आवाज से कोरोना टेस्ट: तुरंत पता चलेगा संक्रमण का, बस करना होगा ये काम
वोकालिस दरअसल आवाज का विश्लेषण करने वाली एक कंपनी है जिसने पहले एक फोन ऐप तैयार किया था जिसके द्वारा क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी बीमारी के लक्षणों को पकड़ा जा सकता था।
नीलमणि लाल
लखनऊ। किसी को कोरोना संक्रमण है कि नहीं ये पता करने के लिए तरह तरह के उपाय किये जा रहे हैं और ढेरों रिसर्च भी चल रही हैं। अब पता चला है कि किसी की आवाज सुन कर पता लगाया जा सकता है कि उसे कोरोना संक्रमण हुआ है कि नहीं। आवाज के जरिये बीमारी के लक्षण पता करने की दिशा में कई रिसर्च चल रहे हैं जिनमें सबसे आगे इजरायल की कंपनी है।
कोरोना महामारी की शुरुआत में ही जब लोगों से मास्क और ब्लड Plazma डोनेट करने का आह्वान किया जा रहा था, तब इजरायल में डिफेन्स मंत्रालय और ‘वोकालिस हेल्थ’ नाम के एक स्टार्ट अप ने लोगों से अपने आवाज डोनेट करने को कहा था।
वोकालिस दरअसल आवाज का विश्लेषण करने वाली एक कंपनी है जिसने पहले एक फोन ऐप तैयार किया था जिसके द्वारा क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी बीमारी के लक्षणों को पकड़ा जा सकता था। बोलते वक्त किसी व्यक्ति की सांस फूलने से इस बीमारी के शुरुआती लक्षण ये ऐप भांप लेता था। वोकलिस अब कोरोना संक्रमण को पकड़ने के लिए इसी तरह का प्रयोग करना चाहती है।
आवाज का डोनेशन
वोकालिस ने कहा कि जो व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं वो अपनी आवाज का सैंपल कंपनी के एक रिसर्च ऐप में रिकॉर्ड कर लें। ये ऐप सार्वजानिक तौर पर उपलब्ध कराया गया था। मरीजों को दिन में एक बार ऐप में जोर से बोलना था और गिनती गिननी होती थी।
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मशीन लर्निंग सिस्टम
वोकलिस ने मरीजों और स्वस्थ व्यक्तियों की आवाजों का मशीन लर्निंग सिस्टम के जरिये मिलान किया और ये जानने की कोशिश की क्या बीमारी से आवाज पर कोई असर पड़ता है। वोकालिस ने अब कोविड-19 स्क्रीनिंग टूल का पायलट वर्जन तैयार कर लिया है जिसका विश्व भर में ट्रायल किया जा रहा है। इस टूल से हालाँकि बीमारी का सटीक पता तो नहीं लगाया जा सकता लेकिन ये जरूर सहायता मिल सकती है कि किन लोगों को टेस्टिंग, क्वारंटाइन या मेडिकल हेल्प की जरूरत है।
आवाज से मिलते हैं संकेत
शोधकर्ताओं का कहना है कि बोलने पर शरीर के अनेक सिस्टम मिल कर काम करते हैं। फेफड़ों से हवा वोकल कार्ड्स तक पहुँचती है, वोकल कार्ड आवाज पैदा करते हैं जिनको जबान, होंठ और नाक एक ख़ास शेप देती है। मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम के अन्य हिस्से इन सभी प्रक्रियाओं को नियमित करके शब्दों को तय करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में किसी बीमारी की वजह से आयी गड़बड़ी के कारण आवाज पर अवश्य ही असर पड़ता है। मशीन लर्निंग और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस से वैज्ञानिकों को इस क्षेत्र में काम करने के बहुत एडवांस अवसर मिले हैं। खासकर पर्किन्सन बीमारी में तो काफी काम किया गया है। चूँकि कोरोना वायरस फेफड़े, नाक और गले को प्रभावित करता है सो आवाज पर इस बीमारी का असर आना तय माना जा रहा है।
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