लखनऊ: सोशल मीडिया पर एक कविता काफी तेजी से वायरल हो रही है। इस कविता को लोग काफी पसंद कर रहे हैं। मगर किसी को भी ये नहीं मालूम कि इसको लिखा किसने हैं। सबसे पहले उस कविता पर नजर डालते हैं, जिसने सोशल मीडिया पर काफी धूम मचा रखी है।
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कविता कुछ इस तरह है:
कहां पर बोलना है
और कहां पर बोल जाते हैं।
जहां खामोश रहना है
वहां मुंह खोल जाते हैं।।
कटा जब शीश सैनिक का
तो हम खामोश रहते हैं।
कटा एक सीन पिक्चर का
तो सारे बोल जाते हैं।।
नयी नस्लों के ये बच्चे
जमाने भर की सुनते हैं।
मगर माँ बाप कुछ बोले
तो बच्चे बोल जाते हैं।।
बहुत ऊँची दुकानों में
कटाते जेब सब अपनी।
मगर मज़दूर माँगेगा
तो सिक्के बोल जाते हैं।।
अगर मखमल करे गलती
तो कोई कुछ नहीँ कहता।
फटी चादर की गलती हो
तो सारे बोल जाते हैं।।
हवाओं की तबाही को
सभी चुपचाप सहते हैं।
च़रागों से हुई गलती
तो सारे बोल जाते हैं।।
बनाते फिरते हैं रिश्ते
जमाने भर से अक्सर हम
मगर घर में जरूरत हो
तो रिश्ते भूल जाते हैं।।
कहाँ पर बोलना है
और कहाँ पर बोल जाते हैं
जहाँ खामोश रहना है
वहाँ मुँह खोल जाते हैं।।
✍अज्ञात✍
अगर आप भी इस कविता के ‘अज्ञात’ को ढूंढ रहे हैं तो आप सही जगह आए है। दरअसल, आज हम आपको बताएंगे कि इसको लिखा किसने हैं। इसके रचयेता संजय कुमार जैन हैं, जोकि मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं।
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संजय करीब 18 साल से मुंबई में रह रहे हैं और यहां एक स्टील कंपनी में काम करते हैं। संजय की क्वालिफिकेशन की बात करें तो उन्होंने M.COM किया हुआ है। संजय को लिखने-पढ़ने का काफी शौक है और वह अक्सर ही कुछ न कुछ लिखते-पढ़ते हैं।