नॉएडा स्टेडियम से होगा रन फॉर रिवर्स मैराथन का आगाज
नोएडा, 27 दिसंबर। किसान सारथी फाउंडेशन 2 फरवरी, 2020 को नोएडा स्टेडियम में रन फॉर रिवर्स के प्रथम संस्करण का आयोजन कर रहा है। इस मैराथन में हजारों की तादाद में धावकों के हिस्सा लेने की सम्भावना है। इस दौड़ के माध्यम से धावक नदियों को बचाने का संकल्प भी लेंगे।
इसमें सैंकड़ों की तादात में रनर्स भाग लेंगे और नदियों को बचाने का संकल्प लेंगे इसी के साथ दौड़ने के माध्यम से उम्दा सेहत बनाने का सन्देश भी लोगों तक जाएगा। रन फॉर रिवर्स की टीम स्कूल, कॉलेज एवं अन्य संस्थानों के साथ मिलकर नदियों के आस पास वृक्षारोपण की मुहीम चला रही है l बच्चों एवं विद्यार्थियों को भी इन समस्यायों के बारे में जागरूक किया जा रहा है l
किसान सारथी कर रहा है रन फॉर रिवर्स मैराथन का आयोजन
किसान सारथी के संस्थापक अभिषेक वार्ष्णेय ने Neswstrack से बात करते हुए बताया कि "रन फॉर रिवर्स" में देश के अग्रणी पर्यावरणविद, फिल्म अभिनेता, पर्यावरण अधिकारी इत्यादि शामिल होने जा रहे हैं | अतिथि के रूप में संयुक्त राष्ट्र में पर्यावरण अधिकारी कुमार दीपक, बोलीबुड अभिनेता सत्यकाम आनंद व वेटरन रनर अमर चौहान जैसी हस्तियाँ कार्यक्रम की शोभा बढ़ायेंगी |"
रन फॉर रिवर्स में सुशील पन्ना, पूनम अग्रवाल, रेखा कंसल, डैनी सरन, विजया उनियाल, नूपुर तिवारी, अनिक रहेजा, रानी सिन्हा, संगीता चौधरी, दीपक सैनी और उदय कुमार जैसे धावक हिस्सा ले रहे हैं| रन फॉर रिवर्स टीम की प्रोजेक्ट हेड राधा सूर्यवंशी हैं जो इस सम्पूर्ण आयोजन का प्रबंधन देख रही हैं |
धर्मावती नदी संरक्षण अभियान
किसान सारथी इससे पहले 2018 में बिहार प्रांत के बक्सर जिले में धर्मावती नदी को बचाने के लिए "धर्मावती नदी संरक्षण अभियान" का आयोजन कर चुका है। यह आयोजन किसान सारथी ने जागो नामक संस्था के साथ मिलकर किया था। धर्मावती नदी संरक्षण के तहत 4 दिवसीय आयोजन में 60 किमी की पदयात्रा की गई थी। यह पदयात्रा आरा से लेकर बक्सर तक संपन्न हुई थी। इस आयोजन के माध्यम से धर्मवती नदी के किनारे 1000 वृक्षों का रोपण किया गया था।
देश के 28 राज्यों में होगा रन फॉर रिवर्स मैराथन का आयोजन
किसान सारथी ने सम्पूर्ण भारत के 28 राज्यों में रन फॉर रिवर्स के नाम से मैराथन आयोजित करने की योजना बना रखी है। इन मैराथनों के माध्यम से लोगों को देश में घटते जलस्तर, नदियों के संरक्षण एवं जैविक खेती हेतु जागरूक किया जाएगा। देश भर वृक्षारोपण को बढ़ावा देते हुए किसान सारथी ने 2022 तक 10 करोड़ वृक्ष लगाने का लक्ष्य रखा है।
अभिषेक वार्ष्णेय, बताते हैं, "नदियाँ भारतीय सभ्यता का मूल हैं | सम्पूर्ण भारत के बहुत बड़े भाग में पीने का पानी और घरेलू उपयोग के लिए पानी, नदियो के द्वारा ही प्राप्त किया जाता है। आर्थिक दृष्टि से भी देखें तो नदियाँ हमारे लिए अत्यंत उपयोगी हैं। कृषि क्षेत्र की लगभग 65 प्रतिशत आवश्यकतायें हम इनसे सरलता पूर्वक पूर्ण कर सकते हैं, यदि हम इनका भी थोड़ा ख्याल रखें। भारतवर्ष की अधिकांश प्राचीन सभ्यताएं इन्हीं नदियों के तटों पर विकसित हुई हैं।"
नदियों का संरक्षण देश की प्राथमिकता
नदियाँ खेती के लिए लाभदायक उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी का उत्तम स्त्रोत होती हैं। वर्तमान समय में भारत की नदियां जबर्दस्त बदलाव से गुजर रही हैं। आबादी और विकास के दबाव में हमारी बारहमासी नदियां मौसमी बनती जा रही हैं। इनमें से कई छोटी नदियां पहले ही गम हो चुकी हैं। बाढ़ और सूखे की स्थिति बार-बार पैदा हो रही है क्योंकि नदियां मानसून के दौरान बेकाबू हो जाती हैं और बारिश का मौसम खत्म होने के बाद गायब हो जाती हैं।
अब समय आ गया है कि नदियों को बचाने के लिए हम सभी साथ मिलकर हाँथ बढ़ाएं। यदि हमें अपनी सभ्यता को बचा के रखना है तो नदियों के संरक्षण हेतु हमें वृहद् स्तर पर आंदोलन चलाने होंगे। नदियों ने सदियों से हमारा पालन पोषण किया है अब हमारी बारी है कि हम उनके अस्तित्व को बचाने की पहल करें।