मैरी कॉम- 2 का धमाकेदार ट्रेलर, फिल्म तो सारे रिकार्ड तोड़ेगी...जानिए कैसे

पानीपत के बुआना लाखू में मैरी कॉम की कहानी दोहराई जा रही है। हम बात कर रहे हैं मैरी कॉम 2 नाम से फेमस हो रही रजनी कश्‍यप की। रजनी के पिता रेहड़ी लगाते हैं। जबकि रजनी अपनी मां के साथ मजदूरी करती है।

Update: 2018-12-30 06:29 GMT

पानीपत : मैरी कॉम आज जाना-माना नाम है। किसी को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि आरंभ कहां से हुआ। कैसे मुकाम हासिल किया। क्योंकि हमें सिर्फ सफलता याद रहती है, लेकिन सफलता के शिखर पर पहुंचने के लिए मैरी कॉम ने अपने सीने की आग को मद्धम नहीं होने दिया। कभी मुसीबतों से घबरा कर कदम पीछे नहीं खींचे। ऐसा ही जज्बा लेकर आगे बढ़ रही है हरियाणा की छोरी।

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छोटी मेरीकॉम परचम लहराने को बेताब

पानीपत के बुआना लाखू में मैरी कॉम की कहानी दोहराई जा रही है। हम बात कर रहे हैं मैरी कॉम 2 नाम से फेमस हो रही रजनी कश्‍यप की। रजनी के पिता रेहड़ी लगाते हैं। जबकि रजनी अपनी मां के साथ मजदूरी करती है।

16 साल की रजनी ने सर्बिया में हुई नेशंस जूनियर मुक्केबाजी चैंपियनशिप में पदक जीत अपने तेवर दुनिया को दिखा दिए हैं। इससे पहले वो 4 अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय खिताब अपने नाम कर चुकी है।

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पिता और कोच को बिटिया पर गर्व

रजनी के पिता जसमेर कहते हैं, रजनी बचपन से ही निडर रही है। जब उसने मुक्केबाजी सिखने की इच्छा जताई तभी मुझे समझ में आ गया कि ये लड़की कुछ कर दिखाएगी। लोगों को इस बारे में पता चला तो उन्होंने कहा लड़की का चेहरा बिगड़ जाएगा। शादी में बहुत दिक्कत होगी। पर रजनी को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ा। उन्होंने कहा, रजनी ने दसवीं प्रथम श्रेणी में पास की और बॉक्सिंग में पदक भी जीते। मुझे अपनी बेटी पर गर्व है।

वहीं कोच सुरेंद्र कुमार कहते हैं, वह सुबह शाम तीन-तीन घंटे और प्रतियोगिता नजदीक होने पर अतिरिक्त दो घंटे अभ्यास करती है। पांच साल पहले जब गांव की एकेडमी के बॉक्सरों ने राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में पदक जीते तो रजनी ने प्रण लिया था कि मैं पदक जीत कर देश का गौरव बनूंगी।

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मां बाप का साथ और हौसलों को मिली उड़ान

जसमेर और ऊषा के 5 बच्चे हैं। दोनों जी-तोड़ मेहनत करके भी इतना नहीं कमा पाते कि बच्चों की परवरिश अच्छे से कर सकें। पहले तो उन्होंने रजनी को बॉक्सिंग सिखने की इजाजत नहीं दी। लेकिन जब रजनी ने कहा, मुझे कुछ नहीं चाहिए मुझे सिर्फ बॉक्सिंग सीखनी है मेरी मदद कीजिए और पिता ने इजाजत दे दी। रजनी ने हर रोज पांच से छह घंटे तक कड़ा अभ्यास किया। इसके साथ ही वो मां के साथ मजदूरी भी करती थी।

इस लिए कहा जाता है मैरी कॉम 2

पूर्वोत्तर के मणिपुर में 1 मार्च 1983 को एक गरीब परिवार में जन्मी मैरी कॉम का भी बचपन काफी संघर्ष भरा रहा था। मेरी कॉम ने 6 बार विश्व महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती। वर्ष 2006 में मैरी को पद्मश्री और 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न मिला।

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