि पार्टी सचिन पायलट से दूरी बनाते हुए पूरी तरह अशोक गहलोत के साथ खड़ी दिख रही है।
Ashok Gehlot vs Sachin Pilot: नई दिल्ली राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच नए सिरे से टकराव शुरू होने के बाद कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व गहलोत के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है। पायलट ने रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर राज्य के पूर्व सीएम और भाजपा के वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे के साथ सांठगांठ का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि वसुंधरा राज में हुए भ्रष्टाचार के मामलों को गहलोत दबाए बैठे हैं। इसके विरोध में उन्होंने 11 अप्रैल को अनशन का ऐलान भी कर दिया है।
पायलट की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व सतर्क हो गया है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी नेतृत्व राजस्थान को पंजाब नहीं बनने देना चाहता जहां पार्टी नेताओं के आपसी झगड़े के कारण कांग्रेस को शर्मनाक हार का मुंह देखना पड़ा था। यही कारण है कि पार्टी सचिन पायलट से दूरी बनाते हुए पूरी तरह अशोक गहलोत के साथ खड़ी दिख रही है। पार्टी के रुख से साफ हो गया है कि पायलट की जगह गहलोत को ही महत्व दिया जा रहा है और पार्टी उन्हीं के चेहरे पर विधानसभा चुनाव के अखाड़े में उतरेगी।
गहलोत राज में ऐतिहासिक उपलब्धियों का दावा
राजस्थान में पार्टी के दो बड़े दिग्गजों अशोक गहलोत और सचिन पायलट में पैदा हुए नए टकराव के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता और महासचिव जयराम रमेश के बयान ने पार्टी नेतृत्व के रुख का बड़ा संकेत दिया है। जयराम रमेश ने गहलोत सरकार के कार्यकाल में ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल करने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार के कामकाज के आधार पर ही पार्टी इस साल के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा के चुनाव में एक बार फिर जनादेश मांगेगी।
कांग्रेस महासचिव रमेश ने कहा कि अशोक गहलोत के कार्यकाल में राजस्थान में कई अच्छी योजनाओं को लागू किया गया है। सरकार की ओर से उठाए गए कई कदमों ने लोगों को गहराई से प्रभावित किया है। पार्टी गहलोत सरकार की ऐतिहासिक उपलब्धियों और संगठन के सामूहिक प्रयासों के दम पर चुनाव मैदान में उतरेगी। हालांकि रमेश ने सचिन पायलट की ओर से की उठाए गए मुद्दों का कोई जिक्र नहीं किया। इससे साफ हो गया है कि पार्टी नेतृत्व पायलट की ओर से उठाए गए मुद्दों को ज्यादा महत्व देने के मूड में नहीं दिख रहा है। सचिन पायलट की ओर से अपनी ही पार्टी की सरकार पर हमलावर रुख अपनाए जाने के बाद जयराम रमेश की ओर से जारी बयान को बड़ा संकेत माना जा रहा है।
पार्टी प्रभारी के सामने उठाएं मुद्दे
कांग्रेस प्रवक्ता सचिन पवन खेड़ा ने सचिन पायलट के मुद्दे पर पार्टी का रुख साफ करते हुए कहा कि अगर किसी को कोई शिकवा शिकायत है तो उसे पार्टी के प्रदेश प्रभारी के सामने रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजस्थान कांग्रेस के बड़े नेता गजेंद्र शेखावत के खिलाफ संजीवनी मामले में जांच चल रही है जबकि विधायकों के खरीद-फरोख्त के जरिए चुनी हुई सरकार को गिराने के प्रयासों की भी जांच की जा रही है। जानकारों का मानना है कि इसके जरिए पवन खेड़ा ने सचिन पायलट को जवाब देने की कोशिश की है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इस पूरे मामले पर पार्टी हाईकमान नजर रखे हुए हैं और राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को इस मामले में बातचीत करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। रंधावा भी सचिन पायलट के प्रेस कॉन्फ्रेंस में गहलोत के खिलाफ लगाए गए आरोपों को लेकर नाराज हैं। उनका भी साफ तौर पर कहना है कि सचिन पायलट से उनकी कई बार मुलाकात हो चुकी है मगर उन्होंने कभी इन मुद्दों को नहीं उठाया। जानकारों का कहना है कि रंधावा जल्द ही इस मुद्दे पर सचिन पायलट से चर्चा कर सकते हैं।
राजस्थान को पंजाब नहीं बनने देना चाहती कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि पार्टी नेतृत्व राजस्थान को पंजाब नहीं बनाना चाहता। उन्होंने कहा कि पिछले साल अशोक गहलोत को पार्टी का अध्यक्ष बनाकर राजस्थान में बदलाव की कोशिश की गई थी मगर कुछ कारणों से इसे अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सका। सूत्रों के मुताबिक राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक होने के कारण पार्टी नेतृत्व सतर्क हो गया है। यही कारण है कि पार्टी अब पूरी तरह गहलोत के साथ खड़ी हुई दिख रही है।
पंजाब में पार्टी को उठाना पड़ा था बड़ा नुकसान
दरअसल पंजाब में कांग्रेस को नवजोत सिंह सिद्धू और तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के झगड़े के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ा था। बाद में कैप्टन के इस्तीफा देने के बाद चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था मगर उनके साथ भी सिद्धू की ट्यूनिंग नहीं बैठ सकी। बेअदबी मामले और उससे जुड़े हुए अधिकारी को डीजीपी बनाए जाने के मुद्दे पर सिद्धू ने चन्नी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। बाद में चन्नी को कांग्रेस की ओर से सीएम चेहरा घोषित किया गया था मगर पार्टी के बड़े नेताओं में आपसी खींचतान के चलते पार्टी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था।
इसलिए फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है नेतृत्व
राजस्थान प्रकरण में एक उल्लेखनीय पहलू यह भी है कि सिद्धू की तरह ही सचिन पायलट को भी राहुल और प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता रहा है। यही कारण है कि सचिन पायलट के बागी तेवर से हड़कंप मचा हुआ है। वैसे पार्टी नेतृत्व राजस्थान मामले में काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। मौजूदा समय में पार्टी की नैया पार लगाने की क्षमता अशोक गहलोत में है जबकि भविष्य में पायलट पार्टी के लिए मजबूत चेहरा होंगे। इसीलिए पार्टी की ओर से इस टकराव को समझदारी से समझाने की कोशिश की जा रही है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सियासी जादूगर माना जाता रहा है और इसी के दम पर वे लंबे समय से राजस्थान कांग्रेस पर अपनी पकड़ बनाए हुए हैं। पायलट की ओर से मोर्चा खोले जाने के बावजूद वे मजबूत स्थिति में नजर आ रहे हैं और कांग्रेस नेतृत्व का झुकाव गहलोत की ओर ही दिख रहा है। पार्टी उन्हीं की अगुवाई में राजस्थान विधानसभा के चुनाव में भाजपा के मंसूबों को ध्वस्त करना चाहती है।