संक्रमित मरीज की जान खतरे में: अकील ने किया कुछ ऐसा, कायम हुई मिसाल

महामारी के भयानक दौर में अकील नाम के युवक ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिसने इंसानियत की नई मिसाल कायम की है।

Report By :  Network
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-04-18 05:25 GMT

कोरोना संक्रमित मरीज(फोटो-सोशल मीडिया)

उदरपुर: पूरी दुनिया को कोरोना महामारी ने अपनी गिरफ्त में रखा हुआ है। लगातार फैलते संक्रमण ने हर किसी को तोड़कर रख दिया है। अपनों को खो चुके लोगों में कोई आस नहीं बची, रोते-बिलखते चेहरों की मदद क्या सुनने वाला भी नहीं है। इस समय लोग अपने को बचाने के लिए हर संभव प्रयास में जुटे हुए हैं। लेकिन इस समाज में ऐसे में भी कई लोग हैं जो दूसरों की मदद के लिए इस जंग में आगे आ रहे हैं और मरीजों की, पीड़ित परिवार की अपने स्तर से सहायता कर रहे हैं।

महामारी के भयानक दौर में अकील नाम के युवक ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिसने इंसानियत की नई मिसाल कायम की है। अकील ने रमजान के पाक महीने का पहला रोजा तोड़कर मानवता का फर्ज अदा किया है। असल में अकील अब तक 17 बार बल्ड और 3 बार कोरोना पीड़ित गंभीर मरीजों के लिए अपना प्लाज्मा दान कर चुके हैं।

प्लाज्मा डोनेट करने के लिए ये जरूरी

बता दें, कोरोना संक्रमण से पीड़ित गंभीर मरीजों को प्लाज्मा की आवश्यकता रहती है। ऐसे में उदयपुर में भर्ती एक मरीज को A+ प्लाज्मा की जरुरत थी और किसी भी ब्लड बैंक में A+ प्लाज्मा उपलब्ध नहीं था। लेकिन जब इस बारे में जानकारी रमजान के रोजा रखने वाले अकील मंसूरी को मिली, तो उन्होंने अपना एंटीबॉडी टेस्ट करवाया।


फिर एंटीबॉडी पॉजिटिव आने पर उन्हें पता चला कि भूखे पेट प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते हैं। इसके बाद अकील ने अल्लाह से माफी मांग कर अपना रोजा तोड़ा और कोरोना संक्रमण से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे मरीज को प्लाज्मा दान किया।

रमजान के पाक महीने में रोजे रखने वाले अकील का कहना है कि अल्लाह की सच्ची इबादत किसी की सेवा करना है और उन्हें जब सेवा का यह मौका मिला इसलिए उन्हें अपना रोजा तोड़ने का भी कोई गम नहीं है। वहीं अकील ने इस मौके पर ऊपर वाले का शुक्रिया अदा किया और आगे भी इस तरह के सेवा का करने के लिए आगे आने की बात कही। अकील मानवता के लिए एक जीता-जागता उदाहरण है। इंसानियत से बड़ा कोई फर्ज नही होता है। 

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