Chopper Crash : शहीद ब्रिगेडियर लिड्डर के जाने के बाद उनकी बेटी की किताब की बढ़ी डिमांड, महज 4 दिन में बाजार से गायब

आशना किसी और वजह से चर्चा में हैं। वजह है 'SOLD OUT' का वो बोर्ड जिसका संबंध आशना से है। ये बोर्ड उस दुकान पर लगा है, जहां हेलिकॉप्टर हादसे में जान गंवाने वाले ब्रिगेडियर एल एस लिड्डर की बेटी आशना लिड्डर की लिखी किताब बिक रही थी।

Update: 2021-12-11 10:17 GMT

फोटो- सोशल मीडिया से  

Chopper Crash : बीते 08 दिसंबर को गुजरे अभी चंद दिन हुए हैं। इस दिन देश को एक बेहद मनहूस खबर मिली। दरअसल, तमिलनाडु के कन्नूर में हुए हेलीकॉप्टर क्रैश में CDS जनरल बिपिन रावत के साथ जो अन्य 12 लोगों का असामयिक निधन हुआ उनमें एक बेहद योग्य अधिकारी थे ब्रिगेडियर एल एस लिड्डर। इस घटना की जानकारी जब उनके घर वालों को दी गई तो लिड्डर परिवार से एक लड़की का चेहरा मीडिया के सामने आया। यह थीं ब्रिगेडियर लखविंदर सिंह लिड्डर(Brigadier Lidder) की 17 वर्षीय बेटी आशना लिड्डर(Brigadier Lidder daughter)। जिनके इस कम उम्र में धैर्य, सहस और दृढ संकल्प की सबने सराहना की थी।   

लेकिन, आज आशना किसी और वजह से चर्चा में हैं। वजह है 'SOLD OUT' का वो बोर्ड जिसका संबंध आशना से है। ये बोर्ड उस दुकान पर लगा है, जहां हेलिकॉप्टर हादसे में जान गंवाने वाले ब्रिगेडियर एल एस लिड्डर की बेटी आशना लिड्डर (Aashna Lidder) की लिखी किताब बिक रही थी। उस हादसे के बाद देश भर के लोगों की नजर आशना पर ठहरी। नम आंखों से तिरंगे में लिपटे पिता के ताबूत को आखिरी नमन करते और चूमते उस तस्वीर ने सबकी आंखें गीली कर दी। लोगों ने उनके बारे में जब पता किया तो आशना की किताब को लेकर भी जानकारियां सामने आई।अब उस किताब को लेकर लोगों में गजब का क्रेज है। हालत ये है कि किताब दुकानदार को SOLD OUT का बोर्ड टांगना पड़ा।   


ये है किताब का नाम 

स्वर्गीय ब्रिगेडियर लिड्डर के निधन के बाद उनकी 17 वर्षीय बेटी की लिखी किताब धड़ाधड़ बिक रही है। पिछले चार दिनों में ये किताब इतनी बिकी बाजार में उपलब्ध ही नहीं है। आशना की लिखी उस किताब का नाम 'इन सर्च ऑफ ए टाइटल' है।

किताब में क्या? 

इस किताब में एक किशोरी के अनुभवों, उसके चिंतन तथा सीखने की यात्रा को बखूबी लिखा गया है। यह किताब अब दुकानों से गायब है। आशना लिड्डर की किताब के प्रकाशक पब्लिशिंग क्रिएटिव क्रोज का इस संबंध में कहना है कि अचानक से उनकी किताबों की मांग काफी बढ़ गई। अब हम इसकी और प्रतियां प्रकाशित कर रहे हैं। 250 कॉपियां तो पहले ही बिक चुकी हैं। उन्होंने बताया कि चारों और से लोग इस किताब को ढूंढते आ रहे हैं। हमने प्रकाशन का काम शुरू कर दिया है। 

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