लॉकडाउन से नक्सली बौखलाए, सप्लाई चेन टूटने पर शुरू कर दी लूटपाट
कोरोना के खिलाफ जंग को कामयाब बनाने के लिए घोषित लॉकडाउन के कारण नक्सलियों की भी कमर टूटने लगी है। छत्तीसगढ़ और झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों से मिल रही खबरों के मुताबिक लॉकडाउन का नक्सलियों पर व्यापक असर दिख रहा है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: कोरोना के खिलाफ जंग को कामयाब बनाने के लिए घोषित लॉकडाउन के कारण नक्सलियों की भी कमर टूटने लगी है। छत्तीसगढ़ और झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों से मिल रही खबरों के मुताबिक लॉकडाउन का नक्सलियों पर व्यापक असर दिख रहा है। लॉकडाउन की वजह से सड़क परिवहन पूरी तरह बंद होने के कारण नक्सलियों की सप्लाई चैन पूरी तरह टूट गई है और वे अब आसपास के इलाकों में लूटपाट करने लगे हैं। इसके साथ ही अफीम की खेती का कारोबार भी ठप हो जाने से नक्सलियों को झटका लगा है।
जरूरी सामानों की सप्लाई चेन टूटी
सीआरपीएफ के एक बड़े अधिकारी का कहना है कि लॉकडाउन के कारण नक्सलियों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस अधिकारी का कहना है कि नक्सलियों की जरूरी वस्तुओं की सप्लाई चेन पूरी तरह टूट गई है। पहले ये लोग एक माह का अग्रिम राशन जुटा लेते थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार उनके राशन की सप्लाई नहीं हो सकी है। जंगल के भीतरी इलाकों में रहने वाले नक्सलियों को अब खाने-पीने की दिक्कत महसूस होने लगी है।
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लूटने लगे ग्रामीणों का राशन
दंतेवाड़ा के एसपी डॉ.अभिषेक पल्लव का कहना है कि लॉकडाउन के बाद सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित होने के कारण नक्सली बुरी तरह बौखला गए हैं। इसी बौखलाहट के चलते उन्होंने ग्रामीणों का राशन लूटना शुरू कर दिया है। डॉ.पल्लव ने बताया कि अरनपुर, बारसूर और कटे कल्याण थाना क्षेत्रों से हमें राशन लूटे जाने की शिकायतें मिली हैं।
डर के कारण ग्रामीण मुंह नहीं खोल रहे
उन्होंने कहा कि हालांकि ऐसी घटनाएं केवल तीन थाना क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है। हमें सूचना मिली है कि यह लूटपाट बड़े पैमाने पर की जा रही है। एसपी ने बताया कि डर के कारण अधिकांश ग्रामीण लूटपाट की घटनाओं के बारे में मुंह नहीं खोल रहे हैं। सुरक्षा बल के जवान और स्थानीय पुलिसकर्मी ऐसी घटनाओं को रोकने की कोशिश में जुटे हैं।
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निर्माण स्थलों व इंडस्ट्री से वसूली बंद
जानकार सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ़ और झारखंड दोनों राज्यों में निर्माण स्थलों और इंडस्ट्री से नक्सलियों की अवैध वसूली भी अब बंद हो गई है। इसी कारण नक्सली बौखलाहट में ग्रामीणों को निशाना बना रहे हैं। ग्रामीणों से खाने-पीने का सामान लूटने के साथ ही हर घर से 200 रुपए की मांग की जा रही है। ग्रामीणों को धमकी दी जा रही है कि यदि उन्होंने सामान व रुपए पैसे देने से इनकार किया तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
अफीम से नहीं हो रही कमाई
नक्सलियों को इस बात की जानकारी है कि 15 अप्रैल से देश में लॉकडाउन का दूसरा चरण शुरू हो चुका है। ऐसे में उन्हें तीन मई तक जरूरी सामानों की सप्लाई नहीं हो पाएगी। नक्सलियों की कमाई का एक बड़ा जरिया अफीम की खेती और इंडस्ट्री से अवैध वसूली रही है और अब इन दोनों पर विराम लग चुका है। सड़क परिवहन पूरी तरह बंद होने के कारण अफीम को इधर-उधर नहीं पहुंचाया जा पा रहा है। इस कारण अफीम से होने वाली कमाई भी पूरी तरह ठप पड़ गई है।
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मददगारों के जरिए दे रहे धमकी
सुरक्षा बल से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कमाई का जरिया बंद होने और जरूरी सामान का स्टॉक खत्म होने के कारण ही नक्सलियों की बौखलाहट बढ़ गई है। ऐसे में ग्रामीण इलाके नक्सलियों के निशाने पर आ गए हैं।
इन गांवों में रहने वाले जो लोग नक्सलियों की सप्लाई चेन जारी रखने में मदद करते थे, अब उन्हीं के जरिए ग्रामीणों को धमकी दी जा रही है कि वह अनाज और दूसरा राशन जुटाकर गांव के बाहर रख दें। ऐसा न करने वालों को गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दी जा रही है। निश्चित रूप से कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए घोषित लॉकडाउन से नक्सलियों को जबर्दस्त झटका लगा है।