सावधान ! ठहर जाओ अगर नशा करते हो तो..खतरा है बहुत बड़ा

अमावस की काली घनी अंधेरी रात अपने आप में डरावनी होती है तो पूर्णिमा का पूर्ण चांद इतनी अधिक पावर लिए होता है कि आप को असहज कर देता है। तमाम लोगों का पूर्णिमा की रात मन बेचैन हो जाता है या नींद उड़ जाती है।

Update:2020-02-27 20:08 IST

रामकृष्ण वाजपेयी

सावधान ! ठहर जाओ अगर नशा करते हो तो..खतरा है बहुत बड़ा... बात आगे बढ़ाते हैं कि यदि आप अपना भला चाहते हैं तो इन तीन दिन किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहने में ही है भलाई,वरना जान पड़ जाएगी आफत में। परिवार की हो जाएगी सांसत। गंभीर संकटों से होगा सामना।

चाहे आप ज्योतिष को मानते हों या नहीं प्रकृति का भी अपना एक अलग विज्ञान है। चूंकि मानव के शरीर में बाकी सभी चीजों के अलावा एक बड़ी मात्रा पानी की होती है इसलिए जिस तरह आप का शरीर सर्दी गरमी बरसात में अलग अलग अनुभव करता है उसी तरह से शरीर के अंदर का पानी तत्व प्रभावित होने से परिवर्तन शुरू हो जाते हैं।

इसी वजह से जानकार लोग सरदी में गरम पदार्थ व गरमी में ठंडे पदार्थों के सेवन की बात करते हैं। यही हालत बादलों की स्थिति या धुंध के गहरा जाने से भी होती है। लेकिन क्या वजह है कि तीन दिन खाने पीने में सावधानी की बात कही जा रही है।

चंद्रमा दोनो तिथियों को करता है प्रभावित

दरअसल प्रकृति भारतीय पंचांग की दो तिथियों से गवर्न होती है। और इसका बहुत बड़ा संकेतक है चंद्रमा। ये तो बच्चा भी जानता है कि चंद्रमा 15 दिन धीरे धीरे घटता हुआ दिखता है और 15 दिन धीरे धीरे बढ़ता हुआ दिखता है। नये चंद्रमा की तिथि को अमावस भी कहते हैं। अमावस की काली घनी अंधेरी रात अपने आप में डरावनी होती है तो पूर्णिमा का पूर्ण चांद इतनी अधिक पावर लिए होता है कि आप को असहज कर देता है। तमाम लोगों का पूर्णिमा की रात मन बेचैन हो जाता है या नींद उड़ जाती है।

इसी तरह अमावस्या की रात लोगों के भूत प्रेत दिखाई देने की शिकायतें बढ़ जाती है।

क्यों कहा जा रहा है बचने को

कमजोर मन के लोगों में आत्महत्या या हत्या विचार बढ़ जाते हैं। दरअसल चंद्रमा का जल से सीधा संबंध है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार-भाटा होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है। हमारे शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल है। इसलिए पूर्णिमा के दिन इस जल की गति और गुण बदल जाते हैं।

इसीलिए तीन दिन चतुर्दशी पूर्णिमा और प्रतिपदा को पवित्र रहने को कहा जाता है, इसी में भलाई है। क्योंकि नशा या तामसिक, उत्तेजना बढ़ाने वाली वस्तुओं का सेवन आपके मन को कहां ले जाएगा इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है।

यही नियम अमावस के लिए भी है कि चतुर्दशी, अमावस और प्रतिपदा को किसी भी प्रकार का नशा करने से बचें। ऐसी वस्तु के सेवन से बचें। क्योंकि चंद्रमा के न दिखने से मन में नकारात्मकता बढ़ सकती है। नशा ऐसे में भयंकर दुष्परिणाम की ओर ले जा सकता है।

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