इस अनोखे स्कोरबोर्ड को चलाते हैं 80 हाथ, उतारने में लगते हैं 20 दिन

Update:2016-05-15 16:48 IST

Ruchi Mahawar

कानपुर: 19 और 21 मई को जब ग्रीन पार्क में चौके-छक्के लगेंगे तो मैदान में फैंस का शोर सुनाई देगा, चीयर लीडर्स डांस करती नजर आएंगी, स्टेडियम रोशनी से जगमगाएगा, लेकिन मैन्युल स्कोरबोर्ड चुपचाप खड़ा रहेगा। भले ही आईपीएल में इसका इस्तेमाल न किया जाए, लेकिन इसे चलाना कोई आसान काम नहीं है। आईए आपको बताते हैं कि आखिर ये स्कोरबोर्ड पिछले 59 साल से कैसे काम करता आया है।

ग्रीन पार्क में हैं ऐसे दो स्कोरबोर्ड

लोहे के फ्रेम को छोड़कर ये पूरा स्कोरबोर्ड देवदार, साखू और शीशम की लकड़ी से बना हुआ है। इसमें लगे एक रॉकेट का वजन एक टन है। स्कोरबोर्ड में ऊपर की तरफ घड़ी और 4 झंडे लगे रहते हैं, जिसमें से दो झंडे मैच खेल रही दोनों टीमों के देशों के होते हैं। वहीं, तीसरा झंडा यूपीसीए का और चौथा बीसीसीआई का होता है। पहली बार ये स्कोरबोर्ड भारत बनाम वेस्टइंडीडज टेस्ट मैच में इस्तेमाल किया गया था। हरचरण इस स्कोरबोर्ड का काम साल 1972 से संभाल रहे हैं। ग्रीन पार्क में इस वक्त दो मैन्युल स्कोरबोर्ड हैं।

स्कोरबोर्ड को उतारने में लगते हैं 20 दिन

स्कोरबोर्ड उतारने में लगते हैं 20 दिन

हरचरण के बताए अनुसार पहला स्कोरबोर्ड छोटा है और उसे चलाने के लिए 15 लोगों की जरूरत पड़ती है। वहीं दूसरे बड़े स्कोरबोर्ड को 25 लोग चलाते हैं। एक स्कोरबोर्ड पर 5 से 6 लाख का खर्च आता है। मैच के लिए इसे तैयार करने में कम से कम डेढ़ महीने का वक्त लगता है। 11 अक्टूबर होने वाले वाले वनडे के लिए उन्होंने अगस्त से ही स्कोरबोर्ड पर काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने बताया कि मैच खत्म होने के बाद इसे उतारने में भी 20 दिन लगते हैं। पटरे छोड़कर इसका हर एक पार्ट खोलकर रख लिया जाता है।

ऐसे काम करता है मैन्युल स्कोरबोर्ड

हरचरण सिंह ने बताया कि इस स्कोरबोर्ड को चलाने का मैकेनिज्म भी अपने आप में अनूठा है। बॉलिंग साइड वाले बोर्ड को चलाने के लिए शीशम की चकरी लगी हुई हैं, जिन्हें हाथ से चलाया जाता है। एक लाइन में दो चकरी होती हैं, जिनके दायीं और बायीं ओर चेन स्प्रॉकेट्स लगे रहते हैं। ये पुराने समय में इस्तेमाल होने वाली बीएसए, रेले और हरक्युलिस साइकिलों के हैं। इनकी मदद से मशीन में लगे कपड़े को घुमाया जाता है, जिस पर पेंट किए हुए नंबर्स लिखे रहते हैं। ये चकरी और चेन स्प्रॉकेट्स 1957 में लगाए गए थे और आज तक बदले नहीं गए हैं। इनमें अभी तक कोई खराबी नहीं आई है। हालांकि हाथ से चलाने की वजह से चकरियों पर निशान जरूर पड़ गए हैं। बॉलिंग साइड में जहां 30 नंबर गेज लगे हुए हैं तो वहीं, बैटिंग साइड में इनकी संख्या 6 है।

बड़े स्कोरबोर्ड को चलाने में लगते हैं 25 लोग

स्कोरबोर्ड पर मिलती है हर इन्फॉर्मेशन

मैन्युल स्कोरबोर्ड दो भागों में बंटा हुआ है। बांयी तरफ को बॉलिंग साइड और दांयी तरह को बैंटिंग साइड कहा जाता है। बॉलिंग साइड पर गेंदबाजी कर रही टीम के 11 खिलाड़ियों के नाम लिखे रहते हैं। साथ ही स्टेडियम में बैठे दर्शकों को ये जानकारी भी मिलती रहती है कि कौन सा गेंदबाज किस नंबर का ओवर फेंक रहा है, उसने अब तक कितने मेडन ओवर किए हैं और कितने रन देकर उसकी झोली में कितने विकेट आए हैं। जब कोई ओवर मेडन जाता है तो बोर्ड पर बड़े साइज में इंग्लिश में लिखा 'M' ब्लिंक करने लग जाता है।

थर्ड अंपायर का डिसीजन भी बताता है स्कोरबोर्ड

इसी तरह बैटिंग साइड पर बल्लेबाजी कर रही टीम के खिलाड़ियों का नाम लिखा रहता है। जो खिलाड़ी खेल रहा होता है उसके नाम के आगे 'P' और जो आउट हो जाता है उसके नाम के आगे 'L' (लॉस्ट) लिखा होता है। बैटिंग साइड वाले बोर्ड पर फॉल ऑफ विकेट ( टीम के कितने स्कोर पर कौन सा विकेट गिरा) पॉवरप्ले ( टीम ने कब पॉवरप्ले लिया), ग्राउंड अंपायर्स के नाम और मिलने वाले एक्स्ट्रा रनों की भी जानकारी मिलती रहती है। इतना ही नहीं, बोर्ड पर थर्ड अंपायर का डिसीजन देखने के लिए रेड और ग्रीन लाइट का एक बॉक्स भी लगाया जाता है। टेस्ट मैच में बैटिंग स्कोरबोर्ड में थोड़ा सा बदलाव हो जाता है। वनडे में जिस जगह पर पॉवरप्ले की जानकारी मिलती है, वहां पर टेस्ट में हर घंटे बनने वाले रनों की डिटेल्स दी जाती है।

थर्ड अंपायर का डिसीजन भी बताता है स्कोरबोर्ड

कैसे तैयार हुआ स्कोरबोर्ड ?

हरचरण सिंह के मुताबिक, एसएम बशीर यूपीसीए के अध्यक्ष होने के साथ-साथ जेके आयरन स्टील के डायरेक्टर हुआ करते थे। वहीं उनके पिता जगजीत सिंह ठेकेदारी का काम करते थे। एक बार एसएम बशीर मैच देखने के लिए मेलबर्न गए हुए थे। मैच देखने के दौरान उनकी नजर वहां लगे मैन्युल स्कोरबोर्ड पर पड़ी। उन्होंने भारत वापस आकर उससे बेहतर स्कोरबोर्ड बनाने की जिद ठान ली। उनकी सोच को हकीकत का अमलीजामा पहनाने का काम जगजीत सिंह ने किया। बिना किसी इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल किए हुए उन्होंने ये अद्भुत मैन्युल स्कोरबोर्ड खड़ा कर दिया।

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