Rafale Deal पर जेपीसी से जांच क्यों नहीं कराना चाहती मोदी सरकार, पढि़ए पूरी खबर

वक्त देश में राफेल का मुद्दा गहराया हुआ है जिसमें मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सीधे-सीधे पीएम मोदी पर निशाना साधा है। कांग्रेस( Congress) के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी ( Rahul Gandhi) ने ट्वूीट (Tweet) के जरिए पीएम मोदी पर निशाना साधा है और कहा है की चोर की ड़ाढ़ी में तिनका वहीं राहुल ने इंस्टाग्राम (Instagram) पर भी पीएम मोदी (PM Modi) के कार्टुन शेयर की है जिसमें मोदी के ढ़ाड़ी से राफेल (Rafale) को निकलते हुए दिखाया गया है।

Published By :  Deepak Raj
Update: 2021-07-04 08:57 GMT

Symbolic image of modi govt

लखनऊ डेस्क। इस वक्त देश में राफेल का मुद्दा गहराया हुआ है जिसमें मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सीधे-सीधे पीएम मोदी पर निशाना साधा है। कांग्रेस( Congress) के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी ( Rahul Gandhi) ने ट्वूीट (Tweet) के जरिए पीएम मोदी पर निशाना साधा है और कहा है की चोर की ड़ाढ़ी में तिनका वहीं राहुल ने इंस्टाग्राम (Instagram) पर भी पीएम मोदी (PM Modi) के कार्टुन शेयर की है जिसमें मोदी के ढ़ाड़ी से राफेल (Rafale) को निकलते हुए दिखाया गया है।

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पात्रा ने किया बचाव


जिसके बाद भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा है की राहुल गांधी के द्वारा राफेल पर सरकार के उपर लगाए गाए आरोप सरासर झूठ व मिथ्या है। उन्होने प्रेस कांफ्रेस कर बताया है की सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है की इसमें कोई हेरफेर नहीं हुई है और इस मुद्दे पर लोकसभा में बहस भी हो चुकी है अतः इसमें कुछ भी अब कहने वाली बात नहीं बची है।

सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेस कर जेपीसी की मांग की

वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेस कर सरकार पर हमला बोला है और कहा की सरकार और पीएम मोदी में थोड़ी सी भी संवेदशीलता औऱ इमानदारी बची है तो तुरंत के तुरंत राफेल डील को जेपीसी से जांच के आदेश दें, फिर सब दूध का दूध औऱ पानी का पानी हो जाएगा।


क्या है जेपीसी

दरअसल, संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी संसद की वह समिति होती है, जिसमें सभी दलों की समान भागीदारी होती है। जेपीसी को यह अधिकार होता है कि वह किसी भी व्यक्ति, संस्था या किसी भी उस पक्ष को बुला सकती है और उससे पूछताछ कर सकती है, जिसको लेकर उसका गठन हुआ है। अगर वह व्यक्ति, संस्था या पक्ष जेपीसी के समक्ष पेश नहीं होता है तो यह संसद की अवमानना का उल्लघंन माना जाएगा, जिसके बाद जेपीसी संबंधित व्यक्ति या संस्था से इस बाबत लिखित या मौखिक जवाब या फिर दोनों मांग सकती है।



जानकारी के मुताबिक, इस समिति में अधिकतम 30-31 सदस्य हो सकते हैं, जिसका चेयरमैन बहुमत वाली पार्टी के सदस्य को बनाया जाता है। इसके अलावा समिति में सदस्यों की संख्या भी बहुमत वाली पार्टी की अधिक होती है। किसी भी मामले की जांच के लिए समिति के पास अधिकतम 3 महीने की समयसीमा होती है। इसके बाद संसद के समक्ष उसे अपनी जांच रिपोर्ट पेश करनी होती है।

इस कारण सरकार जेपीसी से बचना चाह रही है

राफेल मुद्दे को लेकर पिछले कई दिनों से कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल सरकार से जेपीसी के गठन की मांग कर रहे हैं। इसको लेकर संसद का शीतकालीन सत्र भी नहीं चल पा रहा है। ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सरकार क्यों नहीं करना चाहती जेपीसी का गठन? उसे किस बात का डर सता रहा है?

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संसदीय इतिहास पर नजर डालें तो पिछले 70 सालों में अलग-अलग मामलों को लेकर कुल 8 बार जेपीसी का गठन किया गया है। इसमें 5 बार तो ऐसा हुआ है कि इसकी वजह से सत्ताधारी दल अगला आम चुनाव हार गई। ये एक कारण हो सकता है कि सरकार जेपीसी का गठन नहीं करना चाहती।


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