एएफएफडी फंडः पूर्व सैनिकों के लिए, करें उदारता से दान

बहुत से लोग इस बात से अवगत नहीं होंगे किस शस्त्रबलों को युवा बनाए रखने और लड़ने के लिए फिट रहने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए जवान आमतौर पर 35-40 साल की उम्र में सेवा निवृत्त हो जाते हैं।

Update:2020-12-06 17:30 IST
सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष पर ए. भारत भूषण बाबू का लेख (PC: social media)

ए. भारत भूषण बाबू, प्रवक्ता, रक्षामंत्रालय

नई दिल्ली: सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष (एएफएफडीएफ) सेवा से सेवा निवृत्त होने के बाद भी अपने सैनिकों के प्रति राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सेवा में रहते हुएसैनिक असीम प्रतिबद्धता और बहादुरी के साथ देश की सेवा करते हैं और वे राष्ट्र की खातिर अपने प्राण न्योछावर करने के लिए भी तैयार रहते हैं। और वास्तव में कभी-कभी कर्तव्य पथ पर वे शहीद हो जाते हैं या गंभीर रूप से अक्षम हो जाते हैं। उनके पीछे छोटे बच्चे और परिवार होते हैं, जिनकी देख भाल की जरूरत होती है। पूर्व सैनिकों के ऐसे ही आश्रितों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एएफएफडी कोष की स्थापना की गई है।

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हर साल करीब 60,000 सशस्त्र बलों के जवान अनिवार्य रूप से सेवा निवृत्त होते हैं

बहुत से लोग इस बात से अवगत नहीं होंगे किस शस्त्रबलों को युवा बनाए रखने और लड़ने के लिए फिट रहने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए जवान आमतौर पर 35-40 साल की उम्र में सेवा निवृत्त हो जाते हैं। हर साल करीब 60,000 सशस्त्र बलों के जवान अनिवार्य रूप से सेवा निवृत्त होते हैं। वर्तमान में, देश में 32 लाख से अधिक पूर्व सैनिक हैं। ऐसे में इन पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की देखभाल करना एक राष्ट्रीय जिम्मेदारी है। सशस्त्र सेना झंडा दिवस, जोकि 1949 से हर साल 7 दिसंबर को मनाया जाता है, सीमाओं और आंतरिक इलाकों में तैनात हमारे सैनिकों के बलिदान और उनकी वीरता का सम्मान करने का एक अवसर है। इस साल पूरे दिसंबर माह को 'गौरवमाह' के रूप में मनाया जा रहा है।

देश कोस शस्त्र सेना झंडा दिवस कोष में उदारता से योगदान करने का अवसर प्रदान करता है

यह देश कोस शस्त्र सेना झंडा दिवस कोष में उदारता से योगदान करने का अवसर प्रदान करता है। लोग और कंपनियांइ समही ने और पूरे साल इस कोष में योगदान कर सकते हैं। इस कोष का इस्तेमाल पूर्वसैनिकों (ईएसएम) औरउनकेआश्रितों, देश सेवा करते हुए अपना बलिदान करने वाले जवानों के परिजनोंया कर्तव्य पथ पर शारीरिक रूप से अक्षम हुए जवानों, बुजुर्गों, गैर-पेंशन भोगी, विधवाओं और अनाथ बच्चों के पुनर्वास और कल्याण के लिए किया जाता है। विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उन्हें वित्तीय सहायता दी जातीहै। रक्षामंत्री पूर्व सैनिक कल्याण कोष (आरएमईडब्लूएफ) के तहत गरीबी की स्थिति में अनुदान, शिक्षाअनुदान, विधवा/बेटी विवाह में मदद, अक्षम बच्चे केलिएअनुदान, चिकित्सामदद, घरकीमरम्मतकेलिएअनुदान, अंतिमसंस्कारअनुदान, अनाथ अनुदान और अन्य के लिए वित्तीय मदद दी जाती है।

गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए वित्तीय सहायता गैर-पेंशन भोगी सभी रैंकों के पूर्व सैनिकों और विधवाओं को दी जाती है, जिससे वे कैंसर, गुर्दे खराब होने, घुटना प्रत्यारोपण और हृदय की सर्जरी आदि जैसे अनुमोदित/सूची बद्ध गंभीर बीमारियों के उपचार से संबंधित चिकित्सा खर्चों को पूरा कर सकें।

उन पूर्व सैनिकों को, जो विशेष रूप से सक्षम हैं और उनकी अक्षमता 50% या अधिक है तो सेवा निवृत्ति के बाद चलने-फिर ने में मददगार उपकरणों की खरीद के लिए भी सहायता प्रदान कीजातीहै।

