आज ही दबे थे आप दूसरे के बोझ तले, क्या आपको है ये जानकारी

देश के औद्योगिक विकास में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इस विभाग ने करों का भुगतान आसान करने के लिए कर प्रणाली में सुधार किया और तकनीकों के प्रयोग को बढ़ाया।

Update:2020-02-24 17:47 IST

रामकृष्ण वाजपेयी

आज ही दबे थे आप दूसरे के बोझ तले, क्या आपको है ये जानकारी। आम तौर पर कोई ये बात सोचता नहीं है। क्योंकि जो काम सब करते चले आ रहे हैं वही आप भी करते जाते हैं। लेकिन देश में बनने वाली वस्तुओं की जो आप कीमत अदा करते हैं उसमें वस्तु की लागत और मुनाफे के अलावा एक कीमत और आप चुकाते हैं लेकिन आप को इसका अहसास नहीं हो पाता ये छुपी हुई कीमत ही है उत्पादकर। व्यापारी इसी की चोरी करते हैं।

इसके प्रति जागरुकता लाने के लिए ही जिस दिन से ये कर कानून लागू हुआ था उस दिन यानी 24 फरवरी को उत्पादित वस्तुओं के कर के दिन के रूप में मनाया जाता है। केन्द्रीय उत्पाद शुल्क दिवस प्रत्येक वर्ष '24 फ़रवरी' को मनाया जाता है। आज ही के दिन वर्ष 1944 में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क क़ानून बनाया गया था।

देश के औद्योगिक विकास में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इस विभाग ने करों का भुगतान आसान करने के लिए कर प्रणाली में सुधार किया और तकनीकों के प्रयोग को बढ़ाया।

किस वस्तु पर लगता है कर

देश के अनुसार उत्पाद कर की परिभाषा भी बदलती रहती है जैसे भारत में उत्पाद कर से आशय उस कर से है जो भारत में उत्पादित वस्तुओं पर लगाया जाता है। यूनाइटेड किंगडम में उत्पाद कर कुछ विशेष प्रकार के नशीले पदार्थों पर, पर्यावरण कर, जुआ, हवाला, तम्बाकू आदि पर लगाया जाता है। इनमें अधिकांश उत्पाद ना होकर सेवाएं हैं, जिन पर ये कर लगाया जाता है। ऑस्ट्रेलिया में उत्पाद कर तेल, तम्बाकू, मदिरा व वैकल्पिक ईंधनों पर लगाया जाता है।

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उत्‍पाद शुल्‍क या आबकारी एक अप्रत्‍यक्ष कर है जो भारत में विनिर्माण की जाने वाली उन वस्‍तुओं पर लगाया जाता है जो घरेलू खपत के लिए होती हैं। कर 'विनिर्माण' पर लगाया जाता है और जैसे ही वस्‍तुओं का विनिर्माण हो जाता है केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क देय हो जाता है। यह विनिर्माण पर लगाया गया कर है जो विनिर्माता द्वारा अदा किया जाता है, जो अपना कर भार ग्राहकों पर डाल देते हैं।

उत्पाद शुल्क योग्य वस्तुएं शब्द का अर्थ

उत्‍पाद शुल्‍क योग्‍य वस्‍तुएं शब्‍द का अर्थ है वे वस्‍तुएं जिन्‍हें केन्‍द्रीय उत्‍पाद प्रशुल्‍क अधिनियम, 1985 , से संलग्‍न पहली अनुसूची और दूसरी अनुसूची में उत्‍पाद शुल्‍क योग्‍य वस्‍तुओं के रूप में निर्दिष्‍ट किया गया है जिनमें नमक भी शामिल है।

भारत में उत्‍पाद शुल्‍क केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क अधिनियम, 1944 के उपबंधो के अनुसार लगाया जाता है। यह एक मूलभूत अधिनियम है जो केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क लगाने और करने के संबंध में नियम निर्धारित करता है। यह अधिनियम केंद्रीय सरकार को इस अधिनियम के अनुसरण में नियम बनाने की शक्तियां प्रदान करता है।

निम्‍नलिखित नियमों के सैट तैयार किए गए हैं:-

केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क नियमावली, 2002 (वित्‍त अधिनियम, 2002 की धारा 43)

केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क (मामलों का निपटान) नियमावली, 2001

केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क (उत्‍पाद शुल्‍क योग्‍य वस्‍तुओं के विनिर्माण के लिए रियायती शुल्‍क दर पर वस्‍तुओं को उठाना) नियमावली, 2001

केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क निर्धारण (उत्‍पाद-शुल्‍क योग्‍य वस्‍तुओं के मूल्‍य का निर्धारण) नियमावली, 2000

उपभोक्‍ता कल्‍याण निधि नियमावली, 1992

केंद्रीय उत्‍पाद-शुल्‍क (अग्रि व्‍यवस्था) नियमावली, 2002

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