कोरोना से अजब-गजब लड़ाई
कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ लड़ाई को जीतने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा ही नहीं बल्कि स्थानीय स्तर पर भी तरह तरह के तरीके अपनाये जा रहे हैं।
सुशील कुमार
मेरठ: कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ लड़ाई को जीतने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा ही नहीं बल्कि स्थानीय स्तर पर भी तरह तरह के तरीके अपनाये जा रहे हैं। आमतौर पर यही कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण की कड़ी तोड़ने के लिए 21 दिन से ज्यादा की एक लंबी अवधि की जरूरत होती है। लेकिन जिला प्रशासन ने इसके लिए सप्ताह में दो दिन सोमवार और गुरुवार को पूर्ण लॉकडाउन करने की घोषणा की है।
ये आदेश 14 मई से प्रभावी चल रहा है। दो और तीन दिन के अंतर पर लॉकडाउन और अन्य पांच दिन सशर्त लॉकडाउन रहेगा। आवश्यक सेवाओं और पास धारकों को छोड़कर किसी को भी घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होगी। पूर्ण लॉकडाउन में दूध और दवा की दुकानों को छोड़कर सब कुछ बंद रहेगा।
कोरोना पॉजिटिव केस के आधार पर मेरठ यूपी में तीसरे नंबर पर है। आगरा और गौतमबुद्धनगर पहले और दूसरे नंबर पर हैं। आगरा और गौतमबुद्धनगर में बाजार खुलने की शुरुआत हो चुकी है जबकि मेरठ में व्यपारिक संगठनों की काफी कोशिशों के बाद भी जिला प्रशासन बाजार खुलने की अनुमति देने को तैयार नही हो रहा है।
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फार्मूले पर सवाल
मेरठ जिला प्रशासन के पूर्ण लॉकडाउन के फार्मूले पर सवाल उठाने वालों में भाजपाई भी शामिल हैं। भाजपा के हस्तिनापुर विधायक दिनेश खटीक कहते हैं कि प्रदेश में पूर्ण लॉकडाउन का फार्मूला मेरठ को छोड़ कर कहीं और नहीं है। दिनेश खटीक सवाल उठाते हैं कि मेरठ से ज्यादा संक्रमित इलाके खोले जा रहे हैं तो यहां बंदी क्यों जारी रखी जा रही है।
वहीं भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अंकित चौधरी सवालिया लहजे में कहते हैं कि आखिर सप्ताह में दो दिन के पूर्ण लॉकडाउन का लाभ क्या है। अगर वाकई में कोई वैज्ञानिक महत्व है,तो प्रशासन को उसे स्पष्ट करना चाहिए। अंकित चौधरी के अनुसार प्रशासन का यह फार्मूला चिकित्सीय दृष्टिकोण से भी प्रमाणित नहीं है और जब भारत सरकार से लेकर स्वास्थ्य संगठन तक मान चुके हैं कि अब कोरोना के साथ ही चलना पड़ेगा तो मेरठ प्रशासन ने अलग राह क्यों चुनी है।
उद्योग धंधे प्रभावित
वेस्ट्रन चैंबर ऑफ कॉमर्स, बांबे बाजार के अध्यक्ष राम कुमार गुप्ता के अनुसार दो दिन की पूर्ण बंदी से कोरोना संक्रमण को चोट पहुंचे या ना पहुंचे, लेकिन उद्योग संचालन जरुर प्रभावित हो रहा है। यूपी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के गिरीश मोहन गुप्ता भी प्रशासन के दो दिन के पूर्ण लॉकडाउन के फार्मूले से सहमत नही हैं। वे कहते हैं कि सब एक दूसरे पर निर्भर हैं, बाजार नहीं खुलेंगे तो उद्योग को कच्चा माल भी नहीं मिल पाएगा। छोटी मरम्मत के लिए मैकेनिक और कलपुर्जे नहीं मिल पाएंगे।
बढ़ गई मरीजों की संख्या
वैसे अगर कोरोना मरीजों के आंकड़ों को पैमाना मान कर जिला प्रशासन की दो दिन की पूर्णबंदी का आंकलन किया जाए तो पता चलता है कि पूर्ण लॉकडाउन में कोरोना मरीजों की संख्या घटने की बजाय और अधिक भी बढ़ गई है। अगर १४ से ३१ मई तक की ही बात करें तो १४ मई में मेरठ में कोरोना मरीजों की संख्या २७४ थी। जबकि इसमें मरने वालों की संख्या १८ थी। ३१ मई को मेरठ में कोरोना मरीजों की संख्या ४३३ तक पहुंच गई जबकि मरने वालों की संख्या २९ पहुंच गई। यानी १५९ मरीज मरीज बढ़े हैं। वहीं ११ लोगों की मौत हुई है। औसत के आधार पर देखें तो इन १५ दिनों में ११ मरीज का औसत आया है। इससे पहले के आंकड़ों पर गौर करें तो मार्च से लेकर मई के मध्य तक छह के आसपास कोरोना के मरीजों का औसत था।
लोगों को सही जानकारी नहीं
कोरोना से बचाव के लिए सरकार ने दिशा निर्देश तो जारी किए हैं लेकिन लोगों को एक एक चीज साफ तरीके से नहीं बताई गई है।
लोगों का कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग की बात सरकार करती है लेकिन यह समझना बेहद मुश्किल है कि कहां दो गज की दूरी रखनी है और कहां नहीं रखनी है? किन लोगों को दूरी रखनी है और किन लोगों का काम बिना दूरी रखे ही चल जाएगा?
लोग कहते हैं कि ऐसा लगता है कि इस तरह का नियम बनाने वालों को कोराना वायरस ने बताया हुआ है कि वह किन लोगों के नजदीक आने से फैलेगा और किन लोगों के आपस में शारीरिक संपर्क होने के बावजूद वह नहीं फैलेगा। मसलन, बस, हवाई जहाज, थ्री व्हीलर, कार, टैक्सी में दो गज की दूरी नहीं रखने पर भी कोरोना वायरस कुछ महीन बिगाड़ सकेगा। अलबत्ता अगर आप अपने ऑफिस या सार्वजनिक जगह पर पास - पास खड़े होंगे या फिर पास बैठेंगे तो कोरोना वायरस फैलने का खतरा है।
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कोई कुछ भी कहे लेकिन दो दिन का पूर्ण लॉकडाउन आदेश करने वाले मेरठ के जिलाधिकारी अनिल ढींगरा का कुछ और ही कहना है। वे कहते हैं कि कोरोना का संक्रमण लोगों के बेवजह घरों से निकलने तथा लॉकडाउन का सख्ती से पालन न हो पाने के कारण फैल रहा है। लिहाजा लोगों को घरों में रखने के लिए सख्ती करना मजबूरी हो गया है। डीएम अनिल ढींगरा का यह दावा भी है कि सप्ताह में दो दिन पूर्ण लॉकडाउन का अच्छा परिणाम सामने आ रहा है। इस प्रयास से जनपद में कोरोना संक्रमण में कमी आई है। नए मरीजों कम आए, वहीं संक्रमित लोगों के ठीक होने की गति तेज हुई है।
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