2019-20 में दोनों पी आर सी को 1.59 करोड़ रुपये की अंतिम सहायता दी गई थी

युद्ध शोकसंतप्त, युद्ध में अक्षम और शांति काल में ज्ञात कारणों से जान गंवाने वालों के घरबनाने के लिए बैंकों से लिए ऋण पर ब्याज की प्रतिपूर्ति एएफएफडी फंड के बाहर से प्रदान की जाती है। जरूरतमंद व्यक्तियों की आवश्यकताओं का ख्याल रखने के अलावा, कुछ संस्थानों को भी वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जो ईएसएम या उनके आश्रितों को सेवाएं प्रदान करते हैं। इस श्रेणी के तहत, किरकी और मोहाली में स्थित पैरा प्लेजिक पुनर्वास केंद्रों (पीआरसी) को अनुदान प्रदान किए जाते हैं जो पैराप्लेजिक और टेट्राप्लेजिया पूर्व सैनिकों के पुनर्वास के लिए चलाए जा रहे हैं। 2019-20 में दोनों पी आर सी को 1.59 करोड़ रुपये की अंतिम सहायता दी गई थी।

केएसबी अनुदान देता है

युद्ध स्मार कहॉस्ट लोंको उसके निर्माण और सजाने-संवारने के लिए लगातार अनुदान और रक्षा कर्मियों के वार्डों को भी समय-समय पर अनुदान दिए जाते हैं। दिल्ली और लखनऊ में चेशायर होम्स और रैफल राइडर इंटरनेशनल चेशायर होम, देहरादून कुष्ठरोगियों, मानसिक रूप से अक्षम रोगियों और क्रोनिक स्पास्टिक/पैराप्लेजिक और टीबी रोगियों की देखभाल करते हैं । इन चेशायर होम्स में आने वाले ईएसएम और उनके आश्रितों के लिए प्रतिव्यक्ति 9000 रुपये के हिसाब से केएसबी अनुदान देता है।

कुल 81.23 करोड़ रुपये 28,215 पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों में वितरित किए गए

साल 2019-20 में एएफएफडी के तहत, कुल 81.23 करोड़ रुपये 28,215 पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों में वितरित किए गए। इनमें सबसे ज्यादा 34.99 करोड़ रुपये आर्थिक तंगी में दिया जाने वाला अनुदान था। यह दरिद्रताअनुदान हवलदार (समकक्ष) की रैंक तक के 65 साल से अधिक उम्र के गैर-पेंशन भोगी पूर्व सैनिक या उसकी विधवा को प्रदान किया जाता है।

इसके बाद हवलदार और उनके समान रैंक के पूर्व सैनिकों के आश्रित बच्चों के लिए स्नातक की पढ़ाई और विधवाओं को परास्नातक डिग्री कोर्स के लिए 30.85 करोड़ रुपये का शिक्षा अनुदान प्रदान किया गया। विधवा पुनर्विवाह और हवलदारव उनके समान रैंक के पूर्व सैनिकों की बेटियों की शादी के लिए 14.99 करोड़ रुपये का शादी अनुदान दिया गया। अन्य अनुदान के तौर पर 38.45 लाख रुपये वितरित किए गए थे।

भारत सरकार ने एक ट्रस्ट के रूप में किया है

'सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष' (एएफएफडीएफ) का गठन भारत सरकार ने एक ट्रस्ट के रूप में किया है। यह प्रशासनिक रूप से भारत सरकार के सर्वोच्च निकाय केंद्रीय सैनिक बोर्ड द्वारा नियंत्रित होता है, जो पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के पुनर्वास और कल्याण के लिए नीतियां बनाता है (www.ksb.gov.in)। बोर्ड में इसके अध्यक्ष के तौर पर रक्षा मंत्री और अन्य सदस्य होते हैं जिसमें राज्यों के मुख्यमंत्री/राज्यपाल, तीनों सेवाओं के प्रमुख, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, सेवा निवृत्त अधिकारी और सेवा निवृत्त जे सी ओशा मिल हैं।

सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष में योगदान किया जा सकता है

निम्नलिखित बैंक खातों के माध्यम से सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष में योगदान किया जा सकता है : 1- पंजाब नेशनल बैंक (खाता संख्या 3083000100179875 आईएफएससीकोड PUNB308300, शाखा सेवा भवन, आर के पुरम); 2- भारतीय स्टेटबैंक (खातानंबर 34420400623, आईएफएससी कोड SBIN0001076 शाखा आर के पुरम) और (iii) आईसीआईसीआई बैंक खाता नंबर 182401001380, आईएफएससी कोड ICIC0001824 शाखा आर के पुरम)।

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सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष में योगदान भारत सरकार की अधि सूचना संख्या 78/2007 दिनांक 26 मार्च 07 औरआयकरअधिनियम 1961 की धारा 80जी (5) (vi) के तहत आयकर से मुक्तहै।

सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष में कॉर्पोरेट योगदान भी कंपनी अधिनियम 2013 कीधारा 135 के तहत सी एस आर दायित्व को पूरा करने के लिए पात्र हैं। वर्षों से लोगों से प्राप्त होने वाले योगदान को काफी सराहा गया है। 2019-20में एएफएफडी कोष के लिए स्वैच्छिक योगदान के माध्यम से 47 करोड़ से अधिक की धनराशि जुटाई गई थी। इस साल उम्मीद की जाती है कि लोग और कॉर्पोरेट इसने काम के लिए और अधिक उदारता से दान करेंगे।

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