बकरीद: एक और त्यौहार चढ़ा कोरोना की भेंट, अर्थव्यवस्था को नुकसान

कोरोना वायरस महामारी ने एक और त्यौहार बर्बाद कर दिया है। इस बार ईद-उल-अज़हा यानी बकरीद के मौके पर कोरोना वायरस का काफी असर दिखाई दिया।

Update:2020-08-01 20:16 IST
बकरीद के दिन नमाज अदा करते हुए एक शक्स-(फोटो:सोशल मीडिया)

लखनऊ कोरोना वायरस महामारी ने एक और त्यौहार बर्बाद कर दिया है। इस बार ईद-उल-अज़हा यानी बकरीद के मौके पर कोरोना वायरस का काफी असर दिखाई दिया। बकरीद के मौके पर बकरे की बलि देने की परंपरा है। इसके कारण इस त्योहार पर पशु बाज़ार का महत्व काफ़ी बढ़ जाता है लेकिन, इस साल कई देशों में ईद पर पशु बाज़ारों में भीड़ नदारद रही है।

भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और मालदीव समेत सभी दक्षिण एशियाई देशों की सरकारों ने लोगों से कोरोना संक्रमण को बढ़ने से रोकने के लिए जनता से सादगी से ईद मनाने की अपील की है। वैसे लोगों में खुद ही इतना डर समाया हुआ है कि ईद के बाजारों में रौनक नहीं है। बाजार में सन्नाटे का एक कारण आर्थिक संकट भी है। निजी क्षेत्र में जिस तरह मंदी की मार है उससे लोगों में नकदी का संकट काफी गहराया हुआ है और लोग बहुत सोच समझ कर ही खर्चा कर रहे हैं।

 

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सभी देश बरत रहे एहतियात

भारत में कई राज्यों में घर पर ही ईद की नमाज़ पढ़ने की सलाह ज़ारी की गई है। कई धार्मिक नेताओं ने भी सरकारी नियमों का पालन करने की अपील की है। इसके अलावा भारत में अलग अलग जगहों पर किसी न किसी रूप में लॉकडाउन लागू है। उत्तर प्रदेश में ही दो दिन का टोटल लॉकडाउन रहता है। संक्रमण के केस बढ़ते जा रहे हैं जिससे लाग खुद भी सचेत और डरे हुए हैं।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने 27 जुलाई के अपने संबोधन में लोगों से सादगी से त्योहार मनाने की अपील की थी और साथ ही चेताया था कि बड़ी संख्या में इकट्ठा होने से कोरोना के मामलों में तेज़ी आ सकती है। पाकिस्तान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेल्थ के दिशानिर्देशों में कम से कम यात्रा करने और ईद की नमाज़ पढ़ते समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने जैसी हिदायतें दी गई हैं। पंजाब में प्रांतीय सरकार ने 28 जुलाई से 5 अगस्त तक स्मार्ट लॉकडाउन लागू किया है।

बांग्लादेश में भी सरकार ने लोगों से खुली जगहों की बजाए अपनी नज़दीकी मस्जिदों में ही नमाज़ पढ़ने की अपील की है। बांग्लादेश के जहाजरानी मंत्री ख़ालिद महमूद चौधरी ने लोगों से ईद के दौरान यात्रा करने से बचने का आग्रह किया है। मालदीव में भी इस्लामिक मंत्रालय ने घोषणा की है कि ईद की नमाज़ राजधानी माले के खुले मैदानों में नहीं होगी. इसके बजाए मस्जिदों में ही नमाज़ पढ़ी जाएगी।

 

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अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

कोविड-19 के प्रतिबंधों का आर्थिक प्रभाव चिंता का विषय बन गया है। बकरीद में होने वाली बलि पाकिस्तान अरबों-करोड़ों की अर्थव्यवस्था है. पशुपालकों से लेकर कसाई और चर्म उद्योग तक सभी के हित जानवरों की बिक्री से जुड़े हुए हैं। भारत में ही व्यापारियों के लिए हर बकरीद के मुक़ाबले इस साल व्यवसाय 30 प्रतिशत तक कम हो गया है. बांग्लादेश में भी पशु व्यापारियों और किसानों को बड़े नुक़सान का डर सता रहा है.पशु बाजार के साथ कपड़े और सेवईयों की दुकानों में भी कम बिक्री का असर देखा गया है।

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