#फूलन देवीः एक साथ 22 की हत्या, फिर दस्यु सुंदरी से सांसद का सफर
फूलन देवी 1980 के दशक के शुरुआत में चंबल के बीहड़ों में सबसे ख़तरनाक डाकू मानी जाती थीं। फूलन देवी के डकैत बनने की कहानी किसी के भी रोंगटे खड़ी कर सकती है।
फूलन देवी 1980 के दशक के शुरुआत में चंबल के बीहड़ों में सबसे ख़तरनाक डाकू मानी जाती थीं। फूलन देवी के डकैत बनने की कहानी किसी के भी रोंगटे खड़ी कर सकती है।
क्या है कहानी
दरअसल जब वो 10 साल की थी तब वो अपने पिता की जमीन के लिए लड़ गई थी। उनकी कहानी बचपन से ही चुनौतीपूर्ण थी। आप ऐसे समझिये कि एक बालिका-वधू, जिसका पहले उसके बूढ़े ‘पति’ ने रेप किया, फिर श्रीराम ठाकुर के गैंग ने। या एक खतरनाक डाकू, जिसने बेहमई गांव के 22 लोगों को लाइन में खड़ा कर मार दिया था। या फिर उस ‘चालाक’ औरत के रूप में, जो शुरू से ही डाकुओं के गैंग में शामिल होना चाहती थी।
वो औरत, जिसकी जिंदगी पर फिल्म बनाकर उसका बलात्कार दिखाने वाले शेखर कपूर ने उससे पूछा भी नहीं था। या शायद एक पॉलिटिशियन के तौर पर, जिसने दो बार चुनाव जीता। या फिर एक औरत, जो खुद से मिलने आये ‘फैन’ शेर सिंह राणा को नागपंचमी के दिन खीर खिला रही थी, बिना ये जाने कि कुछ देर बाद यही आदमी उसे मार देगा।
11 साल की उम्र में हुआ रेप
फूलन इसी तरह के दमघोंटू माहौल में पलते-पलते अंदर से बदले की आग से जलने लगी। उसकी इस जलन को सुलगाने में उसकी मां ने भी आग में घी का काम किया।
जब फूलन 11 साल की हुई, तो उसके चचेरे भाई मायादिन ने उसको गांव से बाहर निकालने के लिए उसकी शादी पुट्टी लाल नाम के बूढ़े आदमी से करवा दी गई।
फूलन के पति ने शादी के तुरंत बाद ही उसका रेप किया और उसे प्रताडित करने लगा। परेशान होकर फूलन पति का घर छोड़कर वापस मां-बाप के पास आकर रहने लगी।
यहां उसने अपने परिवार के साथ मजदूरी करना शुरू कर दिया। यहीं से लोगों को फूलन के विद्रोही स्वभाव के नजारे देखने को मिले। एक बार तो जब एक आदमी ने फूलन को मकान बनाने में की गई मजदूरी का मेहनताना देने से मना कर दिया, तो उसने रात को उस आदमी के मकान को ही कचरे के ढेर में बदल दिया।
दबंगों ने मां-बाप के सामने उसके साथ गैंगरेप किया
जिस समय फूलन कि उम्र 15 साल की थी जब कुछ दबंगों ने घर में ही उसके मां-बाप के सामने उसके साथ गैंगरेप किया। बावजूद फूलन के तेवर कमजोर नहीं पड़े।
उसके बाद गांव के दबंगों ने एक दस्यु गैंग को कहकर फूलन का अपहरण करवा दिया। बस यहीं से शुरू हुआ फूलन के डकैत बनने की कहानी और उसने 14 फ़रवरी 1981 को बहमई में 22 ठाकुरों को लाइन में खड़ा करके मारी गोली मार दी।
इस घटना ने फूलन देवी का नाम बच्चे की ज़ुबान पर ला दिया था। फूलन देवी का कहना था उन्होंने ये हत्याएं बदला लेने के लिए की थीं। उनका कहना था कि ठाकुरों ने उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया था जिसका बदला लेने के लिए ही उन्होंने ये हत्याएं कीं।।
22 ठाकुरों को लाइन में खड़ा कर मारी गोली
कहा जाता था कि फूलन देवी का निशाना बड़ा अचूक था और उससे भी ज़्यादा कठोर था उनका दिल। उनके जीवन पर कई फ़िल्में भी बनीं लेकिन पुलिस का डर उन्हें हमेशा बना रहता था।
साथ ही ख़ासकर ठाकुरों से उनकी दुश्मनी थी इसलिए उन्हें अपनी जान का ख़तरा हमेशा महसूस होता था। चंबल के बीहड़ों में पुलिस और ठाकुरों से बचते-बचते शायद वह थक गईं थीं इसलिए उन्होंने हथियार डालने का मन बना लिया।
लेकिन आत्मसमर्पण का भी रास्ता इतना आसान नहीं था। फूलन देवी को शक था कि यूपी पुलिस उन्हें समर्पण के बाद किसी ना किसी तरीक़े से मार देगी इसलिए उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार के सामने हथियार डालने के लिए सौदेबाज़ी की।
मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने फूलन देवी ने एक समारोह में हथियार डाले और उस समय उनकी एक झलक पाने के लिए हज़ारों लोगों की भीड़ जमा थी।
इस व्यक्ति ने की थी हत्या
1994 में जेल से रिहा होने के बाद वे 1996 में सांसद चुनी गईं। समाजवादी पार्टी ने जब उन्हें लोक सभा का चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया तो काफ़ी हो हल्ला हुआ कि एक डाकू को संसद में पहुँचाने का रास्ता दिखाया जा रहा है।
वह दो बार लोकसभा के लिए चुनी गईं। लेकिन 2001 में केवल 38 साल की उम्र में दिल्ली में उनके घर के सामने फूलन देवी की हत्या कर दी गई थी।
खुद को राजपूत गौरव के लिए लड़ने वाला योद्धा बताने वाले शेर सिंह राणा ने फूलन की हत्या के बाद दावा किया था 1981 में मारे गए सवर्णों की हत्या का बदला लिया है।
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