नृपेंद्र मिश्रा: एक ऐसा 'काबिल रिटायर्ड IAS, जिसकी काबिलियत के पीएम मोदी भी मुरीद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रमुख सचिव पद के लिए ऐसा काबिल अफसर चाहिए था, जिसे न सिर्फ केंद्र में काम करने का लंबा अनुभव हो, बल्कि ऐसा भी चाहिए था जिसके दामन पर भी कोई दाग न हो।
नई दिल्ली: नृपेंद्र मिश्रा का 8 मार्च को जन्मदिन है। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रह चुके हैं और वर्तमान में श्रीराम मंदिर निर्माण कमेटी के चेयरमैन है।
उन्होंने पूर्व में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के चेयरमैन और दूरसंचार व उर्वरक सचिव जैसे बड़े पदों पर भी अपनी सेवाएं दी है। तो आइए आज हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताते हैं।
नृपेंद्र मिश्रा का जन्म 8 मार्च 1945 को यूपी के देवरिया में हुआ हैं। उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से लोक प्रशासन में एमपीए की डिग्री प्राप्त की है।
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ऐसे हुए थे पीएम मोदी की टीम में शामिल
वर्ष 2014 में जब देश में भाजपा की सरकार बनी तो प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही नरेंद्र मोदी अपनी टीम के लिए 'नवरत्नों' की तलाश में ताबड़तोड़ तरीके से जुट गए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रमुख सचिव पद के लिए ऐसा काबिल अफसर चाहिए था, जिसे न सिर्फ केंद्र में काम करने का लंबा अनुभव हो, बल्कि ऐसा भी चाहिए था जिसके दामन पर भी कोई दाग न हो। इसके साथ ही अफसर को उत्तर प्रदेश की पूरी समझ हो।
ऐसे में पीएम मोदी की ये खोज 1967 बैच के रिटायर्ड आईएएस नृपेंद्र मिश्रा पर जाकर खत्म हुई। दरअसल उत्तर-प्रदेश जैसे बड़े राज्य में दो-दो मुख्यमंत्रियों के साथ नृपेंद्र मिश्रा काम कर चुके थे। उन्हें गुजरात से कोई संबंध न होने के बाद भी इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिली।
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मुलायम और कल्याण सिंह के साथ भी कर चुके हैं काम
नृपेंद्र मिश्रा यूपी जैसे बड़े राज्य में दो-दो मुख्यमंत्रियों के साथ काम कर चुके थे। उन्होंने अपने काम से पीएम मोदी का भरोसा जीता। जिसका नतीजा ये हुआ ये हुआ कि दोबारा वर्ष 2019 में वह प्रधानमंत्री मोदी को प्रमुख सचिव अपोइन्ट किए गए।
इसके अलावा वे पूर्व सीएम कल्याण सिंह के निजी सचिव और पूर्व मुख्यमंत्री और समजवादी नेता मुलायम सिंह के भी प्रधान सचिव की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक नृपेंद्र मिश्रा बाबरी विध्वंस के समय कार सेवकों पर बर्रबरतापूर्ण कार्रवाई के विरोध में थे और तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव को भी कार सेवकों के साथ नरमी के साथ पेश आने का सुझाव दिया था।
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