जानें क्या होती है प्लाज्मा थैरेपी, कोरोना को हरा चुके ये व्यक्ति ही कर सकते हैं डोनेट
प्लाज्मा मनुष्य के खून का तरल पदार्थ है। यह करीब 92 % पानी से बना होता है। और यह हल्के पीले रंग का होता है। यह मानव शरीर के खून का करीब 55 प्रतिशत हिस्सा है।
नई दिल्ली: चीन के वुहान से निकले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तांडव मचा रखा है। अब तक दुनियाभर से डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोग इस जानलेवा वायरस की शिचपेट में आ चुके हैं। वहीं इस वायरस ने अब तक 6 लाख से ज्यादा लोग की जान भी ले ली है। इसकी बचाव के लिए दुनिया के तमाम बड़े वैज्ञानिक की कोशें भी लगातार फेल हो रही हैं। ये महामारी इतनी खतरनाक है कि 7 महीने गुजर जाने के बाद भी कोरोना की न कोई सटीक दवा बन पायी और न ही वैक्सीन।
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हालांकि इसकी रोकथाम के लिए डॉक्टर्स द्वारा कई तरीके अपनाए गए जा रहे हैं, जिसमें से एक है प्लाज्मा थैरेपी। इस थैरेपी के तहत कोरोना से ठीक चुके व्यक्ति के खून से प्लाज्मा को अलग कर संक्रमित मरीज के खून में मिलाया जाता है। इस प्लाज्मा में शामिल एंटी बॉडीज मरीज को संक्रमण से लड़ने में मदद करती है।
क्या होता है प्लाज्मा?
इन सब के बीच बहुत से लोगों का सवाल है कि प्लाज़्मा क्या है? दरअसल प्लाज्मा मनुष्य के खून का तरल पदार्थ है। यह करीब 92 % पानी से बना होता है। और यह हल्के पीले रंग का होता है। यह मानव शरीर के खून का करीब 55 प्रतिशत हिस्सा है। बचा हुए 45 फीसदी में रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स होती हैं।
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कॉन्वालैसेंट प्लाज्मा क्या है???
वहीं कॉन्वालैसेंट प्लाज्मा को "उधार की इम्युनिटी" भी कहा जा सकता है। क्योंकि इसे कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों के खून से निकालकर संक्रमित मरीज के इलाज में उपयोग किया जाता है। इसमें एंटी बॉडीज होती हैं जो निर्धारित समय के लिए प्लाज्मा से चिपक जाती हैं और वायरस के दोबारा लौटने पर उससे लड़ने के लिए तैयार रहती हैं।
कोरोना में कितनी मददगार है कॉन्वालैसेंट प्लाज्मा थैरेपी?
बता दें कि इस थैरेपी का इस्तेमाल डॉक्टर्स 1918 में आए स्पेनिश फ्लू के खिलाफ भी कर चुके हैं। हाल ही में यह प्रक्रिया सार्स, इबोला, एच1एन1 समेत कई दूसरे वायरस से जूझ रहे मरीजों पर भी की जा चुकी है।
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ऐसे होता है कॉन्वालैसेंट प्लाज्मा डोनेशन
कॉन्वालैसेंट प्लाज्मा का प्रयोग कोरोना से पूरी तरह ठीक हो चुके व्यक्ति के हाथ से प्लाज्मा निकाला जाता है और सुरक्षित तरीके से कुछ सेलाइन के साथ रेड सेल्स वापस डाले जाते हैं। इस प्रक्रिया के कारण यह आम ब्लड डोनेशन से ज्यादा वक्त लेती है।
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ये लोग कर सकते हैं डोनेट
कॉन्वालैसेंट प्लाज्मा केवल ऐसे लोगों से ही कलेक्ट करना चाहिए जो रक्त दान करने के लिए स्वस्थ हों। साथ ही वो पहले से कोरोना वायरस संक्रमित रहा हो और ठीक हो चुका हो। इसके आलावा संक्रमित व्यक्ति कोविड 19 से पूरी तरह उबरने के 14 दिन बाद ही प्लाज़्मा डोनेशन कर सकता है। वहीं दान करने वाले की उम्र 17 साल से ज्यादा और पूरी तरह से स्वस्थ्य होना चाहिए।
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