अपाहिज हुई सरकार: भाई के सामने बहन की तड़पते हुए मौत, अस्पताल ने नहीं सुनी एक भी चीख
एक भाई के सामने उसकी बहन ने तड़प-तड़प दम तोड़ दिया, लेकिन उसका भाई उसे बचाने के लिए चाह कर भी कुछ नहीं कर पाया।
नई दिल्ली: महामारी ने परिवारों को बिखेर के रख दिया है। मरीज अपनों के सामने तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे हैं, लेकिन कोई कुछ नहीं कर पा रहा है। ऐसे में एक भाई के सामने उसकी बहन ने तड़प-तड़प दम तोड़ दिया, लेकिन उसका भाई उसे बचाने के लिए चाह कर भी कुछ नहीं कर पाया। पूरी कोशिशें कर ली, सबसे बात कर ली, अस्पतालों के चक्कर काट लिए कि किसी तरह अपनी बहन को बचा पाएं, लेकिन कुछ नहीं हो पाया।
भाई बीमार बहन को बचाने के लिए ऑटो में बिठाकर जयपुर के कई अस्पतालों के चक्कर लगाता रहा। लेकिन हर तरफ से बस यही जवाब मिला कि बेड खाली नहीं है। तभी ऑक्सीजन भी खत्म हो गई है, लेकिन एक भाई अपनी बहन को यूं मरता कैसे छोड़ देता।
बहन तड़पती रही
इधर बहन की सांसें फूल रही थीं, वो तड़प रही थी, ऑक्सीजन सपोर्ट के लिए, जो इसके लिए संजीवनी बन सकती थी। किसी तरह से जैसे-तैसे करके भाई अपनी बहन को लेकर शहर के सवाई मानसिंह अस्पताल तक पहुंच गया। लेकिन इसे वहां मौजूद पुलिस वालों ने अंदर नहीं जाने दिया।
फिर अधमरी हालत में महिला हाथ जोड़कर सबसे विनती करती रही कि उसे कोई तो ऑक्सीजन दे दे। लेकिन अपंग हो चुके सरकारी सिस्टम ने एक बार न सुनी। ये महिला अस्पताल के बाहर ही तड़प-तड़पकर मर गई, लेकिन इसे ऑक्सीजन नहीं दी गई।
रोता रहा भाई
भाई अपनी बहन को मरता देखता रहा। अगर उसकी बहन को अस्पताल के लोग भर्ती कर लेते और इलाज के दौरान मौत होती तो भाई को ये मलाल नहीं रहता कि उसने अपनी बहन की जान बचाने के लिए कोशिश नहीं की। अस्पताल के बाहर पहुंचकर भी उसकी बहन को इलाज नहीं मिला, ऑक्सीजन नहीं दी गई। तभी भाई के सामने बहन तड़पती रही और वो बेबस होकर सब कुछ यूं ही देखता रहा।
बहन को खोए हुए भाई ने व्यथित होकर कहा कि कहां हो सीएम साहब? कहां चले गए हेल्थ मिनिस्टर और क्यों खत्म हो गईं प्रदेश के डॉक्टरों की संवेदनाएं। जो इस महिला को यूं ही तड़पता छोड़ दिया। इसके भी दो छोटे-छोटे बच्चे हैं, अब उनका क्या होगा? वो किसके सहारे अपनी जिंदगी काटेंगे। इस बात का जवाब अब किसी के पास नहीं है।