Rajasthan New CM: राजस्थान में कौन होगा गहलोत का उत्तराधिकारी! कांग्रेस विधायक दल की बैठक में आज फैसला संभव

Rajasthan New CM Name: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 28 सितंबर को कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करने वाले हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2022-09-25 02:46 GMT

Ashok Gehlot-Sachin Pilot (photo: social media )

Rajasthan New CM: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी तय होने के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के लिए जबर्दस्त जोड़-तोड़ शुरू हो गई है। नए मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा करने के लिए आज शाम कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। इसके लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी अजय माकन को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। इस बैठक के दौरान नए मुख्यमंत्री के लिए विधायकों की राय जानने की कोशिश की जाएगी।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 28 सितंबर को कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करने वाले हैं। उनका कांग्रेस अध्यक्ष चुना जाना तय माना जा रहा है और गहलोत ने पहले ही घोषणा कर दी है कि कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने के बाद वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। इसी कारण नए मुख्यमंत्री का नाम तय करने की कवायद की जा रही है। वैसे जहां तक दावेदारों की बात है तो पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है। हालांकि गहलोत पायलट के नाम पर सहमत नहीं है। गहलोत की ओर से विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की वकालत की जा रही है। कुछ और दावेदारों की ओर से भी जोड़-तोड़ की जा रही है।

पायलट की दावेदारी मजबूत

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए गहलोत की उम्मीदवारी तय होने के बाद से ही सचिन पायलट काफी सक्रिय हो गए हैं। केरल में राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में हिस्सा लेने के बाद सचिन पायलट ने अपने समर्थक विधायकों के साथ राज्य के सियासी हालात पर चर्चा शुरू कर दी है। जानकारों का कहना है कि भारत जोड़ो यात्रा में हिस्सेदारी के दौरान उन्होंने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से भी इस बाबत चर्चा की है। केरल से जयपुर पहुंचने के बाद उन्होंने हाल के दिनों में कांग्रेस के कई विधायकों से सलाह मशविरा किया है। मुख्यमंत्री पद के लिए सचिन पायलट की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है।

इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गढ़ माने जाने वाले जोधपुर में भावी मुख्यमंत्री के रूप में सचिन पायलट की ताजपोशी के पोस्टर चस्पा किए गए हैं। राजस्थान के कई अन्य शहरों में भी सचिन पायलट के पोस्टर लगाकर नए मुख्यमंत्री के रूप में उनकी ताजपोशी का दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है।

पायलट की राह में गहलोत हैं रोड़ा

पायलट की राह में सबसे बड़ा रोड़ा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का उनके नाम पर रजामंद न होना है। गहलोत और सचिन पायलट के रिश्ते सहज नहीं है। 2020 में सचिन पायलट की अगुवाई में कई कांग्रेस विधायकों की बगावत के बाद गहलोत ने अभी तक सचिन पायलट को माफ नहीं किया है।

दोनों नेता समय-समय पर एक-दूसरे के खिलाफ इशारों में तंज कसते रहे हैं। पायलट समर्थकों की कांग्रेस की मुख्यधारा में वापसी के बावजूद गहलोत ने उन्हें अभी तक महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती नहीं दी। ऐसे में मुख्यमंत्री पद के लिए नाम तय करना कांग्रेस हाईकमान के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं होगा।

खड़गे और माकन पर्यवेक्षक नियुक्त

राज्य में मुख्यमंत्री पद के लिए जोड़-तोड़ और लाबिंग शुरू होने के बाद कांग्रेस हाईकमान ने भी आज शाम सात बजे कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुला ली है। पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से किए गए ट्वीट में इस बैठक की जानकारी दी गई है। वेणुगोपाल ने बताया कि पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस बैठक के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और राजस्थान के प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अजय माकन को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।

आज होने वाली इस महत्वपूर्ण बैठक के दौरान कांग्रेस के दोनों पर्यवेक्षक नए मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए विधायकों से चर्चा करेंगे। माना जा रहा है कि बाद में पर्यवेक्षकों की ओर से पार्टी हाईकमान को रिपोर्ट सौंपी जाएगी और फिर मुख्यमंत्री के नाम का आखिरी फैसला लिया जाएगा।

गहलोत खेमा भी सक्रिय

कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाए जाने के बाद जयपुर में सियासी माहौल गरमा गया है। दोनों खेमों की ओर से जबरदस्त लॉबिंग की जा रही है। सचिन पायलट खेमे की ओर से काफी दिनों से उन्हें राज्य की कमान सौंपने की मांग की जा रही है। दूसरी ओर गहलोत का खेमा भी काफी सक्रिय दिख रहा है। गहलोत को राजस्थान का सियासी जादूगर माना जाता रहा है और वे समय-समय पर राजस्थान कांग्रेस पर अपनी पकड़ साबित करते रहे हैं। ऐसे में गहलोत की राय को नजरअंदाज करना भी काफी मुश्किल माना जा रहा है।

हाल में शिरडी के साईं बाबा मंदिर में दर्शन करने के बाद आज गहलोत जैसलमेर में भारत-पाकिस्तान सीमा पर बने तनोट माता के मंदिर में दर्शन करने के लिए जाएंगे। अध्यक्ष पद पर नामांकन से पहले वे मां का आशीर्वाद लेंगे। विधायक दल की बैठक बुलाए जाने के बाद गहलोत का खेमा भी काफी सक्रिय दिख रहा है। गहलोत ने खुद इस पूरे मामले पर अभी तक चुप्पी साध रखी है। वे अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं।

गहलोत कर रहे जोशी की वकालत

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए गहलोत 28 सितंबर को नामांकन दाखिल करने वाले हैं। इस दौरान उनके समर्थक मंत्री और विधायक भी दिल्ली में मौजूद रहेंगे। अभी तक यह नहीं पता चल सका है कि गहलोत अध्यक्ष पद के लिए नामांकन के साथ ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे या वे कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने के बाद मुख्यमंत्री का पद छोड़ेंगे। वैसे सियासी जानकारों का मानना है कि जिस तरह आनन-फानन में विधायक दल की बैठक बुलाई गई है उससे संकेत है मिला है कि नामांकन के बाद गहलोत मुख्यमंत्री का पद छोड़ सकते हैं।

वैसे जहां तक गहलोत की व्यक्तिगत पसंद का सवाल है तो उनका समर्थन विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को बताया जा रहा है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से पिछले दिनों हुई मुलाकात में गहलोत ने विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी के नाम की वकालत की थी। सीपी जोशी ने 2020 की सचिन पायलट की बगावत के समय गहलोत के बड़े मददगार बन कर उभरे थे और उन्होंने बगावत करने वाले कांग्रेस विधायकों को अयोग्यता का नोटिस जारी कर दिया था। हालांकि गहलोत नए मुख्यमंत्री के को लेकर अभी तक चुप्पी साधे हुए हैं।

गहलोत को हटाने के पक्ष में नहीं है समर्थक

इस बीच गहलोत के करीबी माने जाने वाले कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा है कि अभी राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन का सही समय नहीं है। उन्होंने कहा कि हम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात कर गहलोत को अभी सवा साल तक राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाए रखने का अनुरोध करेंगे।

राज्य के एक और कैबिनेट मंत्री गोविंद राम मेघवाल का भी कहना है कि अगले विधानसभा चुनाव तक गहलोत को ही मुख्यमंत्री बनाए रखा जाना चाहिए। गहलोत के करीबी इन मंत्रियों के बयानों से साफ है कि वे अभी भी गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए तैयार नहीं है। राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है और ऐसे में हाईकमान भी काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है।

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