Rajasthan: राजस्थान कांग्रेस में घमासान तेज, पायलट खेमे का तीखा जवाब, प्रमोद कृष्णम का बदलाव का संकेत

Rajasthan: सचिन पायलट के समर्थक माने जाने वाले कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णन ने ट्वीट करते हुए सावन महीने में राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की ओर इशारा किया है। पा

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2022-06-27 12:32 GMT

सचिन पायलट और अशोक गहलोत। (Social Media)

Rajasthan: लंबे समय से शांति के बाद राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) में एक बार फिर घमासान तेज होता दिख रहा है। राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) ने पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Former Deputy CM Sachin Pilot) के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया है। राजस्थान कांग्रेस पर मजबूत पकड़ रखने वाले गहलोत ने लंबे समय बाद सचिन पायलट का नाम लेते हुए सीधा हमला बोला है। 

इस बीच सचिन पायलट का समर्थक खेमा भी सक्रिय हो गया है। पायलट समर्थक माने जाने वाले कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णन (Congress leader Acharya Pramod Krishnam) ने ट्वीट करते हुए सावन महीने में राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की ओर इशारा किया है। पायलट के एक और समर्थक विधायक ने भी इशारों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) पर हमला बोला है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि दोनों खेमों के बीच एक बार फिर तनातनी का माहौल बनता दिख रहा है। हालांकि यह भी सच्चाई है कि राज्यसभा चुनाव के दौरान अपनी ताकत दिखाने वाले गहलोत को हटाना कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के लिए भी आसान नहीं होगा।

सावन के महीने में होगा अभिषेक 

राजस्थान कांग्रेस में उठापटक के दौरान आचार्य प्रमोद कृष्णम (Congress leader Acharya Pramod Krishnam) हमेशा सचिन पायलट (Sachin Pilot) का पक्ष लेते रहे हैं। उन्हें सचिन पायलट का समर्थक माना जाता रहा है और अब उनके एक ट्वीट के बाद राज्य में चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपने ट्वीट में लिखा है कि विषपान करने वाले नीलकंठ का अभिषेक श्रावण मास में किया जाता है। हालांकि उन्होंने अपनी बात इशारों में कही है मगर इसका मतलब पूरी तरह से साफ है। उन्होंने सचिन पायलट की तुलना विषपान करने वाले नीलकंठ से की है। अभिषेक की बात करके उन्होंने इशारा किया है कि आने वाले दिनों में राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है।

आचार्य प्रमोद कृष्णम पहले भी खुलकर सचिन पायलट (Sachin Pilot) की वकालत करते रहे हैं। उदयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर के दौरान भी उन्होंने सचिन के पक्ष में बयान देते हुए उन्हें सीएम न बनाए जाने पर नाराजगी जताई थी। सचिन पायलट को वे योग्य युवा नेता और राजस्थान में मजबूत पकड़ रखने वाला कांग्रेसी बताते रहे हैं। सचिन पर गहलोत के हमले के बाद आचार्य प्रमोद कृष्णम के इस ट्वीट की टाइमिंग काफी मायने रखती है। उनके इस ट्वीट के बाद राज्य में सत्ता परिवर्तन की चर्चाओं ने एक बार फिर तेजी पकड़ ली है।

पायलट खेमा भी जवाब देने में जुटा

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) ने दो दिन पूर्व 2020 की बगावत का जिक्र करते हुए सचिन पायलट (Sachin Pilot) पर हमला बोला था। उनका कहना था कि उनकी सरकार गिराने के लिए सचिन पायलट ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ मिलकर साजिश रची थी। गहलोत के बाद उनके करीबी मंत्री शांति धारीवाल ने भी सचिन पायलट पर हमला बोला था। 

हालांकि सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने अभी तक गहलोत के इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई है मगर उनका खेमा भी जवाब देने में जुट गया है। पायलट खेमे से जुड़े विधायक इंद्राज गुर्जर ने गहलोत के इस बयान के बाद ट्वीट के जरिए उन्हें जवाब दिया है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा है कि जमीन पर बैठकर आदमी कभी नहीं गिरता,फिक्र उनको है जो हवा में हैं। 

गुर्जर को पायलट का काफी करीबी माना जाता है। उन्होंने अपने ट्वीट में गहलोत का नाम तो नहीं लिया है मगर उनका इशारा साफ तौर पर उन्हीं की तरफ है। सियासी जानकारों का कहना है कि इस ट्वीट के जरिए पायलट खेमे ने अशोक गहलोत को जवाब देने की कोशिश की है।

राहुल की तारीफ से गरमाया माहौल 

दरअसल कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress Leader Rahul Gandhi) की ओर से हाल में सचिन पायलट (Sachin Pilot) की तारीफ किए जाने के बाद राजस्थान का सियासी माहौल गरमाया हुआ है। राहुल गांधी को ईडी की ओर से जारी किए गए समन के विरोध में आयोजित एक बैठक के दौरान राहुल ने सचिन पायलट के सब्र की तारीफ की थी। अशोक गहलोत को सियासत का माहिर खिलाड़ी माना जाता है और उन्होंने राहुल के इस बयान के खिलाफ बाद सचिन के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है।

शीर्ष नेतृत्व के लिए नया सिरदर्द 

हाल में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान गहलोत ने कांग्रेस के तीनों प्रत्याशियों को जीत दिलाकर अपनी ताकत दिखाई थी। हालांकि तीनों प्रत्याशियों के बाहरी होने के कारण कांग्रेस के कुछ विधायकों में नाराजगी भी दिख रही थी मगर गहलोत सभी विधायकों को एकजुट रखने में कामयाब रहे।

 इस चुनाव के जरिए गहलोत ने एक बार फिर राजस्थान में अपनी ताकत दिखा दी है। ऐसे में शीर्ष नेतृत्व के लिए भी राजस्थान में बदलाव करना आसान काम नहीं है। वैसे दोनों टीमों के बीच लगातार बढ़ता घमासान कांग्रेस नेतृत्व के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है। 

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