India Pakistan Border: 28 साल बाद राजस्थान के किसानों के लिए खुलेगा भारत-पाक बॉर्डर, इन शर्तों के साथ कर सकेंगे खेती

India Pakistan Border: पूरे 28 साल के बाद अब भारत-पाक बॉर्डर पर राजस्थान के किसान खेती कर सकेंगे। यहां अब तक किसानों को खेती करने की इजाजत नहीं थी, जबकि साल 1992 में तारबंदी के बाद किसानों की लाखों बीघा जमीन जीरो पॉइंट और तारबंदी के बीच फंसी हुई थी।

Published By :  Satyabha
Update:2021-07-04 13:43 IST

भारत-पाक बॉर्डर पर किसान कर सकेंगे खेती

India Pakistan Border: बीएसएफ (BSF) की पहल से 28 साल बाद भारत-पाक बॉर्डर (India Pakistan Border) तारबंदी और जीरो पॉइंट के बीच फंसी राजस्थान के हजारों किसानों की लाखों बीघा जमीन पर किसानों को उनका हक मिलेगा। दरअसल, साल 1992 में शुरू हुई तारबंदी के बाद किसानों (Farmer) की जमीन जीरो पॉइंट और तारबंदी के बीच चली गई थी। वहीं, बीएसएफ के पहल से किसानों को उनकी जमीन पर खेती करने की छूट दे दी गई है। किसानों की सुविधा के लिए बॉर्डर पर नये गेट भी बना दिए गए हैं। पहली बार किसान खेती के लिए तारबंदी पार जाएंगे। 

भारत-पाक बॉर्डर पर खेती करने जाने वाले किसानों को बीएसएफ की ओर से जारी आईडी कार्ड दिखाना होगा, तभी उन्हें एंट्री मिल सकेगी। किसान ट्यूबवैल से खेती के लिए तारबंदी के अंदर से पाइपलाइन भी ले जा सकेंगे। बॉर्डर पर किसानों की सुरक्षा का पूरा इंतजाम कर दिया गया है। पुरूषों के साथ यहां मिलाएं भी खेती करने जाया करेंगी। खेती के लिए आने जाने वाले किसानों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। इसके अलावा किसान अपनी जमीन के चारों ओर 4 फीट तक जाली कर सकेंगे, ताकि फसल को नुकसान नहीं हो।


बॉर्डर पर खेती करने के लिए ये शर्ते

भारत-पाक बॉर्डर पर खेती करने के लिए किसानों को सुबह 9 बजे एंट्री दी जाएगी। इसके बाद शाम 5 बजे चेकिंग के साथ उन्हें वापस आना होगा. बॉर्डर पर किसान केवल दिन में ही खेती के लिए जा सकेंगे। रात के समय खेती नहीं करने दी जाएगी। किसानों को रोजाना लगभग 8 घंटे खेती करने की छूट रहेगी। बॉर्डर पर खेती के लिए जाने वाली महिलाओं के लिए अलग से सुविधाएं हैं। बीएसएफ बॉर्डर पर महिलाओं के लिए अलग से ब्लू पीस रूम तैयार करवा रही है। महिला किसानों की चेकिंग लेडीज स्टाफ करेगी।


1992 में भारत-पाक बॉर्डर पर गई तारबंदी

गौरतलब हो कि साल 1992 में भारत-पाक बॉर्डर पर 100 मीटर अंदर तारबंदी की गई थी, लेकिन किसानों को महज तारबंदी के नीचे आई 4 मीटर जमीन का मुआवजा मिला था। बाकी की जमीन 28 साल से किसानों की खातेदारी में दर्ज है, लेकिन किसान यहां खेती करने नहीं जा सकते थे। किसानों को अब राहत पहुंचाने के लिए बीएसएफ डीआईजी विनित कुमार ने कुछ दिन पूर्व सारला इलाके में किसानों के साथ बैठक की थी। जिसमें डीआईजी ने सभी किसानों को खेती के लिए तारबंदी के उस पार जाने को लेकर आवेदन करने को कहा था। इस आवेदन के तहत किसान बॉर्डर पर खेती करने जा सकेंगे.

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